Manipur Violence: “जस्टिस गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा पेश की गई रिपोर्टों को सुप्रीम कोर्ट में सौंपा गया”

Manipur Violence: तीन मई से मणिपुर में जारी हिंसा के मामले में रिटायर्ड जस्टिस गीता मित्तल कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सौंप दी है. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि मणिपुर हिंसा को लेकर जस्टिस गीता मित्तल की कमेटी ने अपनी तीन रिपोर्ट सौंपी हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को रिपोर्ट देखने और जवाब देने के लिए कहा है।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से मणिपुर हिंसा के पीड़ितों को राहत, पुनर्वास एवं क्लेम की देखरेख करने के लिए 3 पूर्व महिला न्यायाधीशों की एक कमेटी को बनाने के आदेश 7 अगस्त को दिए गये थे। साथ ही महाराष्ट्र के भूतपूर्व पुलिस प्रमुख दत्तात्रेय पडसलगीकर को क्रिमिनल केसो के जाँच की देखरेख करने के को कहा गया था। कोर्ट के अनुसार कमेटी सीधे ही अपनी रिपोर्ट जमा करेगी।

समिति को मणिपुर में हिंसा से प्रभावित लोगों के लिए चलाए जा रहे राहत और पुनर्वास कार्यक्रमों की निगरानी और रिपोर्ट सौंपने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आपको बता दें कि मणिपुर हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर हुईं. इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की तीन पूर्व महिला जजों की एक कमेटी बनाई थी और उनको पूरी हिंसा पर एक रिपोर्ट बनाने के लिए कहा था।

कमेटी का अध्यक्ष जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल को बनाया था। साथ ही इस कमेटी में जस्टिस (रिटायर्ड) पी जोशी और जस्टिस (रिटायर्ड) आशा मेनन को भी शामिल किया था। अब कमेटी ने मणिपुर हिंसा पर अपनी रिपोर्ट बनाकर सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है।

इसके साथ पीठ ने यह भी कहा, “न्यायमूर्ति मित्तल के नेतृत्व वाली समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट से पता चलता है कि आवश्यक दस्तावेजों को फिर से जारी करने की आवश्यकता है और मणिपुर पीड़ित मुआवजा योजना को अपग्रेड करने और एक नोडल प्रशासन विशेषज्ञ नियुक्त करने की आवश्यकता है।”

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला व जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि समिति ने मुआवजे, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल, चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल, राहत शिविर, डाटा रिपोर्टिंग और निगरानी जैसे कई मुद्दों के तहत मामलों को विभाजित किया है। पीठ मामले पर शुक्रवार को सुनवाई करेगी। कोर्ट ने माना कि प्रशासनिक सहायता प्रदान करने, समिति को धन आवंटित करने और समिति के काम को प्रचारित करने के लिए कुछ निर्देश आवश्यक होंगे।

रिपोर्ट में उठाए गए मुद्दे

Manipur Violence: रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसा के दौरान अपने घर खोने वाले लोगों के जरूरी दस्तावेजों की बरामदगी बेहद चिंता का विषय है।  इस उद्देश्य से, आधार कार्ड जैसे प्रमुख पहचान दस्तावेजों तक पुनः पहुंच की सुविधा के लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति के लिए कॉल की गई है। पीड़ित मुआवजा योजना में अन्य योजनाओं के लाभार्थियों को भी शामिल करने की सिफारिश की गई है। मौजूदा योजना में अन्य योजनाओं का लाभ पाने वाले पीड़ितों को मुआवजे का लाभ नहीं मिल रहा

मालूम हो कि बीते 3 मई को राज्य में पहली बार जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 160 से अधिक लोग मारे गए हैं और कई सौ घायल हुए हैं। यह हिंसा उस वक्त भड़की, जब बहुसंख्यक मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया था।

Written By: Poline Barnard

ये भी पढ़ें..

Gadar 2: अभिनेता और बीजेपी सांसद सनी देओल का बड़ा ऐलान, 2024 में नहीं लड़ेंगे लोकसभा चुनाव
Alien Child Birth News: महिला ने दिया ‘एलियन’ जैसे बच्चे को जन्म, डॉक्टर्स भी रह गए हैरान वायरल वीडियो

By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।