Hijab Vivad: हिजाब की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंची है। हिजाब मामले में अगली सुनवाई 12 सितंबर को होगी। गुरूवार 8 सितंबर को याचिकाकर्ता के वकील निजामुद्दीन पाशा ने अजीबोगरीब दलील देते हुए कहा कि इस्लाम के पांच मूल सिद्धांत हैं, नमाज, हज, रोजा, जकात और ईमान होते है। लेकिन इन पांचों सिद्धांतों का पालन करने की अनिवार्यता इस्लाम में जरूरी नहीं है की हो या आपको करना ही हैं।
इस पर जस्टिस हेमंत गुप्ता की अगुवाई वाली पांच जजों की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि जब अनिवार्यता नहीं है तो आप हिजाब के अनिवार्यता की बात क्यों कर रहे हैं। वकील ने कहा कि अगर कोई इन सिद्धांतों पर अमल नहीं करता है तो उसे सजा नहीं मिलती है।
वकील पाशा की दलील पर जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि अगर सजा के अभाव की वजह से पांच सिद्धांतों का पालन करना बाध्यकारी नहीं है तो सवाल वाजिब है कि शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने की जरूरक क्या है?
Hijab Vivad: अदालत की इस टिप्पणी पर याचिकाकर्ता के वकील पाशा ने कहा कि बाध्यकारी नहीं होने का मतलब यह नहीं है कि पंच सिद्धांतों को मानना जरूरी नहीं है।
उन्होंने सिख समाज के छात्रों द्वारा पगड़ी पहन कर स्कूल या कॉलेज में जाने की दलील पेश की। इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिख धर्म में पंच ककार अनिवार्य है और उस समाज से जुड़े लोग पालन करते हैं। जहां तक कृपाण की बात है उसके बारे में संविधान में भी जिक्र है।
इससे पहले अदालत के सामने वकील निजामुद्दीन पाशा ने आजीबोगरीब दलील देना जारी रखा। उन्होंने कहा कि नथुनी, झुमका और जनेऊ का जिक्र किया तब कोर्ट ने साफ किया कि विद्वान वकील को अतार्रिक दलीलों को देने से बचना चाहिए। आप अपने तर्कों को अच्छे तरह से पेश कर सकते हैं।
पीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि “सवाल यह है कि कोई भी आपको हिजाब पहनने से नहीं रोक रहा है और आप इसे जहां चाहें पहन सकते हैं। प्रतिबंध सिर्फ़ स्कूल में है औऱ हमारी चिंता केवल इसको लेकर है।“
आपको बता दें कि कर्नाटक के उप्पिनंगडी गवर्नमेंट प्री–यूनिवर्सिटी कॉलेज में हिजाब पहनकर कॉलेज पहुँची 6 छात्राओं को निलंबित कर दिया था। कई बार प्रिंसिपल के चेताए जाने के बावजूद ये छात्राएँ कॉलेज में हिजाब पहनकर पहुँची थीं। इसलिए कॉलेज के प्रिसिंपल ने स्टाफ की मीटिंग के बाद इन छात्राओं को बर्खास्त करने का फैसला लिया।
कॉलेज प्रशासन के मुताबिक, इन छात्राओं को 1 हफ्ते के लिए इसलिए निलंबित किया गया, क्योंकि उन्हें आशंका थी कि इससे अन्य छात्राओं को भी विरोध के लिए उकसाया जा सकता है।
Hijab Vivad: आगे ये भी बतातें है कि हिजाब पर रोक के बावजूद कर्नाटक के दूसरे कॉलेज में गुरुवार को भी 16 छात्राएँ हिजाब पहनकर पहुँची थीं। हम्पनाकट्टे के पास मंगलुरु यूनिवर्सिटी के कॉलेज में हिजाब पहनकर पहुँची इन छात्राओं ने क्लास करने की अनुमति माँगी थी। कॉलेज की प्रिंसिपल ने उन छात्राओं को कक्षाओं में जाने से मना कर दिया और उन्हें वापस भेज दिया।
छात्राओं ने जिला आयुक्त के कार्यालय जाकर इसकी शिकायत की थी कि उन्हें हिजाब पहनकर कक्षाओं में नहीं बैठने दिया जा रहा है। इसके बाद डीसी ने उन्हें कॉलेज की रूलबुक, सरकार और कोर्ट के आदेशों का पालन करने के लिए कहा था।
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