Rahul Gandhi: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता रद्द होने की ख़बर से राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया। अदालत के इस फ़ैसले के बाद ये चर्चा शुरू हो गई है कि दिल्ली से लेकर देशभर की राजनीति आगे कैसे बदलती है। इस निर्णय के राहुल गांधी के लिए क्या मायने हैं? अपने हाथ से निकल चुकी प्रतिष्ठा हासिल करने में जुटी कांग्रेस के लिए इसके क्या मायने हैं? इसे देखते हुए विपक्षी दलों के इकट्ठा आने का जो सपना है, क्या वह अब पूरा होगा? ऐसे कई सवाल उठने शुरू हो गए हैं।
Rahul Gandhi: 2024 के लोकसभा चुनाव होने में अभी एक साल से ज़्यादा का समय है पर उससे पहले कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। जो कि फाइनल से पहले सेमिफइनल माना जा रहा है। तीनों राज्यों में कांग्रेस की टक्कर सीधे तौर पर भाजपा के साथ होनी है।
Rahul Gandhi: ऐसे में ये सवाल भी उठ रहा है कि राहुल गांधी की सदस्यता जाने से क्या कांग्रेस यहां चुनावी माहौल अपने पक्ष में बना पाएगी?राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से हासिल राजनीतिक प्रतिष्ठा को आगे बढ़ा पाएंगे या फिर ये माना जाए कि बीजेपी ने अपने प्रतिस्पर्धी को इस मौक़े पर मात दे दी है?
Rahul Gandhi: फायदा होने की संभावना ज़्यादा
राहुल गांधी समेत सभी विरोधी दलों के लिए अब जनता को ये बताने का एक मौक़ा है कि उनको कैसे निशाने पर लिया जा रहा है? अब यह कांग्रेस पर निर्भर रहेगा कि वह किस तरह राहुल गांधी की सदस्यता जाने पर ‘जन आंदोलन’ खड़ा करती है। लेकिन, एक बात तो साफ़ है कि सारे विरोधी दल इस मामले में राहुल गांधी के साथ खड़े हैं।
Rahul Gandhi: हालांकि, कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल अभी तक मतदाताओं को बीजेपी के ख़िलाफ़ खड़ा नहीं कर पाए हैं। इसकी वजह ये है कि विपक्षी दल अभी तक लोगों को प्रेरित नहीं कर सके हैं और हम उनके बारे मे विश्वास से कुछ नहीं कह सकते। हालांकि, एक चीज़ तो साफ दिख रही है कि इस फ़ैसले से राहुल गांधी को फायदा होने की संभावना ज़्यादा है।
कांग्रेस को नया चेहरा सामने लाने का भी एक मौक़ा
राहुल गांधी की सांसदी जाने का मामला कांग्रेस के लिए एक बढ़िया अवसर है। राजनीतिक विश्लेषक बताते है कि अब देखना होगा कि राहुल गांधी और कांग्रेस इस मुद्दे को कैसे भुनाते है? भाजपा के लिए कांग्रेस में राहुल गांधी हमेशा के लिए फाएदा का सौदा रहे है।
राहुल हमेशा से भाजपा के लिए ‘पंचिंग बैग’ रहे हैं। भाजपा के ‘यश’ में हमेशा राहुल गांधी का ‘अपयश’ भी एक हिस्सा रहा है। अब वही दूर हो गया। इसलिए अगर कांग्रेस सोच-समझकर आगे जाती है और नया चेहरा सामने लाती है, तो भाजपा के सामने भी चुनौती खड़ी हो सकती है। उन्हें सहानुभूति भी मिलेगी। जानकार मान कर चल रहे है कि प्रियंका गांधी को राजनीति में आगे बढ़ाने का एक अच्छा मौका है।
Rahul Gandhi: एक तरफ राहुल गांधी के लिए कुल मिलाकर एक अच्छा मौक़ा हो सकता है पर लोग सोच रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी को कैसे फायदा होगा? क्या ये परिस्थिति राहुल गांधी की सदस्यता जाने से एक दिन में बदल जाएगी? मुझे नहीं लगता वैसा होगा। मगर ऐसी स्थिति बनाने की कोशिश तो हो सकती है।
यह एक स्वर्णिम अवसर है राहिल गांधी और कांग्रेस के लिए। ये भी सहीं है कि अब तक कांग्रेस वह नहीं कर पायी है क्योंकि उनके पास एक मजबूत संगठन का आभाव है।राजनीतिक पंडित मान कर चल रहे है कि कांग्रेस आम लोगों से सीधी बात कर उनके साथ हुए अन्याय के बारे में बताए तो पार्टी को फ़ायदा हो सकता है।
कर्नाटक चुनाव में इसका कुछ असर नहीं होगा
राजस्थान और मध्य प्रदेश से भी पहले अगले दो महीनों मे कर्नाटक में चुनाव होने वाले हैं। वहां फिलहाल भाजपा की सत्ता है, जो कांग्रेस से कुछ विधायक बाहर निकल जाने के बाद बनी थी। अब वहां कांग्रेस भाजपा को चुनौती दे रही है। लेकिन सवाल ये है कि क्या राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता ख़त्म होने का असर वहां के चुनाव पर पड़ सकता है?
Rahul Gandhi: कर्नाटक में कांग्रेस के पूर्व सीएम सिद्धारमैया राहुल गांधी से ज़्यादा लोकप्रिय हैं। ख़ास तौर पर ओबीसी समुदायों से आने वाले नेता यहां पर पार्टी की ताक़त हैं। राजनीतिक पंडित बताते है कि इस बार चुनाव में यहां एंटी इंकम्बेंसी का मुद्दा है। अगर कर्नाटक मे मोदी के नाम पर वोट डाले जाते है तो राहुल गांधी की सांसदी वाला मुद्दा गौण हो सकता है।
जानकार मान कर चल रहे है कि कांग्रेस को जीतने के लिए राहुल गांधी की सांसदी वाला मुद्दा भुनाने के लिए फुल प्रूफ प्लान बनाना होगा।अगर कांग्रेस इसमें कामयाब हो जाती है। तो कांग्रेस जीत पक्की हो सकती है। हालांकि, कर्नाटक में चुनाव ज्यादातर लोकल मुद्दों पर ही लड़े जाते है।
By— Vineet Attri…
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