Ajmer 92: ‘अजमेर 92’ फिल्म कुछ दिन बाद यानी 14 जुलाई 2023 को पर्दे पर आने वाली है, लेकिन उससे पहले मुस्लिम संगठनों ने फिल्म का विरोध करना शुरू कर दिया है। ये फिल्म अजमेर में सैकड़ों लड़कियों के हुए शोषण की घटना पर आधारित है। सच्चाई को छिपाने के लिए इसका अभी से विरोध शुरू हो गया है। इससे पहले भी इन महिलाओं की सच्चाई को एक पत्रकार ने उजागर करने की कोशिश की तो उन्हें भी अस्पताल में घुसकर गोलियों से भूनकर मार डाला था।
अजमेर में 100 से ज्यादा लड़कियों को फँसा कर रेप किया गया था। अश्लील तस्वीरों से ब्लैकमेल कर उनसे कहा गया कि वे अन्य लड़की को फँसा कर लाए। इस तरह से पूरा रेप चेन सिस्टम बनाया गया था। फारुक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती- इस कांड के मुख्य आरोपित थे। तीनों ही यूथ कॉन्ग्रेस के लीडर थे। फारूक उस समय इंडियन यूथ कॉन्ग्रेस की अजमेर यूनिट का अध्यक्ष था।
Ajmer 92: नफीस चिश्ती कॉन्ग्रेस की अजमेर यूनिट का उपाध्यक्ष था। अनवर चिश्ती अजमेर में पार्टी का ज्वाइंट सेक्रेटरी था। साथ ही तीनों अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के खादिम भी थे। इस तरह से उनके पास राजनैतिक और मजहबी, दोनों ही ताकत थी।
यह घटना कुछ ऐसे बताई जाती है कि आरोपियों ने सबसे पहले एक व्यापारी के बेटे के साथ कुकर्म कर उसकी अश्लील तस्वीर उतारी और उसे अपनी गर्लफ्रेंड को लाने के लिए मजबूर किया। उसकी गर्लफ्रेंड से रेप के बाद उसकी अश्लील तस्वीरें निकाल ली और लड़की को अपनी सहेलियों को लाने के लिए कहा गया।
Ajmer 92: फिर यह सिलसिला ही चल पड़ा। एक के बाद एक लड़की के साथ रेप करना, न्यूड तस्वीरें लेना, ब्लैकमेल कर उसकी भी बहन/सहेलियों को लाने के लिए कहना और उन लड़कियों के साथ भी यही घृणित कृत्य करना- इस चेन सिस्टम में 100 से ज्यादा लड़कियों के साथ शर्मनाक कृत्य किया।
उस 1992 के दौर में आज की तरह डिजिटल कैमरे नहीं थे। रील वाले थे। फोटो निकालने के लिए जिस स्टूडियो में दिया गया, वह भी चिश्ती का दोस्त और मुस्लिम समुदाय का ही था। उसने भी एक्स्ट्रा कॉपी निकाल लड़कियों का शोषण किया। ये भी कहा जाता है कि स्कूल की इन लड़कियों के साथ रेप करने में नेता और सरकारी अधिकारी भी शामिल थे। आगे चलकर ब्लैकमैलिंग में और भी लोग जुड़ते गए।
अजमेर में चल रहे सेक्स स्कैंडल का खुलासा 1992 में स्थानीय अखबारों ने ही किया था। ऑपइंडिया हिंदी की खबर के मुताबिक मदन सिंह एक स्थानीय अखबार ‘लहरों की बरखा’ के संपादक थे। इस अखबार ने सेक्स स्कैंडल पर सीरिज छापनी शुरू की थी। इससे कई सफेदपोश बेनकाब हो रहे थे। मदन सिंह को धमकी मिल रही थी। वे सेक्स स्कैंडल पर 76 किस्त प्रकाशित कर चुके थे। उनकी पत्नी आशा कंवर के मुताबिक 4 सितंबर 1992 को वे एक और किस्त प्रकाशित कर कुछ बड़े नामों का खुलासा करने वाले थे। लेकिन उसी दिन उन पर हमला हो गया।
Ajmer 92: मदन सिंह स्कूटर में पेट्रोल भरवाने घर से निकले थे। रास्ते में एंबेसडर में सवार लोगों ने उन पर फायरिंग की। वे गंभीर रूप से घायल हो गए। पास के एक नाले में छलांग लगाकर जान बचाई। इसके बाद उन्हें अजमेर के जेएलएन अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन 11 सितंबर को अस्पताल के वार्ड में कुछ लोगों ने घुसकर उन्हें गोली मार दी।
मदन सिंह नाम के पत्रकार पर पहले सड़क पर हमला हुआ। इसमें वे जान बचाने में सफल रहे। इसके बाद अस्पताल में घुसकर उनकी हत्या कर दी गई थी। यह हत्याकांड इसी साल जनवरी में भी चर्चा में आया था। 7 जनवरी 2023 को पुष्कर के बांसेली गाँव स्थित एक रिसॉर्ट में एक हिस्ट्रीशीटर को गोलियों से भून दिया गया था।
Ajmer 92: इस घटना के आरोपी सूर्य प्रताप सिंह और धर्म प्रताप सिंह हैं। दोनों उसी पत्रकार मदन सिंह के बेटे हैं जिनकी सितंबर 1992 में हत्या की गई थी। हिस्ट्रीशीटर को मार गिराने के बाद कथित तौर पर इन्होंने मौके पर पिता का बदला लेने की बात चिल्लाकर कही भी थी।
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