Delhi News: गत गुरूवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की कई दीवारों पर जातिसूचक नारे लिखे जाने का विवाद बढ़ता ही जा रहा है। राष्ट्रवादियों में जेएनयू की दीवारों पर जातिसूचक नारे लिखे जाने के कारण गुस्सा देखा जा रहा है। इस मामले पर नेताओं से लेकर राष्ट्रवादियों ने भी लगातार इस घटना को लेकर रोष जता रहे हैं।
मामले की गंभीरता को देखते हुए JNU प्रशासन ने इस पर संज्ञान ले लिया है और अब गीतकार मनोज मु शुक्ला ने इसको सनातन का अपमान बताया है। उन्होंने कहा कि “जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बैठे वामपंथी सोच के लोग देश को खोखला करने का प्रयास कर रहे हैं और ऐसे सोच वालों से मुकाबला करने की जरूरत है।”
Delhi News: गीतकार मनोज मुन्तशिर शुक्ला ने टीवी चैनल टाइम्स नाउ नवभारत से बात करते हुए JNU विवाद की तुलना हिटलर के शासन काल से कर डाली। उन्होंने कहा कि 1940 के आस पास जर्मनी में यहूदियों की हालत क्या थी, किस तरह से यहूदियों को दबाया जा रहा था और आज हालत वैसी ही है…
चैनल से बातचीत के दौरान मनोज मुन्तशिर ने कहा कि सवर्णों (ब्राह्मणों) को बार-बार अपमानित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी पहचान पर संकट है और हमारे अस्तिव पर संकट है। वामपंथी चाहते हैं कि हम चुपचाप सब कुछ सहते रहें और ऐसा नहीं हो सकता। उन्होंने आगे कहा कि तथाकथित बुद्धजीवी सवर्णों और ब्राह्मणों की बात नहीं करना चाहते।
Delhi News: उन्होंने कहा कि ये वामपंथी विचारधारा के लोग एक तरह का ढोंग करते हैं कि हम जात-पात में विश्वास नहीं रखते। दूसरी तरफ़ जाति के आधार पर ही टारगेट करते हैं। इस मामले पर ट्वीट करते हुए गीतकार ने लिखा कि ये है JNU University का सनातन विरोधी और भारत विरोधी चेहरा।
मुंतशिर ने कहा कि दुख ये है, कि इस बारे में कोई बात नहीं कर रहा। एक जाति विशेष को टारगेट किया जाये और वो जाति अपने पक्ष के कुछ बोल दे, तो हम जातिवादी हो गए और मैं इस कायरता भरी चुप्पी से इनकार करता हूं।
गीतकार ने अपने ट्विटर हैंडल से एक छोटा सा वीडियो शेयर कर धरती पर ब्राह्मणों के योगदान की अहमियत बताई है। गीतकार मनोज मुंतशीर ने अपना वीडियो बनाया कि कैसे ब्राह्मणों ने हमारी संस्कृति और पांडुलिपियों को सहेजा है।
Delhi News: इस वीडियो में ब्राह्मणों के महत्व को बताते हुए कहा है कि प्राचीन काल में भी क्षत्रियों को शास्त्रों और शास्त्रों की शिक्षा देने का उत्तरदायित्व केवल ब्राह्मणों का ही होता था। इसमें वह कहते हैं कि वह केवल एक ब्राह्मण था, जो राजाओं को ज्ञान देकर महान बन रहा था। दधी के ऋषि जिन्होंने समाज कल्याण के लिए अपनी अस्थियां तक भी दान कर दी थी।
Delhi News: उन्होंने इसमें यह भी कहा कि वे ब्राह्मण थे, जिन्होंने एक वंचित वनवासी को सम्राट बनाया और अखंड भारत की स्थापना की, लेकिन दुख की बात यह है कि आज इस बारे में कोई बात नहीं करता। गीतकार मनोज मुंतशीर शुक्ला के इस वीडियो को ट्विटर पर शेयर करने के बाद कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है और उनका समर्थन किया है। हालांकि, ब्राह्मणों के भारत छोड़ो के नारों के बाद कई संगठनों ने मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और इन नारों को लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
सोशल मीडिया पर सामने आई तस्वीरों में दीवारों पर कुछ ऐसे नारे लिखे दिखाई दे रहे हैं, ‘ब्राह्मण कैंपस छोड़ो’, ‘खून बहेगा’, ‘ब्राह्मण भारत छोड़ो’ और ‘ब्राह्मण-बनिया, हम तुम्हारे लिए आ रहे हैं! हम बदला लेंगे…
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