Uttarkashi Tunnel Rescue: जिंदगी और मौत की जंग जारी, पूरे हिंदुस्तान की उत्तरकाशी पर टिकी नजरें

Uttarkashi Tunnel Rescue: 14 दिनों से 41 मजदूर जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। 14 दिन और 14 रात बीत जाने के बाद भी मजदूरों की उम्मीदें बरकरार है, प्रशासन एक्टिव मोड में है। आज एक फिर से नया दिन हुआ, फिर से नया सबेरा हुआ, फिर से नई उम्मीद जागी है कि आज ऑपरेशन पूरा हो जाएगा। लेकिन बीते 14 दिनों से हर रोज बस यही होता चला आ रहा है। कुछ ना कुछ परेशानी आ ही रही है। कोई ना कोई तकनीकी खामी और नतीजा ऑपरेशन का रोका जाना। बीते 5 दिनों से लगातार बस यही हो रहा है,

Uttarkashi Tunnel Rescue: लेकिन इन तमाम चुनौतियों पर भारी है। रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी टीमों का हौसला और सुरंग में कैद 41 मजदूरों की जोश भरी आवाज। लेकिन अब सवाल ये उठने लगा है कि आखिर इतना वक्त क्यों लग रहा है। आखिर ये देरी क्यों हो रही है। आखिर क्यों बार बार अड़चनों से सामना हो रहा है। और आखिर क्यों मजदूरों के पास खुशखबरी आते-आते वापस चली जा रही है? 14 बीत जाने के बाद भी मजदूरों से मदद अब भी 10 मीटर दूर हैं।

रेस्क्यू टीम ने दोबारा ऑपरेशन शुरू किया

Uttarkashi Tunnel Rescue: शुक्रवार को जब दोबारा ऑपरेशन शुरू कियागया तब फिर से वही परेशानी आई जो गुरुवार की रात को आई थी। ऑगर मशीन से जैसे तैसे ड्रिलिंग शुरू हुई लेकिन एक और बाधा के कारण ड्रिलिंग को फिर से रोकना पड़ा। बताया गया कि मशीने के सामने फिर से सरिया आ गए हैं, और रेस्क्यू ऑपरेशन रुक गया है। जिस ऑगर मशीन के जरिये ड्रिलिंक की जा रही है।उस पर काम करने वाले एक कर्मचारी ने बताया कि अब तक कौन कौन से मुश्किलों का सामना टीम ने किया है। हालांकि अब रेस्क्यू टीम मैन्युअल ड्रिलिंग करने पर भी विचार कर रही है। हालांकि अगर इस विकल्प का इस्तेमाल किया जाता है तो रेस्क्यू ऑपरेशन में और भी ज्यादा समय लग सकता है कि बचाव कार्य में कई तरह की चुनौतियां आ रही हैं।

हालांकि रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे अफसरों की जब भी मजदूरों से बात होती है तब उनकी सुरंग के भीतर से आने वाली आवाज टीम के हौसले को और भी बुलंद कर रही है।टनल में खुदाई करने के लिए मशीने चाहे कितनी बार खराब हों। रेस्क्यू टीम संकटमोचक बन इन मजदूरों के लिए जी जान एक किए हुए है।

आपको बता दें कि इश बीच 10 मीटर की दूरी के बीच में कई तरह की परेशानियां आ रही है। इधर मजदूरों को बाहर निकालने के लिए लगातार अभ्यास भी किया जा रहा है। स्टील पाइप के अंदर मॉकड्रिल की जा रही है। ताकि जैसे ही मजदूरों तक ये पाइप पहुंचे तो उन्हें बाहर निकलने में कोई परेशानी का सामना ना करना पड़े। इधर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार मौके पर डटे हुए हैं। सीएम धामी ने मजदूरों से बात भी की औरअफसरों से हालात की जानकारी भी ली। रेस्क्यू टीम की तैयारी हर तरह से पूरी है। जैसे ही ड्रिलिंग कंपलीट होगी NDRF की 15 सदस्यीय टीम हेलमेट, ऑक्सीजन सिलेंडर, गैस कटर के साथ 800 मिमी की पाइपलाइन से अंदर जाएगी। अंदर फंसे लोगों को बाहर के हालात और मौसम के बारे में बताया जाएगा।

सीएम और पीएम की रेस्क्यू ऑपरेशन पर नजर

Uttarkashi Tunnel Rescue: रेस्क्यू ऑपरेशन बड़ा है, प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक हर किसी की नजरें टिकी हुई हैं। 41 मजदूर जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। बहरहाल चुनौती बड़ी है, मलबे की दीवार खड़ी है। लेकिन हौसला और उम्मीद का दामन सबने थाम रखा है। खासतौर से सुरंग में कैद 41 मजदूरों की जोश से भरी आवाज से ही रेस्क्यू टीम का हौसला बुलंद है। लेकिन अब सवाल ये भी उठने लगा है कि आखिर ड्रिलिंग कब पूरी होगी।

 

Written By: Poline Barnard 

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।