Aditya-L1 Succesful Launch: चंद्रयान की सफल लैंडिग के बाद भारत ने एक बार फिर मिल का पत्थर हासिल कर लिया है। भारत का एक बार फिर अंतरिक्ष की दुनिया में दबदबा बढ़ा है। शनिवार (6 जनवरी)पूर्वाह्न 11:50 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से आदित्य L1 का सफल प्रक्षेपण किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पहले सूर्य मिशन के सफल प्रक्षेपण के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों के साथ पूरे देश को बधाई दी।
Aditya-L1 Succesful Launch: इसे लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य–एल1 अपने गंतव्य तक पहुंची। यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।”
India creates yet another landmark. India’s first solar observatory Aditya-L1 reaches it destination. It is a testament to the relentless dedication of our scientists in realising among the most complex and intricate space missions. I join the nation in applauding this…
— Narendra Modi (@narendramodi) January 6, 2024
Aditya-L1 Succesful Launch: उन्होंने आगे कहा कि “संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए अतंरिक्ष की बेहतर समझ विकसित करने के वास्ते हमारे अथक वैज्ञानिक प्रयास जारी रहेंगे और साथ ही ये भी लिखा कि भारत के पहले सूर्य मिशन आदित्य-एल1 के सफल प्रक्षेपण के लिए हमारे वैज्ञानिकों तथा इंजीनियरों को बधाई।”
आदित्य एल-1: 5 साल तक रहेगा अंतरिक्ष में…
Aditya-L1 Succesful Launch: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी बताया कि ‘आदित्य–एल1’ यान पीएसएलवी रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया है और अब यह सूर्य की ओर 125 दिन की अपनी यात्रा पर आगे बढ़ेगा। भारत का यह मिशन सूर्य से संबंधित रहस्यों से पर्दा हटाने में मदद करेगा।
Aditya-L1 Succesful Launch: इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि “अंतरिक्ष यान को “सटीक कक्षा” में स्थापित कर दिया गया है। सोमनाथ ने आगे कहा, ‘आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान को पीएसएलवी ने बहुत सटीक तरीके से 235 गुणा 19,500 किलोमीटर की अपेक्षित अंडाकार कक्षा में स्थापित कर दिया.’ सोमनाथ ने बताया कि अब से आदित्य एल1 सूर्य की ओर 125 दिन की लंबी यात्रा पर जाएगा।”
पृथ्वी से 15 लाख KM की दूरी पर रहेगा ‘आदित्य–एल1’
Aditya-L1 Succesful Launch: पृथ्वी से 15 लाख KM की दूरी पर रहेगा ‘आदित्य–एल1’ को सूर्य के साथ ही और पृथ्वी से भी उचित दूरी पर स्थापित किया जाएगा। आपको बता दें कि पृथ्वी–सूर्य प्रणाली में पहले लैग्रेंज (L1) प्वाइंट पर तैनात किया जाएगा।
क्या है लैग्रेंजियन पॉइंट ?
Aditya-L1 Succesful Launch: पृथ्वी और सूर्य के बीच पांच ‘लैग्रेंजियन’ बिंदु (या पार्किंग क्षेत्र) हैं, जहां पहुंचने पर कोई वस्तु वहीं रुक जाती है। लैग्रेंज बिंदुओं का नाम इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफ-लुई लैग्रेंज के नाम पर पुरस्कार प्राप्त करने वाले उनके अनुसंधान पत्र-‘एस्से सुर ले प्रोब्लेम डेस ट्रोइस कॉर्प्स, 1772 के लिए रखा गया है।लैग्रेंज बिंदु पर सूर्य और पृथ्वी के बीच गुरुत्वाकर्षण बल संतुलित होता है, जिससे किसी उपग्रह को इस बिंदु पर रोकने में भी बहुत आसानी रहती है।
यहीं से होगा सूर्य का अध्ययन
Aditya-L1 Succesful Launch: इसरो की मानें तो ‘एल1 प्वाइंट’ के चारों ओर ‘हेलो’ कक्षा में उपग्रह से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है। एक अधिकारी ने कहा कि “इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का अवलोकन करने में अधिक लाभ मिलेगा। इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि शनिवार शाम लगभग चार बजे आदित्य-एल1 को एल1 के चारों ओर एक ‘हेलो’ कक्षा में पहुंचा देगी। यदि हम ऐसा नहीं करते हैं, तो संभावना है कि यह शायद सूर्य की ओर अपनी यात्रा जारी रखेगा।”
इससे होगा ये फायदा
Aditya-L1 Succesful Launch: इसके के अधिकारियों के मुताबिक, इस सन मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं तथा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है। आदित्य एल-1 की सफलता से सूर्य के सारे राज दुनिया को पता चल जाएंगे।
Written By- Swati Singh.
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