GST Protest: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, अधीर रंजन चौधरी और TRS सांसदों ने मानसून सत्र के तीसरे दिन महंगाई और रोजमर्रा की चीज़ों पर लगने वाले GST के मुद्दे पर संसद में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने संयुक्त रुप से विरोध प्रदर्शन किया। वहीं राहुल गाँधी ने कहा कि “कम बनाओ, कम खाओ, जुमलों के तड़के से भूख मिटाओ”…
GST Protest: वहीं काँग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने रोजमर्रा की चीज़ों पर लगने वाले GST के मुद्दे पर कहा कि जन प्रतिनिधि होने के नाते हमारा फर्ज़ बनता है कि हम ऐसे मुद्दों को उठाएं। भाजपा सरकार ने 140 करोड़ जनता पर हमला किया है। इसलिए हम प्रदर्शन कर रहे हैं, सभी राज्यो में प्रदर्शन करेंगे। जब तक GST वापस नहीं होगी हम लड़ते रहेंगे…
GST Protest: वहीं काँग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने रोजमर्रा की चीज़ों पर लगने वाले GST के मुद्दे पर मोदी सरकार पर तंज कसा हैं। उन्होंने कहा कि महंगाई से जूझती जनता के लिए ‘गब्बर’ की रेसिपी: कम बनाओ, कम खाओ, जुमलों के तड़के से भूख मिटाओ। ‘मित्रों’ की अनकही बातें तक सुनने वाले प्रधानमंत्री को अब जनता की बात सुननी भी होगी और ये GST वापस लेना भी होगा।
वहीं काँग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने आवश्यक वस्तुओं के ऊपर जीएसटी लगाने के मुद्दें पर कहा कि जब पश्चिम बंगाल की मंत्री ने वित्त मंत्री के दावे के विपरीत ये भी कहा कि उन्होंने फिटमेंट कमेटी की उस रिपोर्ट का विरोध किया था जिसमें जीएसटी रेट में वृद्धि की सिफारिश की गई थी।
उन्होंने ये भी कहा कि शायद इसीलिए अपना रुख बदलते हुए सरकार और वित्त मंत्री अब ‘सर्वसम्मति की जगह ‘आम राय’ शब्द का प्रयोग कर रही हैं।
जयाराम रमेश ने मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि स्वच्छता से पैक किए गए सामान खरीदने की इच्छा रखने वाले लोगों को मोदी सरकार सजा क्यों देना चाहती है? मोदी सरकार ने तो श्मशानों पर भी 18% जीएसटी लगा दी हैं।
आपने सोचा है कभी कि क्या कारण है कि आखिर क्यों छोटे व्यवसायी, दुकानदार और उपभोक्ता – सभी स्टेकहोल्डर्स – रिवाइज्ड जीएसटी रेट के खिलाफ असंतोष व्यक्त कर रहे हैं?
बता दें कि 18 जुलाई को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 47 वीं GST की बैठक की अध्यक्षता की थी और उस मीटिंग में फैसला हुआ कि दाल, चीनी,आटा तेल जैसी जरूरत वाली चीजों पर 5% GST लगाया जाए। इसके बाद से ही गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को और जेब ढीली करने पड़ेगी।
18 जुलाई से महंगे हुए ये सभी प्रोडक्ट्स
हालांकि, बाद में प्रतिष्ठित निर्माताओं और ब्रांड मालिकों द्वारा इस प्रावधान का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग होने लगा और धीरे–धीरे इन वस्तुओं से जीएसटी राजस्व में काफी गिरावट आई।
इसका उन संघों द्वारा विरोध किया गया जो ब्रांडेड सामानों पर टैक्स का भुगतान कर रहे थे। उन्होंने इस तरह के दुरुपयोग को रोकने के लिए सभी पैकेज्ड वस्तुओं पर समान रूप से जीएसटी लगाने के लिए आग्रह किया था। टैक्स में इस बड़े पैमाने पर चोरी को राज्यों द्वारा भी देखा गया था।
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