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Amritpal Singh: पाकिस्तान, कनाडा, दुबई और यूके… कहां-कहां तक फैले हैं खालिस्तान आंदोलन के तार?

Amritpal Singh: खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह ने अपने समर्थकों के साथ अमृतसर के अजनाला में जमकर उत्पात मचाया। इस दौरान उसने खुले तौर पर खालिस्तान का समर्थन करने की बात कही थी। आपको बता दें कि यह पहला मौका नहीं है, जब इस तरह से खालिस्तान आंदोलन से जुड़ी घटना सामने आई है। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया, कनाडा में भी खालिस्तानी आंदोलन देखे गए थे।

Amritpal Singh: लहराती तलवारें, हाथों में बंदूकें और लाठी डंडे लेकर उत्पात मचाते…

लहराती तलवारें, हाथों में बंदूकें और लाठी डंडे लेकर उत्पात मचाते उपद्रवी और बेबस नजर आयी थी पुलिस…अमृतसर के अजनाला से सामने आए इन दृश्यों को देखकर हर कोई हैरान रह गया। वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों ने अपने एक करीबी की रिहाई को लेकर थाने पर धावा बोल दिया और थाने पर कब्जा भी कर लिया था। इसके बाद पुलिस ने अमृतपाल सिंह के करीबी लवप्रीत तूफान को बेगुनाह बताया था जिसके बाद पंजाब सरकार ने उसको रिहा करने का आदेश दे दिया।

Amritpal Singh: अमृतपाल सिंह ने थाने से खुले तौर पर खालिस्तान के मुद्दे को उठाया था। उसने कहा था कि “हम खालिस्तान के मामले को बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ा रहे हैं। “अमृतपाल ने आगे कहा था कि “दिवंगत पीएम इंदिरा गांधी को खालिस्तान का विरोध करने की कीमत चुकानी पड़ी थी। हमें कोई नहीं रोक सकता, चाहे वह पीएम मोदी हों, अमित शाह हों या भगवंत मान।” यह पहला मौका नहीं है, जब पांजाब में इस तरह से खालिस्तान का मामला सामने आया हो। हाल ही में कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूके में भी खालिस्तान आंदोलन देखने को मिले हैं।

खालिस्तानियों को इन देशों से हो रही फंडिंग

पिछले महीने ही खुफिया रिपोर्ट में इस बात के संकेत दिए गए थे कि पाकिस्तान और आईएसआई पंजाब और देश के अन्य हिस्सों में दहशत फैलाने के लिए पंजाब के गैंगस्टर और खालिस्तानियों को फंडिंग कर रहे हैं और उन्हें हथियार सप्लाई कर रहे हैं। खालिस्तानियों को फंडिग के मामले में उस समय पंजाब के सीएम भगवंत मान ने बयान देते हुए दावा किया था कि “खालिस्तानियों को पाकिस्तान समेत कई देशों से फंडिंग हो रही है।” 

वहीं तीन साल पहले एनआईए ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि खालिस्तानी संगठन जैसे एसएफजे, खालिस्तान जिन्दाबाद फोर्स, बब्बर खालसा, खालिस्तान टाइगर फोर्स भारत में मौजूद कुछ एनजीओ को फंडिंग कर आतंक फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। ज्यादातर फंडिंग ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और जर्मनी से की गई थी, इसलिए इन देशों से होने वाली फंडिंग को ट्रेस किया जा रहा है।

Amritpal Singh: पाकिस्तान से जुड़े हैं के तार

खुफिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि अमृतपाल के तार पाकिस्तान में छुपे आतंकी बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीएआई) के प्रमुख परमजीत सिंह पम्मा से जुड़े हैं।  यह संगठन कनाडा, जर्मनी और इंग्लैंड में एक्टिव है। अमृतपाल के लिंक पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़े होने की बात भी कही जा रही है।

यह भी चर्चा है कि अमृतपाल को आईएसआई के इशारे पर बीकेआई का हैंडलर बनाकर पंजाब भेजा गया है।कहा तो ये भी जाता है कि अमृतपाल के समर्थकों की संख्या विदेश में भी ज्यादा है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि विदेशों में खालिस्तानियों का विरोध तेज हो सकता है। अमृतपाल के घटनाक्रम से एक बार फिर ‘खालिस्तान’ (खालसाओं का देश) चर्चा में आ गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि इन खालिस्तानियों का साम्राज्य कितना बड़ा है, ये कहां तक फैले हुए हैं।

Amritpal Singh: ब्रिटानिका की रिपोर्ट के तहत लाहौर अधिवेशन में पहली बार अकाली दल के तारा सिंह ने सिखों के लिए अलग देश की मांग कर दी थी लेकिन, उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया गया। बंटवारे के समय पंजाब को पाकिस्तान और भारत में बांट दिया गया। इसी के बाद सिखों ने आंदोलन छेड़ दिया था।

उन्होंने 1947 में ‘पंजाबी सूबा आंदोलन’ शुरू किया और इसी साल जून में एक ऐसे बच्चे ने जन्म लिया जो आगे चलकर खालिस्तानियों का बड़ा लीडर बना और जिसकी जिंदगी ऑपरेशन ब्लू स्टार के साथ खत्म हो गई, हम बात कर रहे हैं जरनैल सिंह भिंडरावाले की इसकी मौत एक पीएम, एक सीएम की हत्या की वजह बनी… सिख दंगों को जन्म दिया और इसके साथ ही कई और घातक घटनाएं भी हुईं।

कई देशों में फैला है खालिस्तानियों का नेटवर्क

हाल में समाने आई घटनाओं से अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये खालिस्तानी भारत और पाकिस्तान ही नहीं दुनिया के कई देशों जैसे ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, स्पेन और इटली में भी सक्रिय हैं।

इसी महीने खालिस्तान परिषद के अध्यक्ष डॉ. बख्शीश सिंह संधू ने रेफरेंडम-2020 को लेकर दावा किया था कि पश्चिम में कई शहरों में हजारों की संख्या में सिखों ने खालिस्तान बनाने के समर्थन में वोट डाले थे। अक्टूबर 2021 में यूके के सात शहरों से शुरू हुआ जनमत संग्रह स्विट्जरलैंड, इटली और कनाडा में भी हो चुका है। अभी यह ऑस्ट्रेलिया में हो रहा है और उसके इस बयान से साफ है कि इन देशों में भी खालिस्तानी समर्थक भारी संख्या में रह रहे हैं.

आइए कुछ घटनाओं से समझते हैं कि खालिस्तान समर्थक किन देशों में कितना सक्रिय हैं…

पाकिस्तान: पिछले महीने पाकिस्तान के सीनियर डिफेंस एक्सपर्ट जैद हामिद का एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें वह कह रहे थे कि हमने भारत के खिलाफ खालिस्तान को खड़ा किया था। पाकिस्तान अनटोल्ड नाम के एक ट्विटर हैंडल ने यह वीडियो शेयर किया था। इसके अलावा भारत ने खालिस्तानी हरविंदर सिंह रिंदा को आतंकवादी घोषित कर दिया है। रिंदा बब्बर खालसा इंटरनेशनल का इंडिया हेड है। वह लाहौर से बैठकर ही पंजाब समेत कई जगहों पर आतंकी गतिविधियों को चला रहा है।

ऑस्ट्रेलिया: पिछले कुछ वर्षों में ऑस्ट्रेलिया के अलग-अलग इलाकों में कई हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया। मंदिरों में खुलेआम तोड़-फोड़ की गई। मंदिरों की दीवारों पर खालिस्तान के समर्थन में नारे लिखे गए। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में 19 मार्च को ‘रेफरेंडम-2020’ (सिखों का अलग देश बनाने के लिए वोटिंग) आयोजित किया गया था। इससे पहले 29 जनवरी को मेलबर्न में वोटिंग करवाई गई थी, जिसमें यह दावा किया गया था कि इसमें 10 हजार सिख शामिल हुए थे।

कनाडा: पिछले साल आतंकी संगठन अमेरिका की सिख फॉर जस्टिस ने दुनिया के कई देशों में खालिस्तान के समर्थन में जनमत संग्रह कराया था। इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक 18 सितंबर को कनाडा में हुए कथित जनमत संग्रह में करीब 10 से 12 हजार लोगों ने हिस्सा लिया था। भारत ने इस जनमत संग्रह का विरोध किया था लेकिन कनाडा ने इसे विचार रखने की आजादी बताकर बैन लगाने से मना कर दिया था।

वहीं कनाडा में खालिस्तानी नेता अमनजोत सिंह का ऑपरेशन अमृतपाल को लेकर एक ट्वीट समाने आया है। जिसमें उसने लिखा है कि भारत के पंजाब से आ रही खबरों से चिंतित हूं। सरकार ने इंटरनेट बंद कर दिया, लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई और हम स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं।

Wrietten By— Vineet Attri

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Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।

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