CBSE: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की सीबीएसई10वीं, 12वीं बोर्ड परीक्षा के बीच एक बड़ी खबर आ रही है। वह यह कि सीबीएसई ओपन बुक परीक्षा के कॉन्सेप्ट पर विचार कर रही है।
CBSE: सीबीएसई पिछले साल जारी नए नेशनल कैरिकुलम फ्रेमवर्क (NCF) में उल्लिखित सिफारिशों के अनुरूप, कक्षा 9वीं से 12वीं तक के सभी छात्रों के लिए ओपन बुक परीक्षा (OBE) पर विचार कर रहा है। बोर्ड ने साल के अंत में अपने चुनिंदा स्कूलों में ओपन-बुक टेस्ट का परीक्षण आयोजित करने की योजना बनाई है।
CBSE: ये परीक्षण कक्षा 9वीं और 10वीं के लिए इंग्लिश, मैथमेटिक्स, साइंस और कक्षा 11वीं और 12वीं के लिए इंग्लिश, मैथ और बायोलॉजी जैसे विषयों को कवर करेंगे ताकि छात्रों द्वारा इसे पूरा करने में लगने वाले समय का मूल्यांकन किया जा सके।
CBSE: ओपन बुक परीक्षा, एक ऐसा परीक्षा है जिसमें बच्चों को किताबों को बंद करके नहीं बल्कि किताब खोलकर परीक्षा देनी होगी। ओपन-बुक परीक्षा में, छात्रों को परीक्षा के दौरान अपने नोट्स, पाठ्यपुस्तकें, या अन्य अध्ययन सामग्री ले जाने और उन्हें देखने की अनुमति होगी। यह परीक्षा छात्रों के ज्ञान का नहीं बल्कि छात्रों की विषयों की समझ का मूल्यांकन करने की एक नई पद्धति है।
जो पारंपरिक बंद किताब प्रारूप के विपरीत, खुली किताब परीक्षाएं छात्रों को प्रश्नों का उत्तर देते समय स्टडी मैटिरियल, नोट्स और अन्य उपयोगी स्रोतों का संदर्भ लेने की अनुमति देती हैं।
CBSE: पायलट को इस साल नवंबर-दिसंबर में आयोजित करने का प्रस्ताव है और अपने अनुभव के आधार पर सीबीएसई बोर्ड यह तय करेगा कि कक्षा 9वीं से 12वीं के लिए उसके सभी स्कूलों में मूल्यांकन के इस रूप को अपनाया जाना चाहिए या नहीं।
CBSE: सीबीएसई बोर्ड जून तक ओपन बुक परीक्षा पायलट के डिजाइन और विकास को पूरा करने की योजना बना रहा है और इसके लिए उसने दिल्ली विश्वविद्यालय से परामर्श करने का फैसला किया है। दिल्ली यूनिवर्सिटी का अगस्त 2020 में कोविड महामारी के दौरान जब शैक्षणिक कैलेंडर डिस्टर्ब हो गया था तब ओपन बुक टेस्ट की शुरुआत की गई थी,हालांकि उस समय इसका काफी विरोध हुआ था।
CBSE: सीबीएसई के इस कदम से वे बच्चे बहुत खुश हैं, जिन्हें रटा मारने या किसी प्रश्न का उत्तर हू-ब-हू याद करने में परेशानी होती है। सीबीएसई के इस कदम को कुछ लोग सही बता रहे हैं वहीं कुछ लोगों का कहना है कि आगे का क्या?, क्योंकि हमारा पूरा एजुकेशन सिस्टम एग्जाम और कॉम्पटीशन पर केंद्रीत है, ऐसे में क्या बच्चे आलसी नहीं हो जाएंगे, उन्हें परीक्षा का डर ही नहीं होगा, वो पढ़ाई को लेकर गंभीर ही नहीं होगे। क्या ऐसे बच्चे नीट, जेईई या यूपीएससी की परीक्षा पास कर सकेंगे।
यूपीएससी छोड़िए क्या वे सीयूईटी परीक्षा पास कर सकेंगे, जो देश के तमाम यूनिवर्सिटी में रेगुलर कोर्सों में एडमिशन के लिए जरूरी है।फिलहाल सीबीएसई ओपन बुक परीक्षा को लेकर बच्चों, शिक्षकों, अभिभावक के मन में कई सवाल हैं, जिनके जवाब सबको समय के साथ मिलते जाएंगे।
Written By: Swati Singh
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