Geeta Press: पुरस्कार देना गोडसे और सावरकर को इनाम देने जैसा, जयराम रमेश के किया ट्वीट, वहीं भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने बताया अद्भुत निर्णय

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Geeta Press: गीता गोरखपुर प्रेस को केंद्र सरकार ने साल 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार देने फैसला किया है। इसको लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी और महासचिव जयराम रमेश ने ट्विट करते हुए लिखा कि “यह सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।”

Geeta Press: महासचिव जयराम रमेश: गीता प्रेस फैसला वास्तव में एक उपहास है

Geeta Press: जयराम रमेश ने एक ट्वीट के जरिए कहा कि “2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर में गीता प्रेस को प्रदान किया गया है जो इस वर्ष अपनी शताब्दी मना रहा है। अक्षय मुकुल द्वारा इस संगठन की 2015 की एक बहुत ही बेहतरीन जीवनी है जिसमें वह महात्मा के साथ इसके तूफानी संबंधों और उनके राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चल रही लड़ाइयों का पता लगाता है। यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।”

कपिल मिश्रा: गीत प्रेस को अवार्ड देने के फैसले पर पीएम का जताया आभार

Geeta Press: वहीं बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने इस निर्णय को अद्भुत निर्णय बताते हुए अपने ट्विटर एकाउंट से ट्वीट किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आभार व्यक्त किया है और साथ ही गीता प्रेस को अवार्ड देने को लेकर कहा कि “गीता प्रेस गोरखपुर को वर्ष 2021 का गाँधी शांति पुरस्कार दिया जाएगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली ज्यूरी ने किया फैसला पुरस्कार में ₹ एक करोड़ की राशि, एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है यह बाबा आम्टे, नेल्सन मंडेला, बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान को भी दिया जा चुका है।”

संस्कृति मंत्रालय:प्रधानमंत्री मोदी ने शांति एवं सामाजिक सद्भाव के क्षेत्र मं बताया अद्भुत योगदान

Geeta Press: इससे पहले संस्कृति मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली जूरी ने सर्वसम्मति से गीता प्रेस, गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार के लिए चुनने का फैसला किया। बयान में कहा गया कि “प्रधानमंत्री मोदी ने शांति एवं सामाजिक सद्भाव के गांधीवादी आदर्शों को बढ़ावा देने में गीता प्रेस के योगदान को याद किया।”

Geeta Press: मंत्रालय ने आगे कहा कि “गांधी शांति पुरस्कार 2021 मानवता के सामूहिक उत्थान में योगदान देने के लिए गीता प्रेस के महत्वपूर्ण और अद्वितीय योगदान को मान्यता देता है, जो गांधीवादी जीवन को सही अर्थों में व्यक्त करता है।”

Geeta Press: मंत्रालय ने कहा कि “पुरस्कार किसी भी व्यक्ति को दिया जा सकता है चाहे उसकी राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग कोई भी हो। मंत्रालय ने कहा कि पुरस्कार में एक करोड़ रुपये, एक प्रशस्ति पत्र, एक पट्टिका और एक उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तकला/हथकरघा वस्तु शामिल है। हाल के समय में सुल्तान कबूस बिन सैद अल सैद, ओमान (2019) और बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान (2020), बांग्लादेश को यह पुरस्कार दिया गया है।”

गीता प्रेस मना रहा है शताब्दी वर्ष

Geeta Press: मोदी ने कहा कि गीता प्रेस को उसकी स्थापना के सौ साल पूरे होने पर गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाना। संस्थान द्वारा सामुदायिक सेवा में किये गये कार्यों की पहचान है। गीता प्रेस की शुरुआत वर्ष 1923 में हुई थी और यह दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है, जिसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जिनमें श्रीमद्‍भगवद्‍गीता की 16.21 करोड़ प्रतियां शामिल हैं।

गांधी शांति पुरस्कार की शुरूआत साल 1995 में हुई थी 

Geeta Press: आपको बता दें कि गांधी शांति पुरस्कार एक वार्षिक पुरस्कार है, जिसकी शुरुआत सरकार ने 1995 में महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर गांधी द्वारा प्रतिपादित आदर्शों को सम्मान देते हुए की थी।

Geeta Press: हालांकि, गीता प्रेस ने गांधी शांति सम्मान को स्वीकार किया है पर एक करोड़ की सम्मान राशि लेने से इनकार कर दिया है। निःस्वार्थ भक्ति की प्रेरणा का प्रतीक गीता प्रेस। आज से नहीं बल्कि दशकों से निस्वार्थ भाव से धार्मिक विचारों को घर-घर पहुँचाने वाला गीता प्रेस आम जनता के भक्ति भाव की जीती जागती इबारत है।

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।