Bihar News: बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह के बयान ने संत समाज को रोष से भर दिया है। बुधवार (11 जनवरी) को इस मामले में अयोध्या के महंत जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने प्रतिक्रिया देते हुए गुस्से का इजहार किया। वो इतना गुस्से में थे कि उन्होंने शिक्षा मंत्री को बर्खास्त करने की मांग कर दी। महंत ने बताया कि बिहार के शिक्षा मंत्री ने जिस तरह से रामचरितमानस ग्रंथ को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया है। उससे पूरा देश आहत है और उन्होंने आगे कहा कि बिहार के शिक्षा मंत्री की जीभ काटने वाले को वो 10 करोड़ रुपये का इनाम देंगे।
Bihar News: महंत जगदगुरु परमहंस आचार्य ने कहा कि शिक्षा मंत्री का बयान निंदनीय है और यह बयान सनातनियों का घोर अपमान है। उनके इस बयान पर मैं कार्रवाई की मांग करता हूं कि एक सप्ताह के अंदर उनको इस पद से बर्खास्त कर दिया जाए। शिक्षा मंत्री को माफी मांगनी चाहिए और अगर ऐसा नहीं होता है तो मैं बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की जीभ काटने वाले को 10 करोड़ रुपये का इनाम देने की घोषणा करता हूं।
उन्होंने कहा कि इस तरह की टिप्पणी को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। संत ने रामचरितमानस के बारे में कहा कि “जोड़ने वाला ग्रंथ है, तोड़ने वाला नहीं बल्कि रामचरितमानस मानवता की स्थापना करने वाला ग्रंथ है। यह भारतीय संस्कृति का स्वरूप है और यह हमारे देश का गौरव है। रामचरितमानस पर ऐसी शर्मनाक टिप्पणी बर्दाश्त को नहीं किया जाएगा।
बता दें कि शिक्षा मंत्री ने नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करने के दौरान एक विवादित बयान दिया था। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान के बाद से ही संत समाज और हिंदुओं में गुस्सा और रोष देखा जा रहा है। उन्होंने छात्रों को संबोधित करने के दौरान रामचरितमानस और मनुस्मृति को समाज को बांटने वाली किताब बताया।
वो यहीं तक नहीं रूके उन्होंने आगे कहा कि “एक युग में मनुस्मृति, दूसरे युग में रामचरित मानस और तीसरे युग में गोलवलकर का बंच ऑफ थोट्स जैसी किताबों से समाज में नफरत फैलती है।”
Bihar News: शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि “मनुस्मृति को क्यों जलाया गया था क्योंकि इसमें कई बड़े तबके के खिलाफ कई गालियां दी गई थी। निचली जाति के लोगों को शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी और रामचरितमानस में कहा गया है कि निम्न जाति के लोग शिक्षा प्राप्त करने से वैसे ही जहरीले हो जाते हैं जैसे दूध पीने के बाद सांप हो जाता है और नफरत देश को महान नहीं बनाती है जब भी महान बनाएगी तो मोहब्बत ही बनाएगी।”
भाजपा के ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव निखिल आनंद ने शिक्षा मंत्री के बयान पर भड़कते हुए कहा कि रामचरितमानस पर बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर का बयान निंदनीय है। उन्होंने आगे कहा कि “सबसे आश्चर्य की बात यह है कि शिक्षा मंत्री नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में बोल रहे हैं जहां उन्होंने धार्मिक घृणा पर आधारित ऐसी मूर्खतापूर्ण राय पेश की।”
Bihar News: उन्होंने कहा कि “राजद नेता तेजस्वी यादव को अपने नेता के बयान पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए और इस देश के हिंदुओं से माफी मांगनी चाहिए।” इधर, भाजपा के प्रवक्ता संतोष पाठक ने इस बयान को निंदनीय बताते हुए कहा कि “राजद वोट बैंक को खातिर शुरू से ही अपमान की भाषा बोलती रही है।”
उन्होंने आगे कहा कि “पहले भी राजद के नेता भूरा बाल (भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और कायस्थ) को साफ करने की बात करते थे, आज उनके नेता रामचरित मानस का अपमान कर साफ कर दिया कि ये वोटबैंक की खातिर कुछ भी कर सकते हैं।”
वहीं कवि कुमार विश्वास ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह के रामचरित्र मानस पर दिए गए शर्मनाक बयान पर तंज कसते हुए कहा कि “आदरणीय नीतिश कुमार जी… भगवान शंकर के नाम को निरर्थक कर रहे आपके अशिक्षित शिक्षा मंत्री जी को शिक्षा की अत्यंत-अविलंब आवश्यकता है।आपका मेरे मन में अतीव आदर है।इसलिए इस दुष्कर कार्य के लिए स्वयं को प्रस्तुत कर रहा हूँ।इन्हें “अपने अपने राम” सत्र में भेजें ताकि इनका मनस्ताप शांत हो!
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