मेरी कलम से

Honest Story: माँ की मौत के बाद रोजाना बनाईं 500 रोटियां, 15 वर्ष की उम्र में शादी, 21 में हुआ तलाक, पढ़िए स्टंट वुमन की संघर्ष भरी कहानी

Honest Story: जब हौंसलों में हों उड़ान तो कौन क्या नहीं कर सकता। जब इच्छायें हों बुलंदियों को छूने की तो हर असंभव सा लक्ष्य संभव हो जाता है और ऐसा ही हुआ राजस्थान के शहर कोटा की गीता टंडन ने असंभव को संभव बना दिया, उनके जज्बे को सलाम। इनके जीवन की ऐसी मार्मिक कहानी है, जिसे सुन आप भी भावुक हो जायेंगे। ये कहानी उन लोगों के लिए सबब बन सकती है, जो जिंदगी में कुछ कर गुजरने की चाह रखते हैं। गीता टंडन के जीवन से जुड़ी ये कहानी उन्हें भी पढ़नी चाहिए, जो बोलते हैं, कि हमसे कुछ नहीं हो पायेगा।

गीता टंडन के जीवन से जुड़ी कहानी

गीता बताती हैं, वह दो बहन व दो भाई हैं। राजस्थान के कोटा में जन्म के बाद पूरे परिवार के साथ पिता मुंबई शिफ्ट हो गये। सन 1994 ई. में गीता 9 वर्ष की थी, तभी उनकी माँ की मौत हो गई। यहीं से शुरू हो जाती है, गीता के जीवन की संघर्ष भरी कहानी। माँ के खत्म होने के साथ खत्म हो गया व प्यार दुलार जो माँ से मिलता था। गीता 15 वर्ष की हुई ही थी, कि तमाम तरह की बातों से बचने के लिए पिता ने शादी कर दी गीता को लगा अच्छा घर-परिवार मिलेगा तो सबकुछ अच्छा हो जायेगा, लेकिन दुर्भाग्य ऐसा हो नो सका। शादी हुई गृहक्लेश शुरू हो गया, गीता को ससुरालीजन प्रताड़ित करने लगे।

Honest Story: उम्र 19 वर्ष होते-होते दो बच्चे हो गये, गीता को लगा शायद अब सब ठीक हो जायेगा। लेकिन गीता को प्रताड़ित करने की सीमा ससुरालीजन लांघ चुके थे। परेशान गीता अपनी बहन के यहां चली गई, पति वहां से मार-पीटकर घर ले आया, फिर परेशान करना शुरू कर दिया। अंत में ये हुआ कि गीता की 21 वर्ष होते-होते तलाक हो गया और अब वो बेसहारा हो चुकी थी। फिर परेशान होकर खयाल आता है, कि क्यों न आत्महत्या कर ली जाये। लेकिन गीता को बीता हुआ कल याद आ जाता है, कि मैं खत्म हो गई मेरे बच्चों का भी हाल मेरे जैसा ही हो जायेगा।

बेसहारा ने छू ली बुलंदी

गीता दो बच्चों के साथ कई दिनों तक गुरुद्वारे में रही। फिर बहन के यहां रहने लगी। पढ़ी-लिखी न होने के कारण कोई नौकरी नहीं देता था। गीता अपनी बहन के साथ हर रोज सुबह-सुबह ऑफिस के चक्कर लगाती थी कि कहीं कोई काम मिल जाए, लेकिन कई महीनों के बाद भी कोई काम नहीं मिला। एक दिन चलते-चलते रास्ते में एक मेस दिखा। वहां रोटी बनाने का काम मिल गया। हर रोज 250 रोटियां सुबह और 250 रोटियां शाम को बनाती थी। यहां काम बस इसलिए करती थी कि वह घर पर खाना ले जा सके।

उसी दौरान पापा को पैरालिसिस अटैक हो जाने के कारण कुछ महीने बाद वह लोग दूसरी जगह शिफ्ट हो गए। वहां गीता देखती थी कि हर रोज कुछ लड़कियां तैयार होकर कहीं जाती थीं। एक दिन वह भी उनके साथ चली गई। स्पा सेंटर में काम करना था। एक दिन में ही छोड़कर चली आई। चलते वक्त उसके मालिक ने कहा, ‘पति है नहीं। क्या करोगी जिंदगी में इन चीजों के अलावा।’ गीता सोच में पड़ गई, कि क्या जिसका पति नहीं होता, तलाक हो जाता है, पति-बच्चों की मौत हो जाती है। तो क्या एक औरत गलत काम करके ही पैसे कमा सकती है?

Honest Story: बड़े संघर्ष के बाद गीता को एक काम मिला। जागरण की कोई शूटिंग थी, उसमें खड़ा होना था। शाम को शूटिंग खत्म होने के बाद 400 रुपए मिले। वह चौंक गई। वहीं पर गीता की पहचान कुछ ऐसे लोगों से हुई, जो फिल्मों में स्टंट करते थे। उनमें से एक ने गीता से कहा, तुम लड़कों जैसी हो। स्टंट का काम किया करो। पैसे भी मिलेंगे और काम भी।’ चूंकि नाचने का काम सीजन के हिसाब से होता था, तो गीता ने कम्युनिटी जॉइन कर ली।

अब बनती हैं स्टंट वुमन

गीता ने स्टंट को बतौर करियर चुन लिया। गीता अपने बच्चों को घर में बंद करके शूटिंग पर जाती थी। घर का खर्च, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई सब कुछ इसी से चलने लगा। जिस वक्त गीता इस इंडस्ट्री में आई थी वह साल 2008 था, तो लड़कियों से स्टंट नहीं करवाए जाते थे। बहुत कम लोग थे। जब सेट पर स्टंट के लिए जाती थी, तो लोग बोलते थे, लड़की है नहीं कर पाएगी। गीता ने बताया स्टंट के दौरान अब तक दो बार चेहरा जल चुका है।

Honest Story: तीन बार स्पाइनल फ्रैक्चर हो चुका है, लेकिन मुझे पता है कि सिर्फ इसी काम में अपना 100% दे सकती हूँ। इसी से घर चलता है। आज गीता कई सीरीज के लिए काम कर रही हैं। फायर ब्रिगेड बेस्ड स्टोरी आ रही है, उसमें स्टंट करती नजर आयेंगी। हिंदी फिल्मों, सीरियल्स के अलावा बंगाली और साउथ की फिल्मों में भी स्टंट करती हैं। गीता को एक्टिंग का भी शौक रहा है, लेकिन उस तरह के कभी अच्छे रोल नहीं मिले। यदि मिलेंगे तो जरूर करेंगा।

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Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।

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