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Earthquake: उत्तर भारत में लोगों को महसूस हुए तेज भूकंप के झटके, भूकंप का केंद्र था नेपाल 6.2 रही तीव्रता

Earthquake:  दिल्ली एनसीआर समेत उत्तर भारत में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। तेज झटके देखकर लोग अपने घरों और दफ्तरों से बाहर निकल गए। रिक्टर स्केल पर तीव्रता 6.2 रही। ये झटके 02:53 बजे महसूस किए गए। हालाँकि अभी तक कोई जान मान की हानी की कोई खबर नही है। इस भूकंप का केंद्र नेपाल में बताया जा रहा है। ये झटके दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद, गुरुग्राम और गाजियाबाद समेत आसपास के शहरों में महसूस किए गए। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में भी भूकंप से लोग प्रभावित हुए।

Earthquake:  इससे पहले 19 सितंबर 2022 को उत्तर भारत में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. दिल्ली एनसीआर में इससे पहले पांच अगस्त को भूकंप के झटके महसूस किए गए. तब भूकंप की तीव्रता 5.8 थी। सुबह 9.38 बजे भूकंप आया था। तब भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के हिंदुकुश क्षेत्र में थे। हालांकि तब भी कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ था।

Earthquake:  दिल्ली में इससे पहले 13 जून को भी बड़ा भूकंप आया था। तब रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.6 थी। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड समेत पूरे इलाके में भूकंप से जलजला आया था। तब पाकिस्तान, अफगानिस्तान के समेत पूरे उत्तर भारत में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। 17 जुलाई को जब भूकंप के झटके आए थे तो रिक्टर स्केल पर तीव्रता 3.8 थी। दिल्ली एनसीआर का पूरा इलाका भूकंप के खतरे के लिहाज से जोन 4 में आता है। दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र में भारी जोखिम है। हिमालय औऱ यूरेशिया की टेक्टोनिक प्लेटों में टकराव के कारण अक्सर ऐसे झटके महसूस किए जाते हैं।

रिक्टर स्केल क्या है?

Earthquake:  1935 में, अमेरिकी भूविज्ञानी चार्ल्स एफ. रिक्टर ने एक उपकरण का आविष्कार किया जो पृथ्वी की सतह पर उठने वाली भूकंपीय तरंगों की गति को माप सकता था। इस उपकरण का उपयोग भूकंपीय तरंगों को डेटा में बदलने के लिए किया जा सकता है। रिक्टर स्केल आमतौर पर लघुगणक पर काम करता है। तदनुसार, पूर्ण संख्या को उसके मूल मान से दस गुना के रूप में व्यक्त किया जाता है। रिक्टर पैमाने पर, 10 अधिकतम गति से मेल खाता है।

भूकंप क्यों आते हैं?

Earthquake:  पृथ्वी मुख्य रूप से चार परतों से बनी है: आंतरिक कोर, बाहरी कोर, मेंटल और क्रस्ट। भूपर्पटी और ऊपरी मेंटल को स्थलमंडल कहा जाता है। यह 50 किलोमीटर मोटी परत टेक्टोनिक प्लेट्स नामक खंडों में विभाजित है। ये टेक्टोनिक प्लेटें लगातार हिलती रहती हैं, लेकिन अगर ये बहुत ज्यादा हिल जाएं तो भूकंप आ जाता है। ये प्लेटें अपनी जगह से क्षैतिज और लंबवत दोनों तरह से हिल सकती हैं। फिर वे अपनी जगह ढूंढती हैं और ऐसी स्थिति में एक प्लेट दूसरी के नीचे चली जाती है।

Written By: Poline Barnard

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Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।

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