Hardeep Singh Puri: पर्यावरण संरक्षण की ओर देखते हुए केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाइड्रोजन गैस को दिखाई हरी झंडी

Hardeep Singh Puri: देश में पहली हवा पानी से चलने वाली बस को केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आज दिल्ली में हरी झंडी दिखा कर रवाना कर दिया है। पर्यावरण संरक्षण की ओर सरकार ने एक कदम बढ़ा दिया। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में इस तरह की अन्य बसें भी चलायी जायेगी जिसका असर पर्यावरण पर देखने को मिलेगा।शुरुआत के दौर में अभी दो बसों को ट्रॉयल के तौर पर लॉन्च किया गया है। ये हाइड्रोजन बसें एक बार में 300 किलोमीटर से अधिक का सफर तय करेगी। भारत अगले दो दशकों में पूरी दुनियां की 25% एनर्जी की डिमांड वाला देश होगा।

Hardeep Singh Puri: आये दिन नई नई टेक्नोलॉजी देखने को मिल रही है, तो दूसरी तरफ लगभग पूरी दुनिया गंभीर प्रदूषण का सामना कर रही है। जिसके चलते अलग अलग देशों की सरकारें इसके लिए प्रयासरत हैं। वहीं भारत भी इससे निजात पाने के लिए इलेक्ट्रिक गाड़ियों को तेजी से अपनाने के लिए ग्राहकों को प्रेरित कर रहा है। इसी कड़ी में भारत ने पहली हाइड्रोजन बस का निर्माण कर प्रदूषण की रोकथाम में एक नया कीर्तिमान जोड़ा है।

Hardeep Singh Puri: हाइड्रोजन से चलने वाली बसों में भारत का प्रवेश सार्वजनिक परिवहन के प्रति देश के दृष्टिकोण में एक बड़े बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। डीजल या पेट्रोल पर निर्भर पारंपरिक बसों के विपरीत, हाइड्रोजन बसें दो प्रचुर और स्वच्छ संसाधनों की शक्ति का उपयोग करके संचालित होती हैं – हवा और पानी। यह बदलाव भारत की कार्बन पदचिह्न को कम करने और वायु प्रदूषण से निपटने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।

हाइड्रोजन बसे कैसे काम करती है? 

Hardeep Singh Puri: हाइड्रोजन बसें अत्याधुनिक हाइड्रोजन ईंधन सेल प्रौद्योगिकी का उपयोग करती हैं। यह कैसे काम करता है इसका सरलीकृत विवरण यहां दिया गया है।

1. हाइड्रोजन उत्पादन इलेक्ट्रोलिसिस: इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से पानी के अणुओं को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करके हाइड्रोजन उत्पन्न किया जाता है। इस प्रक्रिया के लिए बिजली की आवश्यकता होती है, जिसे पूरी तरह से हरित चक्र के लिए नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त किया जा सकता है।

2. ईंधन सेल पावर हाइड्रोजन को बस में उच्च दबाव वाले टैंकों में संग्रहित किया जाता है। फिर इसे ईंधन सेल में डाला जाता है, जहां यह हवा से ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करता है। यह रासायनिक प्रतिक्रिया बस की इलेक्ट्रिक मोटर को शक्ति देने के लिए बिजली पैदा करती है, जिससे वाहन आगे बढ़ता है। इस प्रक्रिया का एकमात्र उपोत्पाद जल वाष्प है, जो इसे परिवहन का उत्सर्जन-मुक्त साधन बनाता है। हाइड्रोजन बसों के लाभ 1. शून्य उत्सर्जन हाइड्रोजन बसें कोई हानिकारक उत्सर्जन नहीं करती हैंजिससे वायु गुणवत्ता में सुधार और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आती है। 2. लंबी दूरी हाइड्रोजन बसें आमतौर पर बैटरी-इलेक्ट्रिक बसों की तुलना में लंबी ड्राइविंग रेंज प्रदान करती हैं, जो उन्हें लंबे मार्गों के लिए उपयुक्त बनाती हैं।

3.शीघ्र ईंधन भरना हाइड्रोजन बसों में ईंधन भरना एक पारंपरिक डीजल बस में ईंधन भरने जितना तेज़ है, जो इसे सार्वजनिक परिवहन के लिए अधिक व्यावहारिक बनाता है।

4.स्थिरता एक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा चक्र सुनिश्चित करते हुए, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके हाइड्रोजन का उत्पादन किया जा सकता है। चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएँ 1. बुनियादी ढांचे का विकास हाइड्रोजन ईंधन भरने का बुनियादी ढांचा स्थापित करना एक महत्वपूर्ण चुनौती है लेकिन व्यापक रूप से अपनाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है। 2. लागत संबंधी विचार हाइड्रोजन बसों और ईंधन सेल प्रौद्योगिकी की प्रारंभिक लागत अपेक्षाकृत अधिक है, लेकिन पैमाने की अर्थव्यवस्था भविष्य में लागत में कमी ला सकती है।

हाइड्रोजन बसों की शुरूआत भारत के हरित और स्वच्छ भविष्य के प्रति प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है, जहां हम जिस हवा में सांस लेते हैं वह हानिकारक उत्सर्जन से मुक्त रहती है, और पानी हमारे दैनिक आवागमन के लिए शक्ति का स्रोत बन जाता है। यह अभूतपूर्व पहल सार्वजनिक परिवहन में एक नए युग की शुरुआत करती है, जहां यात्रा गंतव्य जितनी ही महत्वपूर्ण है, और जहां नवाचार और स्थिरता हमें एक उज्जवल और स्वच्छ भविष्य की ओर ले जाती है।

Written By: Swati Singh

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By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।