No motion Confidence Bill: लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का आज तीसरा एवं ऑखिरी दिन है और संभावना ये ही जताई जा रही है कि पीएम मोदी करीब 4 बजे सदन में सिलसिलेवार तरीके से जबाव देंगे। इससे पहले बीते गुरूवार को अविश्वास प्रस्ताव की बहस के दौरान मणिपुर हिंसा पर अमित मिश्रा ने विस्तारपूर्वक विपक्ष के हर सवालों को तस्सलीबक्श जबाव दिया था। इस पर भाजपा के नेता कपिल मिश्रा ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि “ये अविश्वास प्रस्ताव कांग्रेस को बहुत महँगा पड़ गया कल अमित शाह ने धोया आज मोदी जी निचोड़ेंगे …”
ये अविश्वास प्रस्ताव कांग्रेस को बहुत महँगा पड़ गया
कल अमित शाह ने धोया
आज मोदी जी निचोड़ेंगे pic.twitter.com/FJ2LAJzrrD— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) August 10, 2023
No motion Confidence Bill: बता दें मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को विपक्ष ने 26 जुलाई को पेश किया था, जिसे लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने स्वीकार कर लिया था। 8 से 10 अगस्त तक इस पर चर्चा की जानी थी और आज इस प्रस्ताव पर चर्चा का आखिरी दिन है।
No motion Confidence Bill: गौरतलब है कि मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को कांग्रेसनीत विपक्ष ने 26 जुलाई को पेश किया था, जिसे लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने स्वीकार कर लिया था। 8 से 10 अगस्त तक इस पर चर्चा की जानी थी।
No motion Confidence Bill: आपको बता दें कि 8 अगस्त को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की शुरुआत गौरव गोगोई ने की थी, इसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच वार–पलटवार का सिलसिला शुरू हो गया।बीते 9 अगस्त बुधवार को कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी ने बीजेपी और मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा तो सत्ता पक्ष की ओर से अमित शाह और स्मृति इरानी ने कांग्रेस पर पलटवार किया। पीएम अविश्वास प्रस्ताव के दौरान आखिर में सदन के लोग मतदान करेंगे. हालांकि सरकार को वोटिंग से कोई खतरा नहीं है क्योंकि भाजपा और उसके सहयोगियों को मिलाकर सरकार के पास पूर्ण बहुमत है.
No motion Confidence Bill: क्या है अविश्वास प्रस्ताव ?
No motion Confidence Bill: भारत के संविधान में अविश्वास प्रस्ताव का कोई जिक्र नहीं किया गया है, लेकिन आर्टिकल-75 के अनुसार प्रधानमंत्री और उनका मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह होता है। चूंकि लोकसभा में जनप्रतिनिधि बैठते हैं, ऐसे में सरकार के पास सदन का विश्वास होना बहुत जरूरी है यानी कोई भी सरकार तभी सत्ता में रह सकती है, जब लोकसभा में उसके पास बहुमत हो। इसी को आधार बनाकर लोकसभा के रूल 198 में अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र किया गया। अविश्वास प्रस्ताव एक तरीके से सरकार के पास सदन में बहुमत है या नहीं, इसे जांचने का तरीका है।
कब और क्यों लाया जाता है अविश्वास प्रस्ताव?
No motion Confidence Bill: जब किसी दल को लगता है कि सरकार सदन का विश्वास या बहुमत खो चुकी है, तो विपक्ष या कोई सांसद सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जात लेकिन कानून ये है कि अविश्वास प्रस्ताव केवल एक ही सूरत में लाया जाता है जब बिल को लेकर कम से कम 50 सांसदों का समर्थन होना चाहिए। अविश्वास प्रस्ताव पारित कराने के लिए सबसे पहले विपक्षी दल को लोकसभा अध्यक्ष को इसकी लिखित सूचना देता है तब लोकसभा स्पीकर इस पर फैसला करता है कि बिल को 50 सासंदों का समर्थन प्राप्त है कि नही। जब वो पूरी तरह से विपक्ष के बिल को सहीं पाते है तो वो सहुलियत अनुसार बिल को सदन में पेश करने का वक्त प्रदान करते है।
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