Rajasthan: पुलवामा हमले में शहीद सपूतों की विरांगनाओं ने सचिन पायलट के घर के बाहर दिया धरना, कहा-“क्या हम मुख्यमंत्री के बेटे की नौकरी छीन रहे?”

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Rajasthan: पुलवामा में शहीद हुए 3 सपूतों की विधवाएं 9 दिन से लगातार जयपुर में धरने पर बैठी हैं। वहीं शहीदों की विधवाओं की मांग है कि उनके बच्चे बहुत छोटे है उनका घर चल नहीं पा रहै हैं इसलिए उनके पतियों की नौकरी उनके देवरों को दे दी जाए। बता दें कि पहले गहलोत सरकार ने मंगलवार को मान ली थी, लेकिन फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पलट गए।

पुलवामा हमले में जान गंवाने वाले जवानों की वीरांगनाओं ने कांग्रेस नेता सचिन पायलट के घर के बाहर तीन दिन (6 मार्च से) धरना दे रहीं है। एक वीरांगना ने कहा, “हमें पता कि हमारा घर कैसे चल रहा है। हम अपने देवर को नौकरी दिलाना चहाते हैं इसमें क्या हम मुख्यमंत्री के बेटे की नौकरी छीन रहे?”

Rajasthan: इस बीच सचिन पायलट पर वीरांगनाओं की आड़ में सियासत करने का आरोप भी लग रहा है। ऐसा इसलिए भी है कि सबको पता है कि सीएम अशोक गहलोत औऱ सचिन पायलट के बीच में 36 का आंकड़ा हैं। दोनों के रिश्ते आजकल सहीं भी नहीं चल रहे हैं।

आपको बता दें कि सचिन पायलट ने ही सोमवार रात को पत्र लिखकर मांग की थी कि वीरांगनाओं की सभी मांगें पूरी की जाएं और उनके साथ हुई बदसलूकी के मामले में भी कार्रवाई की जाए। वीरांगनाएं इंसाफ के लिए पायलट के घर जाकर बैठी थीं फिर मांग की कि इस मामले में कार्रवाई के लिए उन्हें सोनिया गांधी से मिलवाएं।

गौरतलब है कि पुलवामा हमले में शहीद हुए रोहिताश लांबा की पत्नी मंजू, जीतराम की पत्नी सुंदरी और हेमराज की पत्नी मधु देवी पिछले 3 दिन से कांग्रेस नेता सचिन पायलट के घर के बाहर धरने पर बैठी है। जयपुर में वीरांगनाओं के धरने का आज 9वां दिन है।

भाजपा सांसद किरोणी लाल मीणा: पुलवामा के शहीद जवानों की विरांगनाओं की मांग मानने में क्या परेशानी है?

Rajasthan: वहीं अब बीजेपी प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राज्यपाल से मिलकर वीरांगनाओं को इंसाफ के लिए दखल देने की मांग की। भाजपा सांसद किरोणी लाल मीणा ने पुलवामा हमले में जान गंवाने वाले जवानों की वीरांगनाओं के धरना देने के मामले को लेकर कहा कि “यह सिर्फ मुख्यमंत्री जी से मिलना चाहती हैं लेकिन वह 10 दिनों से नहीं मिल रहे। हम नहीं चाहते कि प्रदर्शन उग्र हो। गुर्जर आंदोलन में 13 मृतक परिवारों में देवर, भतीजों आदि सदस्यों को नौकरी दी गई थी। जब वहां दे सकते हैं तो यहां देने में क्या दिक़क्त है?”

 सुत्रों की माने तो बीजेपी प्रतिनिधिमंडल के राज्यपाल से मिलने के बाद, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीएम अशोक गहलोत से इस मसले पर फोन पर बात की। रक्षा मंत्री से बात करने के बाद सीएम गहलोत ने 2 मंत्रियों को धरना स्थल पर भी भेज दिया। वीरांगनाओं से वार्ता के बाद दोनों मंत्रियों ने सरकार की ओर से सभी मांगें मान ली।

 न्यूज18 इंडिया से विशेष बातचीत में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और मंत्री शंकुतला रावत ने कहा कि सभी मांगें जायज हैं। उन्होंने कहा, ‘हम सरकार की ओर से वादा कर रहे हैं कि परिजनों को नौकरी देने और शहीद की प्रतिमा लगाने समेत सभी मांगे पूरी कर दी जाएगी।

Rajasthan: सरकार ने बदला था अपना फैसला

इन महिलाओं से किए वादे के बाद देर रात को सीएम अशोक गहलोत अपने ही सरकार के मंत्रियों के वादे से पलट गए थे। हालांकि, उन्होंने अपने फैसले से पलटने के लिए दलील देते हुए कहा था कि किसी और रिश्तेदार को नौकरी देने से शहीदों के बच्चों का हक मारा जाएगा। ऐसे ही शहीद हेमराज की पत्नी की प्रतिमा लगाने की मांग भी खारिज कर दी। और साथ ही विपक्ष पर आरोप लगाया था कि बीजेपी के नेता राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए वीरांगनाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं।

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।