China: चीन में 2003 के बाद यह पहली बार हुआ है। जब शादियों की संख्या 8 मिलियन विवाह के आंकड़े से नीचे गिर गई है। चीन में शादियां 2022 में रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गईं। डेटा में पिछले एक दशक में शादियों में लगातार गिरावट को दिखाया गया है। देश में कड़े कोविड लॉकडाउन के चलते वैवाहिक आंकड़ों पर असर पड़ने की संभावना है। नागरिक मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर इसे लेकर कुछ आंकड़े शेयर किए गए हैं।
इससे पता चलता है कि पिछले साल केवल 68.3 लाख कपल्स ने अपना विवाह रजिस्ट्रेशन कराया। पिछले साल की तुलना में यह संख्या करीब 8 लाख तक कम है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि विवाह दर में गिरावट का आर्थिक विकास पर भी असर पड़ेगा।अत्यधिक दबाव, महिला शिक्षा स्तर में सुधार तथा आर्थिक स्वतंत्रता जैसे कारणों से युवाओं में विवाह को लेकर दिलचस्पी घटी है।
चीन में, सातवीं राष्ट्रीय जनगणना के अनुसार पुरुषों की संख्या महिलाओं से 3.49 लाख अधिक है। याफू ने कहा कि इनमें विवाह योग्य उम्र की महिलाओं की तुलना में 20 वर्ष की आयु में 1.75 लाख अधिक पुरुष हैं। इसके अलावा बढ़ती महंगाई शादी करने व बच्चे पैदा करने की राह में एक बड़ी बाधा है।
राजधानी बीजिंग समेत देश के अन्य शहरों में पिछले साल जीरो कोविड पॉलिसी लागू थी। इसके चलते करोड़ों लोग हफ्तों तक अपने घरों में बंद रहे। माना जा रहा है कि विवाहितों की संख्या में आई गिरावट का यह बड़ा कारण हो सकता है। यह खबर ऐसे वक्त सामने आई है, जब चीन पहले से ही घटती जन्म दर और गिरती जनसंख्या का सामना कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2022 में चीन की आबादी में छह दशक बाद पहली बार गिरावट देखी गई। यह गिरावट की लंबी अवधि की शुरुआत हो सकती है, जिसका देश की अर्थव्यवस्था और दुनिया पर असर पड़ सकता है।
अधिक उम्र में शादी कर रहे युवा
इस आंकड़े में सुधार की वजह चीनी युवाओं का अधिक उम्र में शादी करना भी बताया जा रहा है। 2021 में शादी के लिए पंजीकरण कराने वाले लगभग आधे जोड़े 30 या उससे अधिक उम्र के थे। वहीं, 19.50 ऐसे जोड़े थे जिन्होंने 40 पार की उम्र में शादी रचाई है। विशेषज्ञों का कहना है कि देर से शादी करने के चलन के कारण चीन द्वारा तीन बच्चों की अनुमति देने की नीति प्रभावित होगी, जिससे जनसंख्या संबंधी दिक्कतें दूर करने के लिए चुनौती और बढ़ेगी
चीन में जन्म दर पिछले साल गिरकर प्रति 1,000 लोगों पर 6.77 बर्थ पर आ गई, जो 2021 में 7.52 से भी कम है। इसका मतलब यह है कि चीन अमीर होने से पहले बूढ़ा हो सकता है। दरअसल, देश में कार्यबल सिकुड़ रहा है और स्थानीय सरकारों को बुजुर्ग आबादी पर अधिक खर्च करना पड़ रहा है। पिछले महीने ही विवाह को प्रोत्साहित करने और जन्म दर को बढ़ावा देने को लेकर पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया गया।
इसका मकसद चीन के 20 से अधिक शहरों में विवाह और बच्चे पैदा करने की संस्कृति को बढ़ावा देना है। देश के कुछ हिस्सों में नवविवाहितों को विवाह अवकाश के दौरान भी सैलरी दी जा रही है। पुरे देश के आंकड़ों के अनुसार, भारत की आबादी बढ़कर 142.86 करोड़ हो गई है। चीन को पीछे छोड़ भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। संयुक्त राष्ट्र के विश्व जनसंख्या ‘डैशबोर्ड’ (मंच) के अनुसार, चीन की आबादी 142.57 करोड़ है।
भारत की 25 प्रतिशत जनसंख्या 0-14 (वर्ष) आयु वर्ग की, 18 प्रतिशत 10 से 19 आयु वर्ग, 26 प्रतिशत 10 से 24 आयु वर्ग, 68 प्रतिशत 15 से 64 आयु वर्ग की और 7 प्रतिशत आबादी 65 वर्ष से अधिक आयु की है। विभिन्न एजेंसियों के अनुसार, भारत की आबादी करीब 3 दशकों तक बढ़ते रहने की उम्मीद है। यह 165 करोड़ पर पहुंचने के बाद ही घटना शुरू होगी।
Written By: Poline Barnard
ये भी पढ़ें..