Karnataka Election 2023: कर्नाटक चुनाव में क्यों लगा कांग्रेस को 440 वोल्ट का झटका, फिर क्यों याद आया संघ और वीएचपी ,कांग्रेस की दोगली राजनीति आयी सामने, PFI से प्यार और VHP, संघ से क्यों है इतनी तकरार? राहुल गांधी को PFI और सिम्मी से क्यों है इतना लगाव?, राहुल बाबा क्यों करते है संघ और विएचपी का इतना जाप… कांग्रेस क्यों करती है इतना हिंदू- मुस्लिम?
Karnataka Election 2023: कर्नाटक चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने मंगलवार 2 मई को चुनावी घोषणा पत्र जारी किया है। कांग्रेस के घोषणापत्र में एक बार फिर दोगली राजनीति की झलक देखने को मिली। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने संकल्पपत्र में एक बार फिर से संघ और वीएचपी पर निशाना साधा। इससे पहले भी कांग्रेस की पूर्व अध्यक्षा सोनिया गांधी हो, राहुल गांधी हो या फिर कोई और भी बड़ा नेता क्यों न हो… जब भी मौका मिलता है वो पीएफआई के लिए मोहब्बत और राष्ट्रीय स्वंसेवक संघ, वीएचपी के लिए नफरत का ही इजहार करते है।
कांग्रेस के नेता दावा करते है कि वो सेकुलर है। क्या ये ही उनका सेकुलर सोच है जिसमें केवल वो एक धर्म विशेष के प्रति अपनी मोहब्बत का इजहार करते है। हिंदू धर्म को बड़ी हिराकत भरी नजरों से देखते है और ये हम ऐसे ही नहीं कह रहे है। इसके पीछे भी ठोस वजह है कि कई बार उनके नेताओं ने हिंदूत्व को आतंक से है ही जोड़ दिया था।
Karnataka Election 2023: उनके ही नेताओं ने हिंदू आतंकवाद का नाम दिया था और संघ और वीएचपी को आतंकवादी संगठन तक बता दिया थौ और ये ही कांग्रेस के नेता थे चाहे वो सेनिया गांधी हो या राहुल गांधी हो या फिर वर्तामान में कांग्रेस के अध्यक्ष खड़गे ही क्यों न हो… जब मोदी सरकार ने आतंकी संगठन पीएफआई को बैन किया था तब भी इनहीं के पेट में सबसे पहले दर्द हुआ था।
Karnataka Election 2023: कांग्रेस के कई बड़ें नेताओं ने उस वक्त घड़याली आसूं बहाए थे। मोदी सरकार को कोसा था और कहा था कि पीएफआई पर बैन लगाकर भाजपा ने बदले की भावना से कार्य किया है और ये भाजपा और मोदी की सांप्रदायिक सोच को दर्शाता है। तब मोदी सरकार ने पीएफआई पर 5 साल के लिए बैन लगाया था जो अभी तक जारी है।
लेकिन क्या अब ये कर्नाटक कांग्रेस की सांप्रदायिक सोच हे जो कि उसने अपने संकल्पपत्र में दर्शाते हुए कर्नाटक की जनता से वादा किया है कि वो जब सरकार में आएंगे तो सबसे पहले संघ और वीएचपी को बैन करे देंगे या फिर ये भी कह सकते है कि ये उनकी खीज है आज इस रूप में सामने आ रही है। क्योंकि सबको पता पीएफआई के बैन होने से सबसे ज्यादा आहत अगर कोई है तो वो कांग्रेस पार्टी ही है।
Karnataka Election 2023: वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्वा सरमा ने कांग्रेस के बड़ें नेताओं में शुमार सोनिया हो राहुल गांधी हो या वर्तमान अध्यक्ष खड़गे हो सबको आईना दिखा दिया है कि उनकी सोच कितनी संकीर्ण और नफरती है, जो कि एक राष्ट्रवादी संगठन और आतंकी संगठन पीएफआई में भी भेद नहीं कर पा रहे है।
हिमंता ने कांग्रेस के घोषणापत्र के बारे में दावा करते हुए कहा है कि ये घोषणापत्र किसी भी एंगल से ऐसा नहीं लग रहा है कि ये सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का घोषणपत्र है। ऐसा लग रहा है कि ये कांग्रेस पार्टी का घोषणपत्र न होकर पीएफआई का घोषणपत्र है और ये मै ऐसे ही नहीं कह रहा हूं इसके पीछे भी ठोस वजह है। पहले इन लोगों ने पीएफआई पर बैन की बात क्यों नहीं की? कांग्रेस ने पीएफआई नेताओं के केस वापस क्यों लिए। अब ये लोग बजरंग दल पर बैन की बात कर रहे हैं। सरमा ने कहा कि यह घोषणा पत्र एक सेकुलर पार्टी का नहीं हो सकता है।
आपको बता दें कि ये पहली बार भी नहीं है जब कांग्रेस ने संघ और VHP को बैन करने की बात की हो पहले भी इनके नेताओं ने माले गांव ब्लास्ट के बाद भी ऐसी ही तर्कहीन मांग को उठाते हुए दोनों राष्ट्रवादी संगठानों को बैन करने की बात की थी और मुंह की खाई थी। अब ये लगभग साफ हो चुका है कि भारत में सेक्यूलरिज्म यानी धर्मनिरपेक्षता के नाम पर जो भी कुछ कहा और किया जाता है उसके पीछे अल्पसंख्यकवाद और उससे भी बदतर हिंदू विरोधी सोच ही होती है। यह काफी व्यथित करने वाला है।
इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि अक्सर हिंदू हितों के साथ पहचानी जाने वाली भाजपा ने ‘हिंदू आतंकवाद या हिंदू टेरर’ के बारे में अपने विचार लंबे समय से स्पष्ट कर रखे है। उनका मानना है कि ‘हिंदू आतंकवाद’ की बात बोगस, बेबुनियाद है। उदाहरण के लिए लालकृष्ण आडवाणी ने 10 साल पहले ‘हिंदू आतंकवाद’ को कांग्रेस द्वारा फैलाया गया हौआ करार दिया था। चंडीगढ़ में एक चुनाव रैली में बोलते हुए आडवाणी ने कहा था कि ‘मालेगांव ब्लास्ट के बाद वोट बैंक के लिए कांग्रेस ने हिंदू आतंकवाद शब्द ईजाद किया, लेकिन भाजपा ने कभी भी मुस्लिम आतंकवाद जैसे किसी शब्द का इस्तेमाल नहीं किया।’ तब से अब तक कांग्रेस की सोच में कुछ भी नहीं बदला है।
Karnataka Election 2023: जब भी कांग्रेस की नजरों में संघ और वीएचपी खटकती थी और आज भी उनके बड़ें नेताओं की आंखों कि किरकिरी बने हुए है ये हिदूवादी और राष्ट्रवादी संगठन… कांग्रेस किसी भी हाल में और किसी भी कीमत पर संघ और वीएचपी बदनाम करना चाहती है। और उसकी चाहत भी ये ही है कि अगर वो ऐसा करने में सफल हो जाते है तो वो विशेष संप्रदाय के लोगों की आंखों का तारा बन सकती है। लेकन वो ये भूल जाते है कि ये ऐसी घटिया सोच से वो कांग्रेस को गर्त में ले जाने का काम कर रहे है।
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