Japan: कुछ दिन पहले डीएमके नेता सेंथिल कुमार ने हिंदी भाषी राज्यों को गौ मूत्र वाला राज्य बताया था। यह बात उन्होंने तब कही थी जब राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई थी। जिस पर खूब सियासत हुई थी। अब उसी गाय के गोबर से बने एक गैस से अंतरिक्ष में रॉकेट भेजा जा सकता है। जापान के वैज्ञानिकों ने गाय के गोबर से प्राप्त तरल मीथेन गैस से संचालित होने वाला एक इंजन का परीक्षण किया है। जो अधिक टिकाऊ बताया जा रहा है।
Japan: ब्रिटिश मीडिया “इंडिपेंडेंट” की रिपोर्ट के अनुसार, स्टार्टअप इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज इंक (IST) ने एक बयान जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि रॉकेट इंजन जिसे जीरो कहा जाता है का परीक्षण किया। बायोमीथेन के जरिये दस सेकेण्ड तक लगभग 30 से 35 फीट ऊपर तक उड़ाया गया। कंपनी का कहना है कि इसमें इस्तेमाल किया गया बायोमीथेन गैस दो स्थानीय डेयरी फर्म के गाय के गोबर से बनाया गया है।
कंपनी ने आगे कहा कि हमने ऐसा इसलिए नहीं कर रहे है कि यह पर्यावरण के लिए अच्छा है बल्कि इस लिए कर रहे हैं कि यह स्थानीय स्तर पर आसानी से उपलब्ध हो सकता है और उत्पादित किया जा सकता है। यह सस्ता के साथ अच्छा और शुद्ध ईंधन है। कंपनी ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता है कि इसका पूरी दुनिया में इस्तेमाल किया जाएगा। लेकिन यह कहा जा सकता है कि आने वाले समय इसका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो सकता है।
कंपनी ने यह भी कहा कि आने वाले समय गाय के गोबर से बनने वाली गैस से अंतरिक्ष में सैटेलाइट को भी स्थापित किया जा सकता है। यह कंपनी किसानों के साथ मिलकर काम करती है। बता दें कि, अब तक गाय के गोबर का उपयोग देशी खाद बनाने,जैव उर्वरक तैयार करने, सहित अनुष्ठानों में उपयोग किया जाता रहा है। भारत में हिन्दू समाज गाय को पूज्य मानता है। हालांकि कुछ लोग इसका विरोध भी करते हैं।
Japan: गोबर से रॉकेट उड़ाने वाली इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज और एयर वॉटर फर्म का मानना है कि आने वाले समय में इस ईंधन का इस्तेमाल करके अंतरिक्ष में सैटेलाइट भी स्थापित की जा सकेंगी। ये फर्म स्थानीय किसानों के साथ मिलकर काम करती हैं, जिनके पास अपने खेतों पर गाय के गोबर को बायोगैस में संसाधित करने के लिए उपकरण हैं।
एयर वाटर बायोगौस को इकट्ठा करता है और फिर इसे रॉकेट ईंधन में बदल देता है। एयर वाटर के एक इंजीनियर टोमोहिरो निशिकावा ने कहा कि जापान के पास संसाधनों की कमी है,ऐसे में उसे घरेलू स्तर पर उत्पादित, कार्बन-न्यूट्रल ऊर्जा को सुरक्षित करना चाहिए। इस क्षेत्र की गायों से मिलने वाले गोबर में बहुत संभावनाएं हैं।
जापान की अंतरिक्ष एजेंसी JAXA ने सितंबर में अपना “मून स्नाइपर” मिशन लॉन्च किया था लेकिन एजेंसी के दो मिशन बीते दो साल में नाकामयाब रहे। जापान को एच3 और पिछले अक्टूबर में सामान्य रूप से विश्वसनीय ठोस-ईंधन एप्सिलॉन के प्रक्षेपण के बाद हुई दुर्घटनाओं से भी जापान को झटका लगा है।
जुलाई में एप्सिलॉन के उन्नत संस्करण एप्सिलॉन एस रॉकेट का परीक्षण लॉन्चिंग के 50 सेकेंड बाद एक विस्फोट हो गया था। ऐसे में बायोमीथेन जापान के स्पेस एजेंसी के लिए एक बड़ा सहारा बन सकता है।
Written By: Swati Singh
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