Anurag Thakur: देश के 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह विशेष अदालतें बनाई जानी थी। जिसके लिए केंद्र सरकार ने फंडिंग की, लेकिन अब तक 754 विशेष अदालतें ही बनाई जा सकी हैं। कई राज्यों ने विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की बात कही थी लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाईं। 31 मार्च को केंद्र सरकार की यह योजना समाप्त हो गई लेकिन कानून मंत्रालय के न्याय विभाग ने योजना के लिए आगे भी फंडिंग जारी रखने की अनुमति सरकार से ले ली है।
Anurag Thakur: अब केंद्र सरकार अगले तीन साल तक इस योजना को जारी रखेगी लेकिन अब 1023 की जगह 790 विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट ही बनाए जाएंगे। इन विशेष अदालतों पर सालाना 65-165 मामले निपटाने की जिम्मेदारी होती है और एक फास्ट ट्रैक के संचालन पर सालाना करीब 75 लाख रुपये का खर्च आता है।
Anurag Thakur: फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट में रेप और पास्को के तहत केसों की त्वरित सुनवाई होती है। केस की सुनवाई के लिए कोर्ट नियमित रूप से लगती है और कम से कम समय में सबूतों के आधार पर केस का फैसला सुनाती है।
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