Ramcharitra Manas Vivad: समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और यूपी के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य इन दिनों भाजपा के साथ सपा नेताओं के निशाने पर भी आ गए है। बहुत कम बार ऐसा देखा जाता है कि कोई नेता विपक्ष के साथ पक्ष के नेताओं के निशाने पर आ जाए। लेकिन, ऐसा हुआ स्वामी प्रसाद मोर्य के साथ जिन्होंने हाल ही में रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया था।
Ramcharitra Manas Vivad: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूेपेंद्र चौधरी- “स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे लोग विक्षिप्त”
भाजपा नेताओं के साथ सपा नेताओं के भी निशाने पर भी आ गए थे और अब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूेपेंद्र चौधरी ने तो उनकी आलोचना करते हुए एक कदम आगे निकल गए और उनको विक्षिप्त तक कह डाला।
भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि ”स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे लोग विक्षिप्त हैं और अखिलेश यादव को बताना चाहिए ये उनकी पार्टी का विचार है या स्वामी प्रसाद का निजी विचार हैं। सपा हमेशा देश विरोधी लोगों के साथ खड़ी रही।” इस पर अब स्वामी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ”उन्होंने जितनी भी अशुभ बातें की हैं वो उन्हें ही मुबारक।”
उन्होंने जितने भी अशुभ बाते की हैं वो उन्हें मुबारक: यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के बयान पर समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य, लखनऊ https://t.co/ISNAHAn9Ak pic.twitter.com/w3gfArjfi7
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 24, 2023
राजद नेता शिवानंद तिवारी: स्वामी प्रसाद को भगवान राम की जरुरत नहीं होगी लेकिन…
वहीं राजद नेता शिवानंद तिवारी ने स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर कहा कि “लोगों को बयान देने का अधिकार है। उनका तुलसीदास जी के बारे में और रामचरितमानस के बारे में क्या विचार है ये तो हमें नहीं पता है और एक समय में इन सब चीजों की मान्यता थी। स्वामी प्रसाद को भगवान राम की जरुरत नहीं होगी और वो सत्ता और धन समेत हर तरह से मजबूत हैं लेकिन, गरीब लोगों का सहारा तो राम ही हैं।“
स्वामी प्रसाद मौर्य: रामचरितमानस पर दिया था विवादित बयान
बता दें कि उन्होंने गत रविवार को लखनऊ में कहा था कि ”रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर यदि समाज के किसी वर्ग का अपमान हुआ है तो वह निश्चित रूप से धर्म नहीं है। यह ‘अधर्म‘ है, जो न केवल बीजेपी बल्कि संतों को भी हमले के लिए आमंत्रित कर रहा है।”
मौर्य ने आगे ये भी कहा था कि ”रामचरित मानस की कुछ पंक्तियों में जातियों के नामों का उल्लेख है जो इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाओं को आहत करती हैं।”
मौर्य ने तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर यह कहते हुए पाबंदी लगाने की मांग की है कि उनसे समाज के एक बड़े तबके का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता है।
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