UP News: उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े माफिया सरग़ना मुख़्तार अंसारी को पहली बार उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा 7 साल की सजा सुनाई गई है। यह मामला 19 वर्ष पुराना है। इस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी बृजलाल ने बड़े चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इसे लेकर के उन्होंने एक ट्वीट भी किया है, जो अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
UP News: वह लिखते हैं। मुख़्तार लखनऊ जेल में बंद था, उसके बहुत से गुर्गे जेल में बिना तलाशी दिये उससे मिलना चाहते थे। तेजतर्रार जेलर एसके अवस्थी ने जेल मैनुएल के अनुसार ही तलाशी देने के बाद ही मिलने का आदेश दिया। इसी बात को लेकर मुख़्तार का पारा चढ़ गया और उसने एक गुर्गे का रिवाल्वर लेकर जेलर अवस्थी पर तान दिया और बोला “अपने को बड़ा ऊंचा समझने लगे हो, जेल से बाहर निकलो, जान से मरवा दूँगा।”
घटना के बाद जेलर द्वारा मुक़दमा लिखवाया गया था। यह मुक़दमा ज़िला स्तरीय न्यायालय से छूट गया। उसके बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा उच्च न्यायालय में अपील की गयी , जिस पर मुख़्तार अंसारी को सात साल की सजा दी गयी है। हालांकि यह पहला मौका नहीं था कि जब मुख़्तार ने किसी को धमकी दी हो। बात वर्ष 1999 की है। अंसारी लखनऊ जेल में बंद था। जेल अधीक्षक रमाकान्त तिवारी इसकी मनमानी नहीं चलने दे रहे थे। एक दिन वह अंसारी ने कुछ इसी तरह रमाकान्त तिवारी को धमकी दे डाली। इसके बाद जेल अधीक्षक ने इस घटना का मुंहतोड़ जवाब दिया।
मुख़्तार ने उन्हें भी जान से मारने की धमकी देते हुए कहा कि जेल से बाहर निकलो, नहीं तो गोली मरवा दूँगा। इसके बाद जेल अधीक्षक रमाकान्त तिवारी अपनी जीप से राजभवन लखनऊ के सामने से गुज़रे। इस दौरान मुख़्तार के शूटर जीप से उनका पीछा कर रहे थे। वे राजभवन के 200 मीटर दूर डीएसओ चौराहे पर पहुंचे ही थे क़ि मुख़्तार के एक दर्जन गुर्गों ने उन्हें गोली मारकर छलनी कर दिया और इस हमले में जेलर तिवारी के साथ उनके ड्राइवर राकेश कुमार सिंह की मौत हो गई।
UP News: वर्ष 2003 में हुए इस सनसनी खेज़ दोहरे हत्या कांड से भी मुख्तार अंसारी बरी हो गया। इसके आतंक के कारण गवाह टूट गये और मुख़्तार के साथ सभी गुर्गे भी बरी हो गये। मुख़्तार का पूरा कुनबा ही आपराधिक छबि का है। मुख़्तार पर कुल 60 हत्या, अपहरण, लूट, डकैती, TADA, गैंगस्टर ऐक्ट आदि के मामले क़ायम है, जिसमें 19 मामले अभी भी न्यायालय में चल रहे हैं। इसके बड़े भाई सांसद अफ़जाल अंसारी पर 8, पत्नी अफ़सा अंसारी पर 6, पुत्र अब्बास अंसारी पर 7,और छोटे पुत्र उमर अंसारी पर 5 मुक़दमे क़ायम है।
योगी आदित्यनाथ 2017 में मुख्यमंत्री बने, तो मुख़्तार के लिए जेल आशियाना नहीं रहा और उसने पंजाब में अपने ऊपर एक फ़र्ज़ी मुक़दमा लिखवाकर पंजाब के जेल में पहुंच गया। कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के सहयोग से, पंजाब जेल उसका आशियाना बन गया। उत्तर प्रदेश की न्यायालयों से कई बार उसे यूपी के मुक़दमों के लिए पेश होने के लिए लिखा गया, परंतु पंजाब सरकार उसे यूपी न भेजने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुँच गयी। योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट में मुक़दमा जीत कर उसे यूपी वापस लायी और उसे बांदा की जेल में डाल दिया गया।
अब योगी सरकार के सख्त रवैये से मुख्तार अंसारी और उसके गुर्गों को साफ हो गया है कि योगी राज में गवाह टूटने वाले नहीं है और उसके ऊपर चल रहे मुक़दमों में सजा होना स्वाभाविक है। उसके परिजनों का भी वही हाल होना है। यही कारण है कि उसकी अपराध से कमाई गयी 500 करोड़ से अधिक सम्पत्तियों को या तो कुर्क कर लिया गया या योगी सरकार में बुलडोजर चला दिया गया।
लेखक- बृजलाल(पूर्व डीजीपी, उत्तर प्रदेश)
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