Lal Bahadur Shastri: जीवन की वह आखिरी रात जो हमेशा के लिए बन गई रहस्य, चश्मदीदों तक भी नहीं पहुंच पाई जांच कमेटी

Lal Bahadur Shastri

Lal Bahadur Shastri: देश की 11 जनवरी 1966 की वह आखिरी रात जो हमेशा के लिए रहस्य बनकर रह गई। देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की आज 57 वीं डेथ एनिवर्सरी है। आज ही के दिन देश ने छोटे कद के बड़े हौंसले वालो बहादुर को 57 वर्ष पहले खो दिया था।

वर्ष बेसक 57 बीत गये लेकिन दुर्भाग्य इस देश का और इस देश की सरकारों का कि लाल की मौत का असली सच देश की जनता के सामने आजतक नहीं ला पाईं। लाल की मौत हमेशा के लिए रहस्य बनकर रह गई।

1965 के युध्द में पाकिस्तान को चटाई थी धूल

उस दौर के प्रधानमंत्री के सूचना सलाहकार कुलदीप नैयर आंखों देखी बताते हैं, कि वह 1965 के युद्ध में पाकिस्तान के लाहौर तक परचम फहराने वाले PM लाल बहादुर शास्त्री के साथ ताशकंद पहुंचे थे। तब का ये सोवियत शहर आज उज्बेकिस्तान की राजधानी है। यहां एक दिन पहले ही सोवियत संघ की मेजबानी में शास्त्री ने पाकिस्तानी तानाशाह जनरल अयूब से ताशकंद समझौता किया था।

Lal Bahadur Shastri: समझौते में पाकिस्तान ने भारत की कब्जाई जमीन छोड़ दी और बदले में भारत को लाहौर के करीब तक पहुंच चुकी फौज वापस बुलानी पड़ी थी। उधर, नैयर जब तक शास्त्री जी के कमरे के भीतर पहुंचे, यह तय हो चुका था कि भारत के दूसरे प्रधानमंत्री जीवित नहीं रहे। नैयर के मुताबिक उनका शव बिस्तर पर था। चप्पलें करीने से रखी थीं, लेकिन उनका पानी वाला थर्मस ड्रेसिंग टेबल पर लुढ़का पड़ा था। साफ था, बेचैन शास्त्री ने पानी पीने की कोशिश तो की, लेकिन कामयाब नहीं हो सके।

आखिरी रात खाये थे आलू, पालक और कढ़ी

10 जनवरी को दोपहर के वक्त ताशकंद में समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इसके बाद सोवियत संघ ने होटल ताशकंद में एक पार्टी रखी थी। जहां शास्त्री जी को भी खाने पर बुलाया था। शास्त्री जी के रूम में इस विषय पर बात होने लगी कि शास्त्री जी को अयूब खान के इस्लामाबाद बुलावे पर जाना चाहिए या नहीं।

उनके सहयोगी शर्मा ने कहा, कि उन्हें पाकिस्तान नहीं जाना चाहिए। अयूब खान किसी भी हद तक जा सकते हैं और शास्त्री जी की जान को भी खतरा हो सकता है। इस पर शास्त्री जी ने कहा, अब वो कुछ भी नहीं कर सकते, हमारा एग्रीमेंट हो चुका है और वैसे भी अयूब अच्छा आदमी है। इसके बाद शास्त्री जी ने रामनाथ से खाना परोसने को कहा।

Lal Bahadur Shastri: खाने में आलू पालक और कढ़ी थी। ये खाना तत्कालीन राजदूत टीएन कौल के यहां से बन कर आया था। इससे पहले उनका भोजन रामनाथ बनाते थे, लेकिन उस दिन खाना जान मोहम्मद ने बनाया था। किचन में जान की मदद दो महिलाएं कर रहीं थीं। वो रूसी इंटेलिजेंस से थीं और रूस में वो शास्त्री जी का भोजन पैक करने से पहले चख कर भेजती थीं।

चश्मदीदों तक भी नहीं पहुंच पाई जांच कमेटी

देश की आवाम द्वारा शास्त्री जी के मौत की जांच का मामला उठता रहा, लेकिन तत्कालीन सरकार ने पोस्टमार्टम तक भी नहीं करवाया। 1977 में जनता पार्टी की सरकार आई। जांच के लिए कमेटी बनी। राज नारायण कमेटी। सबसे पहले उनके निजी डॉक्टर आर एन चुग को पूछताछ के लिए बुलाया जाना था, लेकिन उनकी कार की एक ट्रक से टक्कर हो गई। इस दुर्घटना में डॉक्टर चुग की मौत हो गई।

Lal Bahadur Shastri: उनकी बेटी जीवन भर के लिए विकलांग हो गईं। यही उनके सहायक रामनाथ के साथ हुआ। सड़क हादसे में उनको बुरी तरह चोट लगी और उनकी याददाश्त चली गई। इस कमेटी की रिपोर्ट का हाल भी ढाक के तीन पात हो कर रह गया और रिपोर्ट आज तक पेश नहीं की जा सकी।

CIA के डायरेक्टर ने द्वारा किए गये शास्त्री जी की मौत के खुलासे में कितना सच

CIA के डायरेक्टर ऑफ प्लानिंग रॉबर्ट क्राउली ने साल 1993 में एक अमेरिकी पत्रकार ग्रेगरी डगलस को इंटरव्यू दिया और बताया कि वो CIA ही था, जिसने जनवरी 1966 में शास्त्री और डॉ. होमी भाभा दोनों की हत्या की थी। CIA अमेरिका की खुफिया एजेंसी है।

Lal Bahadur Shastri: क्राउली ने पत्रकार से यह भी कहा, कि इस इंटरव्यू को उनकी मृत्यु के बाद ही प्रकाशित किया जाए। इस इंटरव्यू में उसने शास्त्री जी को मारने का भी कारण बताया। उसने कहा कि अमेरिका को फिक्र थी कि रूस के हस्तक्षेप से भारत की पहुंच मजबूत होगी। लगे हाथ पाकिस्तान का हारना अमेरिका की सुपर पावर छवि को नुकसान पहुंचाएगा।

ये भी पढ़ें..

Gorakhpur News: लगातार डंडे बरसाती रही बहू, जमीन पर पड़ी बुजुर्ग सास हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाती रही, वीडियो वायरल

Baghpat News: लाठी से पीटकर सांप को मारने वाले के खिलाफ मुकदमा दर्ज, लठैत की तलाश में पुलिस

By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।