Asian Games: चीन के हांग्जो में खेले जा रहे एशियाई पैरा गेम्स 2023 में बुधवार को भारत को बड़ी कामयाबी मिली। पुरुषों की जेवलिन एफ64 स्पर्धा में पैरा एथलीट सुमित अंतिल ने स्वर्ण पदक जीता। इसी स्पर्धा में पुष्पेंद्र सिंह ने कांस्य पदक जीता। सुमित अंतिल ने गोल्ड मेडल जीतने के साथ ही नया वर्ल्ड और पैरा एशियाई खेलों का रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने 73.29 मीटर दूर भाला फेंका। पुष्पेंद्र सिंह ने 62.06 मीटर दूर भाला फेंककर कांस्य पदक पर कब्जा जमाया। श्रीलंका के समिता अराचचिगे कोडिथुवाकु (64.09) को रजत पदक मिला।
Asian Games: सुमित ने 73.29 मीटर के प्रयास के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया है। उन्होंने 70 .83 मीटर के अपने ही विश्व रिकॉर्ड में सुधार किया जो उन्होंने इस साल पेरिस में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने के दौरान बनाया था।
Asian Games: 25 साल के सुमित ने 70 .83 मीटर के अपने ही विश्व रिकॉर्ड में सुधार किया जो उन्होंने इस साल पेरिस में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने के दौरान बनाया था।
Asian Games: एथलीट सुमित ने भाला फेंक ने 73.29 मीटर के उल्लेखनीय थ्रो के साथ नए विश्व, पैरा एशियाई और खेलों के रिकॉर्ड स्थापित करते हुए स्वर्ण पदक जीता। एक अन्य मुकाबले में नारायण ने एशियाई पैरा गेम्स 2022 में पुरुषों की 200 मीटर टी35 स्पर्धा में प्रभावशाली 29.83 सेकंड का समय लेते हुए भारत के लिए कांस्य पदक जीता। वहीं श्रेयांश त्रिवेदी ने टी-37 200 मीटर स्पर्धा में 25.26 सेकंड के समय के साथ कांस्य पदक जीता। सुमित ने तोक्यो पैरालंपिक की पुरुष भाला फेंक एफ64 स्पर्धा में 68.55 मीटर के प्रयास से स्वर्ण पदक जीता था, जो तत्कालिन विश्व रिकॉर्ड था।
Asian Games: भारत के 17 वर्षीय पैरा एथलीट हैनी ने पुरुषों की जेवलिन थ्रो थ्रो-F37/38 फ़ाइनल में शीर्ष स्थान प्राप्त करके देश के लिए ग्यारहवां गोल्ड जीता। हैनी ने अपने तीसरे प्रयास में 55.97 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो किया, जो 46.28 मीटर के पिछले स्कोर को तोड़ते हुए गेम रिकॉर्ड भी बना दिया। अन्य भारतीय पैरा एथलीट बॉबी इसी स्पर्धा में छठे स्थान पर रहे। उन्होंने 42.23 मीटर का थ्रो किया था। पैरा एशियाई खेल, एशियाड, भारत के लिए 11वां गोल्ड मेडल है।
Asian Games: सुमित आंतिल का जन्म 7 जून 1998 को सोनीपत के गांव खेवड़ा में हुआ। सुमित जब सात साल के थे, तब एयरफोर्स में तैनात पिता रामकुमार का बीमारी से निधन हो गया था। पिता का साया सिर से उठने के बाद मां निर्मला ने हर दुख सहन करते हुए चारों बच्चों का पालन-पोषण किया। सुमित जब 12वीं कक्षा में थे तो कॉमर्स का ट्यूशन लेते थे।
5 जनवरी 2015 की शाम को वह ट्यूशन लेकर बाइक से वापस आ रहे थे, तभी सीमेंट के कट्टों से भरी ट्रैक्टर-ट्राली ने सुमित को टक्कर मार दी थी और काफी दूर तक घसीटते हुए ले गई थी। इस हादसे में सुमित को अपना एक पैर गंवाना पड़ा था। कई महीनों तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद सुमित को वर्ष 2016 में महाराष्ट्र के पूना ले जाया गया था, जहां उसका पैर चढ़ाया गया था। उसके बाद से वह सदैव आगे ही बढ़ते जा रहे हैं।
Written By: Vineet Attri
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