#WATCH दिल्ली: केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, “मंत्रिमंडल ने आज रेप और POCSO एक्ट से संबंधित केसों की त्वरित सुनवाई के लिए चलाई जा रही फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट की योजना को 3 वर्षों तक जारी रखने की स्वीकृति दी है…” pic.twitter.com/YvDERhCWaK
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 29, 2023
विशेष फास्ट ट्रैक अदालतों को जारी रखने की मंत्रिमंडल से की थी मांग
साल 2018 के बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट की योजना की हुई थी शुरूआत
Anurag Thakur: 31 मार्च को खत्म हो गई थी फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट की योजना
Anurag Thakur: देश के 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह विशेष अदालतें बनाई जानी थी। जिसके लिए केंद्र सरकार ने फंडिंग की, लेकिन अब तक 754 विशेष अदालतें ही बनाई जा सकी हैं। कई राज्यों ने विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की बात कही थी लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाईं। 31 मार्च को केंद्र सरकार की यह योजना समाप्त हो गई लेकिन कानून मंत्रालय के न्याय विभाग ने योजना के लिए आगे भी फंडिंग जारी रखने की अनुमति सरकार से ले ली है।
फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट पर सालाना 65-165 मामले…
Anurag Thakur: अब केंद्र सरकार अगले तीन साल तक इस योजना को जारी रखेगी लेकिन अब 1023 की जगह 790 विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट ही बनाए जाएंगे। इन विशेष अदालतों पर सालाना 65-165 मामले निपटाने की जिम्मेदारी होती है और एक फास्ट ट्रैक के संचालन पर सालाना करीब 75 लाख रुपये का खर्च आता है।
फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट कैसे करता है काम?
Anurag Thakur: फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट में रेप और पास्को के तहत केसों की त्वरित सुनवाई होती है। केस की सुनवाई के लिए कोर्ट नियमित रूप से लगती है और कम से कम समय में सबूतों के आधार पर केस का फैसला सुनाती है।