UP News:आजम खान के बाद अब भाजपा विधायक विक्रम सैनी की सदस्यता भी हुई रद्द, सैनी को भी मिली थी 2 साल की सजा

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UP News: यूपी में एक और विधायक की सदस्यता रद्द हो गई है और इस बार विधानसभा खतौली के भाजपा विधायक विक्रम सैनी की सदस्यता रद्द हो गयी है। अभी हाल ही में समाजवादी पार्टी  के रामपुर से विधायक आजम खान की सदस्यता रद्द हुई थी।

UP News: आप को बता दें कि बीजेपी विधायक सैनी को एमपी-एमएलए कोर्ट ने दो साल की सुनाई थी। जिसके बाद आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष को एक चिट्ठी भेजी थी।

जिसमें, राज्यसभा सांसद जयंत चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से बीजेपी विधायक को सजा होने के बाद उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग रखी थी और माना ये भी जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष ने उनकी मांग पर ही सैनी की सदस्यता रद्द करने का फैसला लिया है।

UP News: राजनीतिक जानकार बताते है कि सजा होने के साथ ही विक्रम सैनी की सदस्यता स्वतः ही रद्द हो गई थी। लेकिन, विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने जयंत की मांग को तरजीह देते हुए सदस्यता रद्द की है।

UP News: आपको बता दें कि  RLD अध्यक्ष जयंत चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर आखिरकार क्या लिखा था? उन्होंने पत्र में लिखते हुए कहा था कि “यह सवाल तब तक अस्तित्व में रहेगा जब तक आप बीजेपी विधायक विक्रम सैनी के मामले में ऐसी ही पहल नहीं करते।”

उन्होंने ये भी लिखा कि “मुझे उम्मीद है कि आप मेरे पत्र का संज्ञान लेते हुए विक्रम सैनी के मामले में भी शीघ्र ऐसा निर्णय लेंगे जो सिद्ध करेगा कि न्याय की लेखनी का रंग एक सा होता है भिन्नभिन्न नहीं”

अब जल्द ही विक्रम सैनी की सीट को विधानसभा सचिवालय रिक्त घोषित करेगा। इससे पहले आजम खान की रामपुर विधानसभा से सदस्यता रद्द होने के बाद रामपुर विधानसभा के साथ ही अब खतौली सीट पर भी जल्द उपचुनाव होगा।

गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर में साल 2013 में कवाल कांड हुआ था और इस मामले में भाजपा विधायक विक्रम सैनी समेत 12 लोगों को दोषी करार दिया गया था। जिसके बाद एमपी एमएलए कोर्ट ने सभी दोषियों को 2-2 साल की सजा और दस-दस हजार रुपये का आर्थिक दंड लगाया था।

हालांकि एमपी एमएलए कोर्ट ने कुछ समय बाद सभी 12 दोषियों को जमानत दे दी गई थी। इस मामले में पुलिस ने खतौली विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक विक्रम सैनी समेत 28 लोगों पर धारा 147 ,148 ,149 ,307 ,336 ,353 ,504 और 506 में मुकदमा दर्ज किया था। लेकिन 16 लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था।

UP News: कवाल कांड क्यों और कैसे शुरू  हुआ था

साल था 2013 दिन था 27 अगस्त, जगह थी मुजफ्फरनगर की जानसठ कोतवाली क्षेत्र का कवाल गांव जहां पर मलिकपुरा के सचिन एवं फुफेरे भाई गौरव का चौराहे बड़ी बेरहमी से कत्ल कर दिया गया था।

पांच साल चली केस की सुनवाई के बाद मुकदमे के सभी सात आरोपियों को एडीजे कोर्ट संख्या-7 ने हत्या का दोषी करार दिया था, कोर्ट ने दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और साथ ही सभी आरोपियों पर दोदो लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था।

जानकार बताते है कि कवाल कांड के बाद भड़के मुजफ्फरनगर दंगे की एक वजह फेसबुक पर वायरल हुई वह कथित वीडियो भी बनी, जिसे सचिन और गौरव की निर्मम हत्या का वीडियो बता कर प्रचारित किया गया।

UP News: सोशल मीडिया पर वीडियो के शेयर होने से आक्रोश बढ़ता गया और हिंसा की चिंगारी ने पूरे पश्चिम को चपेट में ले लिया। कथित वीडियो से फैली भ्रांति को रोकने के लिए शासन और प्रशासन को हरकत में आना पड़ा। इसी बीच शुभम नाम की फेसबुक आईडी से सरधना के भाजपा विधायक संगीत सोम को यह कथित वीडियो शेयर कर दी थी , जिसे उन्होंने लाइक किया। मामले से सोम के जुड़ते ही सियासत गरमा गई।

शासन के आदेश पर पुलिस ने विधायक संगीत सोम और शुभम के खिलाफ शहर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसके बाद विधायक सोम को गिरफ्तार कर जेल भेजने के साथ ही उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगा दिया। तत्कालीन सपा सरकार के निर्देश पर सोम को जिला कारागार से उरई की जेल में भेज दिया गया।

UP News: पुलिस और एसआईसी (स्पेशल इंवेस्टिगेशन सेल) ने कथित वीडियो की जांच पड़ताल शुरू की। चार साल की मशक्कत के बाद भी यह वीडियो क्लिप किस एकाउंट से शेयर की गई थी, इसका पता नहीं चल सका।

UP News: वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय की मदद से जांच को एसआईसी ने फेसबुक मुख्यालय अमेरिका को मेल भेजी। इंटरपोल की भी मदद ली गई, लेकिन फेसबुक मुख्यालय ने शुभम के एकाउंट की व्यक्तिगत जानकारी देने से इंकार कर दिया था।

डेढ़ साल तक जेल में बंद रहे विधायक सोम को उस समय राहत मिली, जब लखनऊ में एडवाईजरी बोर्ड ने रासुका के कारणों को गलत ठहराते हुए उसको निरस्त कर दिया।

कवाल केस के अधिवक्ता अनिल जिंदल बताते है कि एसआईसी को कथित वीडियो क्लिप के वायरल किए जाने के कोई साक्ष्य नहीं मिले। चार साल की जांच के बाद मुकदमे में 2017 में एफआर लगा दी गई। उक्त कथित वीडियो क्लिप किसी बाहरी मुल्क की थी।

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।