President: द्रोपदी मुर्मू राष्ट्र की पहली आदिवासी व दूसरी महिला राष्ट्रपति चुनी गई हैं। द्रोपदी मुर्मू 25 जुलाई को राष्ट्र के 15 वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगी। ऐसा पहली बार हुआ कि राष्ट्रपति चुने जाने पर विजय जुलूस निकाला गया। पीएम मोदी ने द्रोपदी मुर्मू के आवास पर पहुंचकर बधाई दीं।
वहीं देशभर में जश्न के साथ बधाईयां देने का सिलसिला जारी है। लेकिन आज आपको हम बताते हैं, द्रौपदी मुर्मू के पार्षद से लेकर राष्ट्रपति बनने तक का सफर और 65 वर्ष के संघर्षमयी जीवन की दर्दभरी कहानी।
द्रौपदी टुडू भुवनेश्वर से स्नातक की पढ़ाई कर रही थीं। उस समय अपने गांव उपरवाड़ा (मुर्मू का मायका) से भुवनेश्वर जाकर पढ़ने वाली वे इकलौती लड़की थीं। पहले वह आदिवासी आवासीय विद्यालय में पढ़ीं और उसके बाद स्नातक की पढ़ाई के लिए भुवनेश्वर के रामा देवी वुमंस कॉलेज में दाखिला लिया।
उन्हीं दिनों श्याम चरण मुर्मू से उनकी मुलाकात हुई। श्याम चरण भी भुवनेश्वर के एक कॉलेज से पढ़ाई कर रहे थे। फिर दोनों में प्रेम हुआ। इसके बाद श्याम द्रौपदी के घर विवाह का प्रस्ताव लेकर पहुंचे। यह बात 1980 की है।
पिता बिरंची नारायण टुडू को श्याम चरण मुर्मू और द्रौपदी के प्रेम के बारे में जब पता चला तो वे द्रौपदी से गुस्सा हो गए। वे इस रिश्ते से खुश नहीं थे, लेकिन श्याम भी अपने गांव पहाड़पुर से ठानकर आए थे, कि द्रौपदी से संबंध पक्का करके ही जाएंगे। श्याम अपने गांव के रिश्ते के चाचा लक्ष्मण बासी, अपने सगे चाचा और गांव के दो-तीन लोगों को लेकर द्रौपदी के गांव पहुंचे थे।
President: अपने रिश्तेदारों के साथ तीन-चार दिन के लिए उपरवाड़ा गांव में ही श्याम ने डेरा डाल लिया था। उधर द्रौपदी ने भी मन बना लिया था कि शादी करुंगी तो उन्हीं से। आखिरकार सब राजी हो गए। शादी पक्की हो जाती है। आदिवासियों में लड़के के घर वाले ही रिश्ता लेकर जाते हैं।
आज से करीब 42 वर्ष पहले फिर यही पहाड़पुर गांव द्रौपदी टुडू का ससुराल बन गया। वो पहले द्रौपदी टुडू थीं, श्याम से शादी के बाद द्रौपदी मुर्मू हो गईं। द्रौपदी को दहेज में एक गाय, बैल और 16 जोड़ी कपड़े दिए गये थे।
1980 में हुई द्रौपदी की लव मैरिज के बाद 1984 में द्रौपदी की 3 साल की बेटी की मौत हो गई। इसके बाद 2010 में उनका पहला बेटा, 2013 में दूसरा और 2014 में उनके पति की मौत हो गई। इसके बाद इमारत में कभी सन्नाटा ना पसरे द्रौपदी ने अगस्त 2016 में अपने घर को स्कूल में तब्दील कर दिया। हर साल द्रौपदी अपने बेटों और पति की डेथ एनिवर्सरी पर यहां जरूर आती हैं।
द्रौपदी मुर्मू ने साल 1997 में रायरंगगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत दर्ज कर अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी, इससे पहले वह एक अध्यापिका थीं। पार्षद रहने के साथ उन्होंने भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा की उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करती रहीं। साथ ही वह भाजपा की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रहीं।
द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से 2000 और 2009 में भाजपा के टिकट पर दो बार जीत हासिल कर विधायक बनीं। ओडिशा में बीजू जनता दल और भाजपा गठबंधन की सरकार में द्रौपदी मुर्मू को 2000 और 2004 के बीच वाणिज्य, परिवहन और बाद में मत्स्य और पशु संसाधन विभाग में मंत्री बनाया गया था।
President: द्रौपदी मुर्मू मई 2015 में झारखंड की 9वीं राज्यपाल बनाई गई थीं। द्रौपदी मुर्मू ने 24 जून 2022 को राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए अपना नामांकन किया, उनके नामांकन में पीएम मोदी प्रस्तावक और राजनाथ सिंह अनुमोदक बने। जो अब द्रौपदी मुर्मू 25 जुलाई को राष्ट्रपति की शपथ गृहण करेंगी।
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