Iceland PM: आपने क्या कभी सुना है कि जनता की समस्या को लेकर किसी देश की प्रधानमंत्री ने हड़ताल की हो। लेकिन ऐसा हुआ है। आइसलैंड में महिलाओं के साथ असमान वेतन और लिंग आधारित हिंसा की समाप्ति के समर्थन में मंगलवार को प्रधानमंत्री एक दिवसीय हड़ताल पर चली गई। यह हड़ताल 24 अक्टूबर 1975 को हुई। इस प्रकार की घटना के बाद महिलाओं द्वारा उठाया गया सबसे बड़ा कदम माना जाता है।
लिंग समान देश माना जाता है आइसलैंड
Iceland PM: 1975 में 90 प्रतिशत महिलाओं ने कार्यस्थल में भेदभाव पर गुस्सा व्यक्त करने के लिए काम करने, साफ-सफाई करने और बच्चों की देखभाल करने से इन्कार दिया था। 3.40 लाख की आबादी वाले आइसलैंड को 14 वर्षों से दुनिया का सबसे अधिक लैंगिक समानता वाला देश माना जाता है। आइसलैंड की 90% महिलाओं ने काम करने, साफ-सफाई करने या बच्चों की देखभाल करने से इनकार कर दिया था। इसके अगले साल 1976 में यहां समान अधिकारों की गारंटी देने वाला एक कानून पारित किया गया।
तब से और भी हड़ताल हुए, लेकिन कभी इस तरह महिलाएं पूरे दिन की हड़ताल पर नहीं गई थीं। जैसा कि इस बार 24 अक्टूबर को किया गया है। 2018 में कई हड़तालें हुई, लेकिन वो ऐसी हड़तालें रहीं कि महिलाएं सिर्फ आधे दिन काम करतीं और दोपहर में ही काम से उठ जाती। एक तरह से इस बात का प्रतीक कि जितनी तनख्वाह, उतना ही काम।
बता दें कि आइसलैंड वो देश है, जिसे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) ने लैंगिक समानता के मामले में लगातार 14 साल दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देश का दर्जा दिया है। हालांकि, लैंगिक समानता के मामले में किसी भी देश ने पूरी समानता हासिल नहीं की है। लैंगिक समानता के मामले में आइसलैंड को WEF ने 91.2% का स्कोर दिया। हालांकि आइसलैंड में भी वेतन में जेंडर गैप बना हुआ है।
घर पर ही रहेंगी प्रधानमंत्री
Iceland PM: आइसलैंड की प्रधानमंत्री कैटरीन जैकब्सडाटिर ने कहा कि वह हड़ताल में महिला दिवस की छुट्टी के रूप में घर पर ही रहेंगी और उम्मीद है कि उनकी कैबिनेट की अन्य महिलाएं भी ऐसा ही करेंगी। उन्होंने कहा कि हम अभी भी पूर्ण लैंगिक समानता के अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंचे हैं और हम अभी भी लिंग आधारित वेतन असमानता का सामना कर रहे हैं, जो 2023 में अस्वीकार्य है।
प्रधानमंत्री ने भी दिखाई एकजुटता
Iceland PM: कातरिन कोब्सतोतिर ने हड़ताली महिलाओं के साथ एकजुटता दिखाते हुए कहा कि वह आज काम पर नहीं जाएंगी और घर पर ही रहेंगी। स्थानीय मीडिया से बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “जैसा कि आप जानते हैं, हम लैंगिक समानता के लक्ष्यों को पूरी तरह नहीं हासिल कर पाए हैं और हम अब भी लैंगिक आधार पर वेतन में भेदभाव का सामना कर रहे हैं। 2023 में यह स्थिति स्वीकार नहीं की जा सकती।” उन्होंने यह भी कहा, “इस दिन मैं काम नहीं करूंगी और मुझे उम्मीद है कि कैबिनेट की बाकी महिलाएं भी ऐसा ही करेंगी।”
हड़ताल करने वालों ने कहा कि देश में लिंग भेदभाव बड़ा है वहीं महिलाओं के खिलाफ अपराध भी बढ़े हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट बताती है कि आइसलैंड में 22 प्रतिशत महिलाएं यौन हिंसा का शिकार हो रही है। वहीं वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार लिंग समानता इंडेक्स में आइसलैंड दुनिया का सबसे अच्छा देश हैं।
Written By: Vineet Attri
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