RSS: आजादी के 75 वें महोत्सव को लेकर प्रधानमंत्री ने हर-घर तिरंगा की मुहिम चलाई है, लेकिन इसी बीच तिरंगा को लेकर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरएसएस का सीधा नाम न लेकर एक संगठन लिखकर निशाना साधते हुए ट्वीट कर लिखा है, कि जिस तिरंगे के लिए हमारे देश के कई लोग शहीद हुए, उस तिरंगे को एक संगठन ने अपनाने से मना कर दिया, 52 सालों तक नागपुर में अपने मुख्यालय पर तिरंगा नही फहराया, लगातार तिरंगे को अपमानित किया गया और आज उसी संगठन से निकले हुए लोग तिरंगे का इतिहास बता रहे हैं, ‘हर घर तिरंगा’ मुहिम की योजना बना रहे हैं।
राहुल गांधी ने कहा कि आरएसएस ने अपने मुख्यालय पर आजादी के 52 साल बाद तक तिरंगा नहीं फहराया और अब यह सब ‘पांखड’ किया जा रहा है। आपको बता दें कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश के लोग दुखी थे। 4 फरवरी 1948 में केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी कर कहा था कि जो देश की आजादी को खतरे में डालने का काम कर रहे हैं, उन्हें सरकार जड़ से उखाड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी के तहत आरएसएस को गैरकानूनी घोषित करने का फैसला किया गया है।
RSS: देश के तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 1948 में आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिए थे। हालांकि संघ के दूसरे सरसंघचालक माधवराव गोलवलकर की लिखी दो बार चिट्ठियों व मुलाकात के बाद पटेल ने 11 जुलाई 1949 में संघ से प्रतिबंध हटा दिया था। लेकिन पटेल ने शर्त के साथ शपथ दिलाई कि भारतीय ध्वज और संविधान के प्रति वफादार रहना है, तब प्रतिबंध हटाया था।
आरएसएस सूत्रों के अनुसार, संघ ने 15 अगस्त 1947 और 26 जनवरी 1950 को तिरंगा फहराया था। इसके बाद आरएसएस ने तिरंगा 2002 तक नहीं फहराया था। संघ के जानकार राकेश सिन्हा तिरंगा को लेकर राजनीति करने पर कांग्रेस को घेरते हुए कहा, कि तिरंगा हमारी साझी विरासत है। इसका विरोध नहीं किया जाना चाहिए। राष्ट्रवादी संस्कार कांग्रेस को सुहाता नहीं है। आरएसएस ने राहुल गांधी को गंभीरता से लेना बंद कर दिया है।
आरएसएस ने 1930 से झंडे का अभिनंदन कर रही है। संघ में राष्ट्रभक्ति पहला और अंतिम शब्द है। आरएसएस शुरू से भारतीय अखंडता दिवस मनाता रहा है। कांग्रेस के पास इतिहास बोध नहीं है। इसका इतिहास बोध नेहरू-गांधी तक ही सीमित है।
दरअसल, आरएसएस पर पहले से ही तिरंगा को मन से न अपनाने का आरोप लगता रहा है। सरसंघचालक गोलवलकर पर लिखी पुस्तक गोलवलकर, श्री गुरुजी समग्र दर्शन, भारतीय विचार साधना, नागपुर खंड-1 पृष्ठ 98 में उनके भारतीय ध्वज को लेकर विचार लिखे हुए हैं।
इसमें लिखा है, कि हमारी महान संस्कृति का परिपूर्ण परिचय देने वाला प्रतीक स्वरूप हमारा भगवा ध्वज है जो हमारे लिए परमेश्वर का रूप है। इसी परम वंदनीय ध्वज को हमने अपने गुरुस्थान में रखना उचित समझा है। यह हमारा ढृढ़ विश्वास है, कि अंत में इसी ध्वज के समक्ष सारा राष्ट्र नतमस्तक होगा। इन्हीं बातों को लेकर विरोधी बीजेपी और आरएसएस को तिरंगा विवाद में घेर रहे हैं।
आपको बता दें, कि हाल ही हर-घर तिरंगा की मुहिम शुरू कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी देशवासियों से अपनी सोशल मीडिया खातों की प्रोफाइल पर 15 अगस्त तक तिरंगा लगाने की अपील की है। उसी को ध्यान रखते हुए कुछ लोग आलोचना करते हुए बोल रहा हैं, कि आरएसएस ने अपने सोशल मीडिया खातों पर तिरंगे की तस्वीर नहीं नहीं लगाई हैं।
RSS: इसी का जवाब देते हुए संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि ऐसी चीजों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। आरएसएस पहले ही ‘हर घर तिरंगा’ और ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रमों को समर्थन दे चुका है। संघ ने जुलाई में सरकारी और निजी निकायों और संघ से जुड़े संगठनों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में लोगों तथा स्वयंसेवकों के पूर्ण समर्थन और भागीदारी की अपील की थी।
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