Geeta Press: गांधी शांति अवार्ड पर गरमाई सियासत, कांग्रेस कर रही है विरोध तो वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने अतुलनीय योगदान की प्रशंसा

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Geeta Press: गीता गोरखपुर प्रेस को केंद्र सरकार ने साल 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार देने फैसला किया है। इस पर अब राजनीति भी जमकर हो रही है। कांग्रेस जहां गीता प्रेस को दिए जा रहे अवार्ड का विरोध कर रही हो तो दूसरी तरफ भाजपा गीता प्रेस को दिए जाने वाले अवार्ड को देने की समर्थन कर रही है।

गृहमंत्री अमित शाह: नि:स्वार्थ भाव से जन-जन तक पहुँचाने का अद्भुत कार्य कर रही है

भारत की गौरवशाली प्राचीन सनातन संस्कृति और आधार ग्रंथों को अगर आज सुलभता से पढ़ा जा सकता है तो इसमें गीता प्रेस का अतुलनीय योगदान है। 100 वर्षों से अधिक समय से गीता प्रेस रामचरित मानस से लेकर श्रीमद्भगवद्गीता जैसे कई पवित्र ग्रंथों को नि:स्वार्थ भाव से जन-जन तक पहुँचाने का अद्भुत कार्य कर रही है। गीता प्रेस को गाँधी शांति पुरस्कार 2021 मिलना उनके द्वारा किये जा रहे इन भागीरथ कार्यों का सम्मान है।

सीएम हिमंता बिस्वा सरमा: कांग्रेस कर रही है  धर्मांतरण कानून को रद्द करना हो या गीता प्रेस की आलोचना

इस मामले पर बीजेपी नेता और असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने भी ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा कि “कर्नाटक में जीत के साथ, कांग्रेस ने अब खुले तौर पर भारत के सभ्यतागत मूल्यों और विरासत के खिलाफ युद्ध शुरू कर दिया है, चाहे वह धर्मांतरण विरोधी कानून को रद्द करना हो या गीता प्रेस की आलोचना हो। भारत के लोग इस आक्रामकता का विरोध करेंगे।” 

जेपी नड्डा: 100 वर्षों का आपका योगदान प्रशंसनीय

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, “गीता प्रेस गोरखपुर को ‘गांधी शांति पुरस्कार-2021’ से सम्मानित किए जाने पर हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं देता हूं। भारत की गौरवशाली सनातन संस्कृति के संरक्षण व उत्कर्ष में पिछले 100 वर्षों का आपका योगदान प्रशंसनीय है। हमारे पवित्र ग्रंथों का वैश्विक प्रसार कर जो निःस्वार्थ सेवा आपने की है यह हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है।”

इससे पहले कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी और महासचिव जयराम रमेश ने ट्विट करते हुए लिखा कि “यह सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।”

Geeta Press: महासचिव जयराम रमेश: गीता प्रेस फैसला वास्तव में एक उपहास है

Geeta Press: जयराम रमेश ने एक ट्वीट के जरिए कहा कि “2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर में गीता प्रेस को प्रदान किया गया है जो इस वर्ष अपनी शताब्दी मना रहा है। अक्षय मुकुल द्वारा इस संगठन की 2015 की एक बहुत ही बेहतरीन जीवनी है जिसमें वह महात्मा के साथ इसके तूफानी संबंधों और उनके राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चल रही लड़ाइयों का पता लगाता है। यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।”

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।