Gyanvapi Masjid Case: योगी ने जब से मुख्यमंत्री पद संभाला है तब से ये पहला मौका है जब ज्ञानवापी विवाद पर कोई भाजपा के बड़े नेता ने खुलकर बयान दिया। ज्ञानवापी विवाद पर पहली बार किसी बड़े नेता ने इस विवाद पर बोलते हुए कहा कि “ज्ञानवापी मस्जिद मंदिर नहीं मंदिर है और साथ ही उन्होंने कहा कि लगता है भगवान ने जिसको दृष्टि दी है वो देखे ना…त्रिशूल मस्जिद में क्या कर रहा था? त्रिशूल हमने तो नहीं रखे…ज्योतिर्लिंग हैं, प्रतिमाएँ हैं।”
सीएम योगी: ज्ञानवापी की दीवारें चीख-चीखकर गवाही…
Gyanvapi Masjid Case: उन्होंने आगे कहा कि “ज्ञानवापी की दीवारें चीख-चीखकर गवाही दे रही हैं। हमें वहां की स्थिति को दिखा रही हैं। ज्ञानवापी के मसले पर ऐतिहासिक गलती हुई है। इसलिए इसे मस्जिद कहना गलत होगा।”
Gyanvapi Masjid Case: सीएम योगी ने कहा कि “मुस्लिम समाज से प्रस्ताव आना चाहिए कि ऐतिहासिक गलती हुई है और इस का समाधान होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि वह पिछले छह साल से यूपी की कमान संभाल रहे हैं, लेकिन पिछले 6 साल से कोई दंगा नहीं हुआ।”
स्वामी प्रसाद मोर्य: ज्यादातर हिंदू मंदिर बौद्ध मठों को…
Gyanvapi Masjid Case: इससे पहले सपा नेता स्वामी प्रसाद मोर्य ने ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर एक विवादित ट्विट करते हुए लिखा था कि ‘ज्यादातर हिंदू मंदिर बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गए।’
स्वामी प्रसाद मोर्य: आखिर मिर्ची लगी न, अब आस्था याद आ रही है
Gyanvapi Masjid Case: मोर्य ने ज्ञानवापी को लेकर विवादित बयान दिया कि “आखिर मिर्ची लगी न, अब आस्था याद आ रही है, क्या औरों की आस्था, आस्था नहीं है… स्वामी प्रसाद मौर्या ने दावा किया कि ज्यादातर हिंदू मंदिर बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गए हैं। बद्रीनाथ मंदिर को लेकर भी उन्होंने ऐसा ही दावा किया कि पहले ये बौद्ध मठ था और बाद में मंदिर बना।
Gyanvapi Masjid Case: उन्होंने आगे अपने ट्विट में लिखा कि “इसलिए तो हमने कहा था किसी की आस्था पर चोट न पहुंचे इसलिए 15 अगस्त 1947 के दिन जिस भी धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी, उसे यथास्थिति मानकर किसी भी विवाद से बचा जा सकता है। अन्यथा ऐतिहासिक सच स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए। 8वीं शताब्दी तक बद्रीनाथ बौद्ध मठ था उसके बाद यह बद्रीनाथ धाम हिन्दू तीर्थ स्थल बनाया गया, यही सच है।
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