Shiv Sena Row: शिवसेना उद्धव ठाकरे की होगी या फिर एकनाथ शिंदे की होगी। इसका फैसला कल बुधवार 22 फरवरी को 3.30 बजे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद तय हो जाएगा। कोर्ट शिवसेना किसकी होगी इस पर अहम फैसला दे सकता है। हालंकि चुनाव आयोग ने पार्टी का नाम और निशान इस्तेमाल करने की परमिशन एकनाथ शिंदे कैंप को दी है।
Shiv Sena Row: आपको बता दें कि उद्धव गुट की तरफ से पार्टी और चुनावी निशान को लेकर ही सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी गई है। जिस पर कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा। वहीं एकनाथ शिंदे कैंप ने शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। इसके अलावा एकनाथ शिंदे गुट की ओर से कैबिनेट विस्तार पर भी मंथन हो सकता है।
गौरतलब है कि पिछले साल एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका देते हुए महाविकास अघाड़ी सरकार को गिरा दिया था। जब से ही उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच में बालासाहेब ठाकरे की विरासत को लेकर लड़ाई शुरू हो गई थी। उसके बाद दोनों ही गुटों ने चुनाव आयोग के सामने पार्टी के नाम और चुनाव निशान पर अपनी अधिकार जताया था। इस मामले में उद्धव ठाकरे गुट को अब तक सिर्फ निराशा हाथ लगी है।
बता दें कि एकनाथ शिंदे को चुनाव आयोग ने पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह का प्रयोग करने की इजाजत दे दी जिसके बाद जानकार ये मानकर चल रहे है कि शिंदे गुट अब शिवसेना के मैन ऑफिस के साथ ही पार्टी फंड के साथ ही अन्य शाखाओं पर अपना दावा पेश कर सकता है?
शिवसेना भवन को कई दशकों से राजनीतिक कार्यालय के रूप में इस्तेमाल किया गया है और ये एक सार्वजनिक ट्रस्ट की संपत्ति है, जिस पर दावा करना शिवसेना के दोनों गुटों के लिए आसान नहीं होगा। रिपोर्ट्स की मानें तो अब उद्धव ठाकरे के गुट को शिवसेना भवन पर अपना दावा बनाए रखने के लिए अपना पुख्ता दावा पेश करना होगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिवसेना की कई शाखाओं या स्थानीय कार्यालयों को शिवाई सेवा ट्रस्ट में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। राज्यसभा सांसद और उद्धव सेना के सचिव अनिल देसाई ने इंडिया टुडे को बताया कि “मुंबई के बाहर कई शाखाएं या तो शाखा प्रमुखों के स्वामित्व में हैं या ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय मंडलों और ट्रस्टों के पास हैं. इसलिए, उन पर कोई भी अन्य राजनीतिक दल दावा नहीं कर सकता है।“
शिवसेना का मुखपत्र ‘सामना‘ की शुरुआत शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे ने की थी। जहां पर इस मैगजीन को छापा जाता है वो कार्यालय किसी राजनीतिक दल का नहीं है। बल्कि प्रबोधन प्रकाशन नामक एक ट्रस्ट का है। ऐसे में साफ है कि इस पर भी किसी राजनीतिक दल का दावा नहीं होगा।
17 फरवरी, 2022 को शिवसेना द्वारा ECI के साथ दायर की गई वित्तीय वर्ष 2020-21 की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट से पता चला है कि पार्टी ने अनुदान, दान, योगदान, सदस्यता और प्रकाशनों की बिक्री के माध्यम से 13 करोड़ रुपये से अधिक की आय अर्जित की है। लेकिन, महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वो उद्धव सेना की किसी भी संपत्ति पर अपना दावा पेश नहीं करेंगे।
एकनाश शिंदे ने कहा, “जिन लोगों को संपत्तियों के लालच में लाया गया, उन्होंने 2019 में गलत कदम उठाया और मतदाताओं को धोखा दिया। हालांकि, हमें पार्टी की संपत्ति और फंड का लालच नहीं है और हम बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा को आगे बढ़ाना चाहते हैं।“
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