Bihar: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राजनीति का चाणक्य माना जाता है। नीतीश कुमार ने 26 साल में दूसरी बार भाजपा से दूरी बनाई है। नीतीश कुमार सन 2000 में एनडीए से मिलकर विधानसभा चुनाव लड़े और पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उन दिनों केंद्र में अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार थी। जब एनडीए गठबंधन को 151 सीटें मिलीं।
जिसमें भाजपा ने 67 सीटें जीती थीं। नीतीश कुमार की पार्टी के 34 उम्मीदवार चुनाव जीते थे। हालांकि, बहुमत का आंकड़ा 163 था। राजद की अगुआई वाली यूपीए के पास 159 विधायक थे। बहुमत का आंकड़ा नहीं होने के कारण नीतीश को सात दिन के अंदर ही इस्तीफा देना पड़ा और यूपीए गठबंधन की सरकार बनी।
भाजपा से 2013 में नीतीश ने 17 साल पुराना साथ छोड़ा था। तब भाजपा ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था। नीतीश कुमार भाजपा के इस फैसले से सहमत नहीं थे। उन्होंने एनडीए से अलग होने का फैसला ले लिया। भाजपा के सभी मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया गया। राजद ने नीतीश को समर्थन का ऐलान कर दिया। नीतीश पद पर बने रहे। 2014 का लोकसभा चुनाव नीतीश की पार्टी ने अकेले लड़ा। उसमें महज दो सीटों पर जीत मिल सकी।
फिर 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले जदयू, राजद, कांग्रेस समेत अन्य छोटे दल एकसाथ आ गए। सभी ने मिलकर महागठबंधन बनाया। तब लालू की राजद को 80, नीतीश कुमार की जदयू को 71 सीटें मिलीं। भाजपा के 53 विधायक चुने गए। राजद, कांग्रेस और जदयू ने मिलकर सरकार बनाई और नीतीश कुमार फिर से पांचवी बार मुख्यमंत्री बन गए। लालू के बेटे तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम और दूसरे बेटे तेज प्रताप स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए।
Bihar: 2017 में तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो नीतीश कुमार ने उनसे इस्तीफा मांगा। हालांकि, राजद ने मना कर दिया। इसके बाद नीतीश कुमार ने खुद इस्तीफा दे दिया और चंद घंटों बाद भाजपा के साथ मिलकर फिर से सरकार बना ली। भाजपा की मदद से सीएम बने और अब दोबारा 9 अगस्त 2022 में दूसरी बार गठबंधन तोड़ राज्यपाल को नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया है।
पहली बार सन 2000 में एनडीए के गठबधंन के साथ मुख्यमंत्री बने, तब प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी थे। सन 2005 में किसी दल को बहुमत न साबित कर पाने के कारण 6 महीने राष्ट्रपति शासन लागू रहा बाद में नए सिरे से चुनाव हुए। जिसमें एनडीए के साथ मिलकर नीतीश कुमार ने चुनाव लड़ा, जिसमें भाजपा को 55 व जदयू को 88 सीटें मिलीं जो कि बहुमत के आंकड़े 122 से काफी ज्यादा थीं। नीतीश कुमार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने और पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।
सन 2010 में एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ा जिसमें भाजपा को 91 व नीतीश की पार्टी जदयू को 115 सीटें लेकर तीसरी बार बिहार के किंग बने नीतीश कुमार। भाजपा से 2013 में गठबंधन टूटने के बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री से इस्तीफा दे दिया औऱ उन्होंने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया। फरवरी 2015 में नीतीश कुमार ने फिर से बिहार की कमान अपने हाथ में ले ली और चौथी बार मुख्यमंत्री बने। इस बार उनकी सहयोगी राजद और कांग्रेस थीं।
Bihar: 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले जदयू, राजद, कांग्रेस सहित कई छोटे दल एक साथ आ गए। सभी ने मिलकर महागठबंधन बनाया। तब लालू की राजद को 80, नीतीश कुमार की जदयू को 71 सीटें मिलीं। भाजपा के 53 विधायक चुने गए। राजद, कांग्रेस और जदयू ने मिलकर सरकार बनाई और नीतीश कुमार फिर से पांचवी बार मुख्यमंत्री बन गए। 2017 में तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो नीतीश कुमार ने उनसे इस्तीफा मांगा। हालांकि, राजद ने मना कर दिया। इसके बाद नीतीश कुमार ने खुद इस्तीफा दे दिया और चंद घंटों बाद भाजपा के साथ मिलकर फिर से सरकार बना ली। भाजपा की मदद से इस बार छठवीं बार मुख्यमंत्री बने।
2020 में भाजपा-जदयू ने मिलकर एनडीए गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ा। तब जदयू ने 115, भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था। भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 74 सीटें हासिल की। ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद जदयू सिर्फ 43 सीटें जीत पाई थी। इसके बाद भी नीतीश कुमार ही सातवीं बार मुख्यमंत्री बने। भाजपा की तरफ से दो उप मुख्यमंत्री बनाए गए।
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