केंद्र सरकार द्वाराRohingya रिफ्यूजियों पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दिया गया है। अपने हलफनामें में मोदी सरकार ने कहा है कि “दुनिया की सबसे बड़ी आबादी और सीमित संसाधन वाले विकासशील देश के रूप में देश के लिए अपने नागरिकों को प्राथमिकता देना सबसे ज्यादा जरूरी है। वहीं, केंद्र ने आगे कहा है कि ऐसे में विदेशी रिफ्यूजी को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। सरकार का इशारा रोहिग्याओंसे था जो कि अवैधरूप से देश की सीमा में धुस आए है।”
केंद्र सरकार के होम मिनिस्ट्री की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि “अवैध घुसपैठियों का मामला नीतिगत है। फॉरनर्स एक्ट के तहत सरकार का दायित्व है कि वह अवैध घुसपैठी को उनके देश डिपोर्ट करे।”
केंद्र ने आगे यह भी बताया है कि “अवैध रोहिंग्या प्रवासियों को भारत में रहने का अधिकार मुहैया कराने के लिए दाखिल की जा रही अर्जियां अभिव्यक्ति की आजादी देने वाले संविधान के आर्टिकल 19 के खिलाफ हैं। आर्टिकल 19 सिर्फ भारतीय नागरिकों पर लागू हो सकता है। विदेशी नागरिकों पर नहीं…”
केंद्र सरकार ने इस मामले में सर्वानंद सोनोवाल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस का हवाला दिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि “बांग्लादेशी अवैध घुसपैठी भारत की सीमा में घुसकर असम व अन्य इलाकों में अवैध तरीके से रह रहे हैं और उन्हें भारत में रहने का कोई अधिकार नहीं है ऐसे में उन्हें उनके देश डिपोर्ट किया जाए।”
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के 2005 के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि “देश में रोहिंग्याओं का अवैध प्रवास और देश में उनका लगातार रहना न सिर्फ गैरकानूनी है बल्कि देश की सुरक्षा के लिए खतरा भी पैदा करता है। केंद्र ने अपने एफिडेविट में कहा है कि नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और म्यांमार से भारत की सीमा खुली हुई है, जबकि पाकिस्तान और श्रीलंका के साथ भारत का समुद्री रास्ता खुला हुआ है। इसकी वजह से अवैध प्रवास का खतरा लगातार बना रहता है।”
केंद्र सरकार ने बताया है कि “एक विदेशी नागरिक को सिर्फ अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार है। न की उसको भारत में निवास या बसने का मौलिक अधिकार है। भारत में रहने का अधिकार बस भारतीय नागरिकों के पास ही है।”
रोहिंग्या सुन्नी मुसलमान हैं जो म्यांमार के रखाइन प्रांत में रहते थे। बौद्ध आबादी वाले म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमान माइनॉरिटी में हैं। इनकी आबादी 10 लाख से कुछ ज्यादा बताई जाती है। लगातार सैन्य शासन के बाद थोड़े स्थिर हुए थे। आपको जानकारी के लिए बता दें कि भारत में जनगणना के दौरान रोहिंग्याओं को शामिल नहीं किया गया। उनको कहा गया था कि वे बांग्लादेश से यहां जबरन आए है और उन्हें वहीं वापस लौट जाना चाहिए।
Written By- Vineet Attri.
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