Muharram Violence in Varanasi: ताजिया जुलूस के दौरान शिया-सुन्नी के बीच मुठभेड़, ‘लगे पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे’

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Muharram Violence in Varanasi: शनिवार को यूपी के वाराणसी में ताजिया का जुलूस निकलने के दौरान शिया और सुन्नी आपस में भिड़ गए। दोनों तरफ से खूब नारेबाजी की गई। देखते ही देखते पथराव शुरू हो गया। इसमें कई लोग घायल हो गए। बवाल के दौरान 12 से अधिक कई गाड़ियां फूंक दी गई है। पुलिस की गाड़ियों पर भी पथराव किया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक लगें ‘पाकिस्तान जिदाबाद के नारे’

जैतपुरा दोषीपुरा में ताजिया निकालने के दौरान शिया और सुन्नी हुए आमने-सामने

 हालांकि इस अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। पुलिस कमिश्नर अशोक मुथा जैन घटनास्थल पर पहुंचे हैं। सुरक्षाकर्मियों ने उत्पात करने वाले दंगाईयों को खदेड़ दिया। पुलिस कमिश्नर अशोक मुथा जैन ने बताया कि “जैतपुरा दोषीपुरा में ताजिया निकालने के दौरान शिया और सुन्नी वर्ग आमनेसामने आ गए। उनके बीच टकराव हो गया। दोनों तरफ से पथराव भी हुआ। विवाद की वजह का पता लगाया जा रहा है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए यहां पर भारी संख्या में RAF और कई थानों की पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है।”

स्थानीय लोगों के अनुसार ताजियादार और दूसरे पक्ष के लोग आमनेसामने आकर सिर पर कुर्सियां लिए पत्थरबाजी कर रहे थे। काफी होहल्ला मच रहा था। जमकर विवाद के बाद पहुंची पुलिस फोर्स और RAF के जवानों ने उत्पात करने वालों को खदेड़ दिया। फिलहाल, जैतपुरा क्षेत्र में काफी तनावपूर्ण स्थिति है।

मुठभेंड़ के बाद शिया गुट के लोग बैठे धरने पर

बवाल के दौरान कई ताजिया भी क्षतिग्रस्त हो गईं हैं। बताया जा रहा है कि शिया समुदाय के लोगों ने ताजिया को करबला ले जाने से मना कर दिया है और घटनास्थल पर धरने पर बैठ गए हैं। पुलिस कमिश्नर ने शिया समुदाय से बातचीत करके ताजिया उठाकर जाने की बात कही है।

पहले भी वाराणसी में ही हुआ था ताजिया निकालने के दौरान विवाद

पिछले साल 2022 मे यूपी के वारणसी के जैतपुरा के सरैया क्षेत्र में शिया-सुन्नी में विवाद हुए था और विवाद इतना बढ़ा कि ये हिंसात्मक भी हो गया। इस दौरान लोगों ने एक दूसरे पर जमकर पथराव करने के साथ ताजिया पर भी हमला कर दिया था। उस वक्त 23 पर FIR भी दर्ज की गई थी।

क्यों मनाते है मुहर्रम?

इस्लामिक कैलेंडर में साल का पहला महीना मुहर्रम का होता है, जिसे गम का महीना भी कहा जाता है. ये तो आप समझ ही गए होंगे कि मुस्लिम इस महीने में खुशियां नहीं मनाते हैं, बल्कि मातम मनाया जाता है। पूरे महीने का सबसे अहम दिन होता है 10वां मुहर्रम… जो कि आज शनिवार 29 जुलाई को है।इसी दिन पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद के नाती हजरत इमाम हुसैन की कर्बला की जंग (680 ईस्वी) में परिवार और दोस्तों के साथ हत्या कर दी गई थी। मान्यता है कि उन्होंने इस्लाम की रक्षा के लिए अपनी जान दी थी। शिया मुस्लिम इस दिन को हुसैन की शहादत को याद करते हुए काले कपड़े पहनकर मातम करते हैं।

By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।