Swami Swaroopanand Saraswati: आज मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर स्थित आश्रम में शाम चार बजे, द्वारका-शारदा पीठ और ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया जाएगा। उन्हें आश्रम में समाधि दिलवाई जाएगी।
Swami Swaroopanand Saraswati: आपको बता दें कि बीते रविवार 11 सितंबर दोपहर करीब साढ़े तीन बजे 99 साल की उम्र में द्वारका-शारदा पीठ और ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का निधन हो गया था। नरसिंहपुर के आश्रम में उन्होंने अंतिम सांस ली।
उनको हिंदुओं के सबसे बड़े धर्मगुरु का सम्मान प्राप्त था और शंकराचार्य के निधन से पूरे देश में शोक की लहर है। पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ समेत देश की कई बड़ी हस्तियों ने शंकराचार्य के निधन पर शोक व्यक्त किया था।
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के पार्थिव शरीर को आज नरसिंहपुर के परमहंसी गंगा आश्रम में भू-समाधि दिलाई जाएगी। फिलहाल परमहंसी गंगा आश्रम के पास मणिदीप आश्रम में शंकराचार्य का पार्थिव शरीर रखा गया है, जहां उनके अंतिम दर्शन के लिए भक्तों की तांता लगा हुआ है।
बताया ये जा रहा है कि समाधि स्थल की खुदाई का काम पूरा हो गया है और शंकराचार्य के पार्थिव शरीर को पालकी में बैठाकर समाधि स्थल तक लाया जाएगा और उम्मीद की जा रही है आश्रम में कई गणमान्य लोग के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ उनकी भू समाधी के दौरान उपस्थित रह सकते हैं।
भू-समाधि देने का विधान शैव, नाथ दशनामी, अघोर और शाक्त परंपरा के साधू-संतों के लिए है। पार्थिव शरीर को सिद्धासन की मुद्रा में बैठाकर भूमि में दफना दिया जाता है। आम तौर पर संतों की पार्थिव देह को उनके गुरु की समाधि के पास या उनके मठ में ही दफनाया जाता है।
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म 2 सितंबर 1924 को मध्य प्रदेश के सिवनी जिले दिघोरी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था और उनके माता-पिता ने उनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा था।
महज नौ वर्ष की उम्र में वह घर छोड़ धर्मयात्रा पर निकल गए थे और उन्होंने काशी में करपात्री महाराज से वेदांत की शिक्षा ली थी। जब वो युवा थे, उस समय देश में आजादी के लिए आंदोलन चल रहे थे।
शंकराचार्य बनने से पहले उन्होंने देश के प्रति अपने दायित्व को अच्छे से निभाते हुए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में भी योगदान दिया और 19 वर्ष की उम्र में वह क्रांतिकारी साधु के तौर पर पहचाने जाने लगे थे। जो देश को नौजवानों को आजादी कि लड़ाई में आगे आकर अपना योगदान देने के लिए प्रेररित कर रहे थे।
आप को बता दें कि आजादी की लड़ाई में वह जेल भी गए। स्वरूपानंद सरस्वती ने अयोध्या के राम मंदिर निर्माण के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और वर्ष 1981 में स्वरूपानंद सरस्वती को शंकराचार्य की उपाधि मिली थी।
ये भी पढ़े…
Loksabha Election 2024:पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है। दूसरे चरण की…
IPL 2024:इंडियन प्रीमियर लीग 2024 का 42 वां मुकाबला कोलकाता नाइट राइडर्स और पंजाब किंग्स…
IPL 2024:इंडियन प्रीमियर लीग 2024 का 41 वां मुकाबला सनराइजर्स हैदराबाद और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर…
Akhilesh Yadav Nomination: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरुवार को कन्नौज लोकसभा सीट…
PM Modi: दूसरे चरण की वोटिंग के लिए प्रचार का शोर थमने के बाद अब…
IPL 2024: इंडियन प्रीमियर लीग 2024 का 41 वां मुकाबला सनराइजर्स हैदराबाद और रॉयल चैलेंजर्स…