Aligarh News: जिला के ब्लॉक टप्पल क्षेत्र के गांव जरतौली स्थित माँ ऊषा देवी मंदिर पर नवरात्रि के दिनों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। यहां माता ऊषा देवी के दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में कई प्रांतों से श्रध्दालु पहुंचे। इस दौरान मंदिर परिसर में जय माता दी के नारे गूंजते रहते हैं। इस मंदिर की अत्यधिक मान्यता होने के कारण यहां नौ दिन में लाखों की संख्या में भक्त देवी दर्शन के लिए आते हैं। मान्यता है कि यहां आने वाले लोगों की हर मनोकामना पूरी होती है। यहां नवरात्रियों की दुर्गा अष्टमी को बड़ा मेला लगता औऱ बाहरी श्रध्दालुओं के साथ क्षेत्रीय लोगों का भी भारी संख्या में जमावाड़ा रहता है।
Aligarh News: जानकारी के मुताबिक वर्ष 1974 में नवरात्रियों की दुर्गा अष्टमी के दिन ही जरतौली स्थित ऊषा देवी मंदिर की स्थापना हुई थी। इस मंदिर की स्थापना 4 ईंट रखकर की गई थी, जो आज करीब 5 बीधा क्षेत्र में मंदिर विशाल रूप ले चुका है। साथ ही भव्य मुख्य द्वार के साथ अब यहां कई छोटे–छोटे मंदिर बना दिए गये हैं। यहां एक 2 बीघा जमीन में ऊषा कुंड के नाम से एक बड़ा तालाब भी है। जिसकी भी एक विशेष मान्यता है।
मंदिर के मुख्य पुजारी रामपाल शर्मा ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना 5 वर्ष की ऊषा नाम की लड़की ने कराई थी। वह बताते हैं कि सन 1974 में जब सूखा जैसे हालात हुए फसलें सूख गई तब ऊषा के मन में खुद ही चेतना उठी तो वह खुद ही रात में घर से जाकर झाड़ियों में जा बैठी। घर वालों के साथ पड़ोसियों व गांव के लोगों ने बच्ची समझकर उठाने की कोशिश को तो वह नहीं मानी और अड़ गई तो उसके बाद में गांव के लोगों ने सहयोग किया औऱ 41 दिन तक बैठी रही ऊषा मूसलाधार बारिश होने के बाद उठी। उसके बाद उसी स्थान पर 4 ईंट रख मंदिर की स्थापना हुई। जो आज मंदिर विशाल रूप ले चुका है।
पुजारी ने बताया कि वह 25 वर्ष की उम्र से ही इस मंदिर में सेवा कर रहे हैं। उहोंने बताया कि एक बार मंदिर से घंटा चोरी हुए थे, जिन्होंने चुराये थे उनके हालात बहुत बुरे हो गये थे, उसके बाद अब पूरे प्रागंण में कहीं समान पड़ा हो कोई नहीं चुराता। ऐसी ही कहानी उन्होंने ऊंषा कुंड की बताई जब कुंड में किसी ने शौच कर लिया था, तो उसके तभी से दिन बुरे हो गये थे।
Aligarh News: पुजारी ने बताया कि मंदिर के स्थापना के बाद से ही इस गांव में काली की भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है। पुजारी की मानें तो कोरोना में काली की शोभायात्रा न निकाले जाने की वजह से गांव में 36 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद काली निकाली गई। जब जाकर मौंतों का सिलसिला थमा।
-मंदिर प्रांगण में मौजूद ऊषा कुंड का सौंदर्यीकरण होना चाहिए। कई बार इसके लिए जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया है आश्वासन तो मिला लेकिन कोई काम नीहीं हुआ। इस मंदिर की मान्यता होने के कारण यहां लाखों लोग आते हैं– रामपाल शर्मा, मुख्य पुजारी
–मैं इस मंदिर दर्शन के लिए स्थापना के समय से ही लगातार आती हूं। यहां आकर मुझे बेहद शांति मिलती है। यही मेरे लिए सब कुछ हैं शायद यही मां की शक्ति है– इंद्रवती देवी, भक्त, जरतौली
–मैं नवरात्रि के समय यहां पिछले कई वर्षों से आता हूं। यहां हजारों लोग मंदिर दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन मंदिर को आने वाला रास्ता छोटा होने के कारण भक्तों की भीड़ होने पर भक्तों को बहुत परेशानी होती है। मंदिर मार्ग का चौरीकरण होना चाहिए– कृष्णपाल सिंह उर्फ लाला प्रधान, नगलिया गौरौला
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