Non-Basmati Rice Export Ban: चावल के बिना भारत में लोगों का खाना पूरा नहीं होता है। भारतीय कहीं भी हो चावल खाए बिना रह नहीं पाते लेकिन पिछले कुछ महीनों से चावल की कीमत में तेजी ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। चावल की बढ़ती कीमत पर नियंत्रण पाने के लिए केंद्र सरकार ने चावल के निर्यात पर सख्त फैसला ले लिया। सरकार ने बासमती चावल को छोड़कर सभी कच्चे चावलों के निर्यात पर रोक लगा दी। बासमती चावल और उसना चावल को छोड़कर सभी चावलों के निर्यात पर पाबंदी लगा दी गई है चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसदी है। ऐसे में निर्यात पर लगे बैन से कई देशों की चिंताएं बढ़ने लगी है।
Non-Basmati Rice Export Ban: केंद्र सरकार का यह कदम इस चिंता के बीच आया है कि पंजाब और हरियाणा में भारी बारिश से धान की फसल को नुकसान पहुंचने के कारण देश में आपूर्ति की कमी हो सकती है। कई उत्तरी राज्यों में लगातार बारिश के कारण धान के खेत जलमग्न हो गए हैं कई किसानों को दोबारा रोपाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इसके अलावा कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु जैसे प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों में वर्षा की कमी के कारण धान की बुआई प्रभावित हुई है। इसी को लेकर भारत सरकार के खाद्य मंत्रालय ने एक अपने एक बयान में कहा कि भारतीय बाजार में गैर-बासमती सफेद चावल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने और घरेलू बाजार में कीमतों में कमी लाने के लिए यह फैसला लिया गया है।
Non-Basmati Rice Export Ban: पिछले साल भारत ने 22 मिलियन टन का राइस एक्सपोर्ट किया था वहीं दूसरी तरफ रूस ने अनाज समझौता तोड़ दिया है। रूस ने यूक्रेन के साथ काला सागर अनाज समझौते को तोड़ दिया है। जिसके कारण वैश्विक खाद्य संकट की आशंका पैदा हो गई है। रूस के इस समझौते को तोड़ देने से विश्व अनाज बाजारों को तगड़ा झटका लगा है। रूस से इस, समझौते से बाहर आने के बाद एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीकी देशों के लिए खाद्यान्न संकट गहराता जा रहा है। अनाज की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। एक तरफ रूस का अनाज समझौते सेबाहर आना और दूसरी तरफ भारत द्वारा गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगाने के बाद से पूरे विश्व पर इसका पड़ सकता है। वैश्विक स्तर पर खाद्यान्न संकट का खतरा मंडरा सकता है।
Non-Basmati Rice Export Ban: भारत के इस फैसले से देश में तो चावल की कीमत में गिरावट शुरू हो गई है, लेकिन दुनियाभर में चावल की कीमतें बढ़नी शुरू हो गई हैं। अल-नीनो प्रभाव के कारण खाद्य महंगाई से पहले से ही जूझ रहे दुनियाभर के देशों में चावल की कीमतें बढ़ने से खाद्य संकट का खतरा भी हो सकता है। वैश्विक चावल निर्यात में भारत की 40 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है।
Non-Basmati Rice Export Ban: भारत के इस कदम के कारण वैश्विक बाजारों में अन्य एशियाई देशों से चावल की कीमतें बढ़ गईं। हालिया फैसले का असर अमेरिका और कनाडा में रहने वाले एनआरआई के बीच देखा जा रहा है। यहां किराने की दुकानों के बाहर लंबी कतारें लगने लगी हैं। भीड़ में लोग चावल के बैग लेने के लिए अलमारियों पर चढ़ रहे हैं। टेक्सास, मिशिगन और न्यू जर्सी जैसे प्रमुख अमेरिकी शहरों में इसकी बानगी देखी गई। हालात को संभालने के लिए कुछ दुकानों ने बिक्री सीमा लगा दी है जिससे ग्राहकों को केवल एक चावल बैग खरीदने तक सीमित कर दिया गया है। वहीं चावल की जमाखोरी की चिंता भी बढ़ गई है।
Non-Basmati Rice Export Ban: भारत ने घरेलू कीमतों को स्थिर रखने के लिए पिछले दो सालों से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है जिससे वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमतों में उछाल आया है. यूएई पर भी इसका असर पड़ा है और अब चावल की कीमत बढ़ने से यूएई को एक बार फिर झटका लगा हैयूएई के व्यापारियों को रूस-यूक्रेन के बीच काला सागर का समझौता रद्द हो जाने के कारण हाल ही में बड़ा नुकसान हुआ है और अब भारत सरकार का फैसला उनकी मुश्किलें बढ़ा रहा है।
Non-Basmati Rice Export Ban:यूएई के स्थानीय लोग चावल आयात के लिए अब थाईलैंड, वियतनाम या पाकिस्तान का रुख कर रहे हैं वहीं गेहूं के लिए वो ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की तरफ मुड़ रहे हैं। यूएई के एक स्थानीय फर्म में कमोडिटी ट्रेडिंग के प्रमुख ने कहा भारत ने गैर-बासमती चावल पर प्रतिबंध लगा दिया है लेकिन यूएई के पास विकल्प मौजूद है और मुझे लगता है कि चावल की कीमतों में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होगी और इसे कुछ ही हफ्तों में नियंत्रित कर लिया जाएगा।
Written By: Vineet Attri
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