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PFI: संगठन ने रची PM मोदी को मारने की साजिश, अजीत डोभाल ने अमित शाह के साथ बना दिया कुचलने का प्लान

एक आतंकी संगठन उसके 15 राज्य, कई ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापे और 106 लोगों की गर्दन दबोचने की हिम्मत सिर्फ इस देश के प्रधानमंत्री की ही हो सकती है। देश विरोधी गतिविधियों में शामिल पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया(PFI) जो इस देश में इस्लामिक शासन लागू करने का षडयंत्र बना रहा था अब लगता है उसकी उलटी गिनती शुरू हो गई है, क्यों कि आतंकियों की कमर तोड़ने के लिए अब देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कमर कस ली है और इस सीक्रेट मिशन में मोदी का साथ दिया है आतंकियों की कमर तोड़ने में माहिर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और गृह मंत्री अमित शाह ने।

दुनिया के कुछ मुल्कों को यह रास नहीं आ रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत इतनी तेजी से तरक्की कैसे कर रहा है। उन्हीं देशों ने पहले स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया (SIMI) को खड़ा किया और जब उसकी पोल खुली और उसे बेन की मांग की गई तो PFI को खड़ा कर दिया गया। लेकिन उन लोगों को शायद यह पता नहीं है कि देश की पीएम मोदी दूसरे देशों के प्रधानमंत्रियों की तरह नहीं जो फैसले लेने में ही सालों-साल गुजार दें।

मोदी सरकार में देश को अस्थिर करने वाली शक्तियों के लिए कोई जगह नहीं है। मोदी सरकार लगातार आतंक और आतंकियों पर प्रहार करने में लगी है। अब आतंक के स्लीपर सेल की रही-सही कमर तोड़ने, टेरर फंडिंग को रोकने और आतंकी सोच को नेस्तनाबूत करने के लिए बहुत बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। इसी वजह से एक दिन पहले ही बिना किसी को कानो कान खबर हुए PFI के देशभर में 100 से अधिक ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की गई जिससे देशद्रोही तत्वों का देश से खात्मा किया जा सके।

ऑपरेशन मेंलगाए गए 250 पुलिस अधिकारी

पूरे रेड की निगरानी खुद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल कर रहे थे। इसके लिए 250 से ज्यादा पुलिस अफसर लगाए गए थे। ऑपरेशन में एक एडीजी, चार आईजी, 16 एसपी रैंक के ऑफिसरों को शामिल किया गया था। पूरा ऑपरेशन इतना सीक्रेट था कि PFI ही क्या, ऑपरेशन को अंजाम देने वाले अफसरों के अलावा पुलिस या प्रशासनिक अफसरों को भी इसकी भनक तक नहीं लग पाई।

जब से कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया PFI के ठिकानों पर छापेमारी हुई है तब से PFI संगठन बौखलाया हुआ है। इसके नेताओं समेत 100 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी के बाद प्रवर्तन निदेशालय ED ने बड़ी आतंकी साजिश का खुलासा किया है। यही कारण है कि अब एक के बाद एक कई बड़े व नए खुलासे इस मामले में सामने आ रहे है, सबसे ज्यादा चौंकाने वाली खबर ये थी कि इस आतंकी संगठन ने 2047 तक भारत में इस्लामिक शासन लागू करने का षड्यंत्र किया जा रहा था और साथ ही देश के प्रधानमंत्री पीएम मोदी को पटना रैली में निशाना बनाने की साजिश तक रच डाली थी। इस बात का खुलासा ईडी ने कोर्ट में किया है।

तो आप सोचिये की खुद को सही साबित करने में लगा ये आतंकी संगठन देश में कैसे आतंक फैलाने की साजिशें रच रहा है और दूसरी तरफ देश के पीएम को भी टारगेट कर रहा है।

आपको बता दें कि पीएफआई का इरादा 12 जुलाई को पटना में मोदी की रैली को निशाना बनाना था। इसके लिए पीएफआई का टेरर मॉड्यूल खतरनाक हथियार और विस्फोटक जुटाने में लगा था। इसके अलावा यूपी में भी संवेदनशील जगहों पर बम धमाका करने और राज्य की बड़ी हस्तियों पर हमले की पीएफआई ने योजना बनाई थी।

पीएफआई 2047 तक भारत में इस्लामिक शासन लागू करने का षड्यंत्र रच रहा था। अपने इस ख्वाब को पूरा करने के लिए विवादित कट्टरपंथी संगठन PFI एक खतरनाक प्लान तैयार किया जिसका खुलासा बिहार के पटना से पीएफआई से जुड़े 5 लोगों की गिरफ्तारी के बाद हुआ है। पुलिस को ऐसे डाक्युमेंट मिले थे, जिससे यह पर्दाफाश होता है कि पीएफआई हिंदुस्तान को मुस्लिम राष्ट्र बनाने के लिए ‘मिशन 2047’ पर काम कर रहा है।

PFI जिस ‘मिशन 2047’ के एजेंडे पर काम कर रहा था, उसके इरादे बेहद खतरनाक थे। यह नेटवर्क भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने के लिए हिंदुओं को हिंदुओं से लड़ाने पर आमादा था। मुस्लिमों को उनके अत्याचार याद दिलाना औऱ हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने का कार्य एक बड़े पैमाने पर कर रहा था। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ यानी आरएसएस के खिलाफ भी अपनी योजना बनाकर ओबीसी में आने वाले हिंदुओं के आरएसएस के खिलाफ खड़े करने की तैयारी जोरों से चल रही थी।

CAA, NRC के विरोध प्रदर्शन में सामने आया था PFI का नाम

सीएए-एनआरसी के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में हुए धरना प्रदर्शन और  हनुमान जयंती के अवसर पर जहांगीरपुरी में हुई हिंसा के समय भी PFI चर्चा में आया था। इतना ही नहीं कर्नाटक में हुए हिजाब विवाद के समय भी बीजेपी और हिंदू संगठनों ने PFI पर ही मुस्लिम छात्राओं को भड़काने का आरोप लगाया था।

दरअसल पिछले दो साल में देशभर के अलग-अलग राज्यों में कई मजहबी हिंसा की घटनाएं हुईं। ज्यादातर साजिश के तार पीएफआई से जुड़े। दिल्ली और फिर इस साल भाजपा प्रवक्ता रहीं नुपुर शर्मा के बयान के बाद जून-जुलाई में हुए देश के अलग-अलग शहरों में हुई हिंसा की कड़ी भी पीएफआई से ही जुड़ी थीं। पीएफआई पर हिंसा की प्लानिंग और फंडिंग का आरोप लगा। इसी महीने आठ सितंबर को NIA ने बिहार के कई जिलों में एक साथ छापा मारा था।

NIA की टीम ने अररिया, छपरा, नालंदा में कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। दस दौरान पटना में फुलवारी शरीफ टेरर मॉड्यूल सामने आया था। इनका लिंक भी PFI से जुड़ा था। रिपोर्ट्स की मानें तो बार-बार दंगों और हिंसा में PFI का नाम आने के बाद सरकार ने कार्रवाई की तैयारी की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से बातचीत के बाद कार्रवाई के लिए की मंजूरी दी।

पीएम से मंजूरी मिलने के बाद NSA अजीत डोभाल ने अपने टॉप अफसरों के साथ इसकी पूरी प्लानिंग कर दी। इस पूरे प्लान में मोदी की उस चाणक्य नीति का ऐसा प्रयोग मान सकते हैं, जिसके लिए उन्होंने अपने किसी भी मंत्री से ज्यादा अपने सुरक्षा सलाहकार पर भरोसा किया।  पीएमओ से जुड़े सूत्र कहते हैं कि अगस्त के आखिरी हफ्ते में गृहमंत्री अमित शाह और NSA अजीत डोभाल ने पूरी प्लानिंग तैयार कर पीएम नरेंद्र मोदी को दिखाई। उन्हें बताया गया कि इस पूरे ऑपरेशन को कैसे अंजाम दिया जाएगा।

पीएम से हरी झंडी मिलने के बाद अजीत डोभाल ने काम शुरू कर दिया। और फिर आई एक्शन वाली रात जब एक एक कर आतंकी संगठन के सभी ठिकानो पर छापेमारी कर दी गई। बीजेपी पर हमेशा निशाना साधने वाली कांग्रेस ने भी PFI पर कभी कोई कार्यवाई नहीं की बल्कि इसकी इन हरकतों को नज़रअंदाज़ ही किया। साल 2010 में केरल पुलिस ने PFI की गतिविधियों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय को जानकारियां मुहैया करवाई थी, लेकिन तब कांग्रेस नेतृत्व की सरकार ने इस पर कार्रवाई की जरूरत तक नहीं समझी।

वर्ष 2010 में केरल के कन्नूर जिले में एक दलित युवक की तालिबानी अंदाज में हुई हत्या के मामले की जांच में इसी ग्रुप का हाथ सामने आया था। ऐसे में कार्रवाई की उदासीनता कांग्रेस को सीधा कटघरे में खड़ा करती है। बताया जा रहा है कि PFI के नेताओं को बचाने के लिए तब की मनमोहन सरकार ने आतंक में इस संगठन की भूमिका को नजरअंदाज कर दिया था।

PFI ने देश को बर्बाद करने के लिए 4 चरणों की रणनीति बनाई थी जिसकी उसने पूरी प्लानिंग कर ली थी। अपने इस घातक मिशन को पूरा करने के लिए न सिर्फ पीएफआई खुद जुटा है, बल्कि उसने अपने राजनीतिक, छात्र और महिला संगठनों को भी सक्रिय कर दिया है। सबसे पहले पीएफआई ने मुस्लिमों को अपने नेतृत्व में लेने की कोशिश की। उन्होंने मुस्लिम समुदाय को उनके दुख और अत्याचार याद दिलाए। फिर कथित रूप से यह कोशिश की गई कि वह मुस्लिम समुदाय को यह सोचने पर मजबूर कर दें कि केवल वह ही उनका नेतृत्व करने की क्षमता रखते हैं।

सूत्र यह भी बताते हैं, कि यह विवादित संगठन युवाओं को हथियार चलाने का प्रशिक्षण देता है। पीएफआई चाहता था, कि मुस्लिमों के मुद्दों को उसके नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ले जाया जाए। संगठन को यकीन था कि समय-समय पर होने वाली हिंसा मुस्लिमों पर होने वाले अत्याचारों को प्रदर्शित करती है कथित रूप से यह सलाह भी दी थी, कि बड़े लक्ष्य के लिए खुद को होने वाली क्षति को ज्यादा तवज्जो न दो।

PFI के खिलाफ सरकार आर पार के मूड में

तीसरे चरण की चौंकाने वाली रणनीति थी, इस चरण के तहत पीएफआई के सदस्यों से कहा गया था कि वे अनुसूचित जाति-जनजाति और ओबीसी वर्ग के हिंदुओं का साथे दें। उनके और आरएसएस के बीच दूरियां पैदा करें। इसके साथ ही उनसे हथियार जुटाने के लिए भी कहा गया। इस चरण में संगठन चाहता था, कि उसके वफादार लोग न्यायपालिका, पुलिस, सेना और राजनीति में घुसपैठ कर लें, ताकि धीरे-धीरे इस्लामिक सिद्धांतों पर आधारित संविधान बनाया जा सके।

इसमें हथियारों और सिस्टम का भरपूर इस्तेमाल किया जाता। ठिकानों पर छापेमारी के एक दिन बाद पुणे में जोरदार प्रदर्शन भी हुआ। पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे पीएफआई के 35 से ज्यादा सदस्यों को हिरासत में ले लिया। इस दौरान पुणे में जिला कलेक्टर ऑफिस के बाहर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे सुने गए।

पीएम नरेन्द्र मोदी सरकार लगातार आतंक और आतंकियों पर प्रहार करने में लगी है। अब आतंक के स्लीपर सेल की रही-सही कमर तोड़ने, टेरर फंडिंग को रोकने और आतंकी सोच को नेस्तनाबूत करने के लिए बहुत बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। इससे ये तो साफ़ हो गया की भले ही पीएम मोदी इस मामले में अब तक सभी को खामोश दिखाए दिए लेकिन किसी को नहीं पता था की इस ख़ामोशी के पीछे एक तूफ़ान आने वाला है, वही PFI खुले तौर पर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा करने की अपील करता है। इस्लामी राष्ट्र की अपनी अवधारणा को अंजाम देने के लिए PFI बड़े पैमाने पर मुस्लिमों को हथियारों और विस्फोटों की ट्रेनिंग दे रहा है। जिसे रोकना बेहद ज़रूरी है।

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Keshav Malan

यह कलम दिल, दिमाग से नहीं सिर्फ भाव से लिखती है, इस 'भाव' का न कोई 'तोल' है न कोई 'मोल'

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