Chandrayaan-3 Mission: ISRO ने पूरा किया लॉन्च रिहर्सल,चंद्र मिशन में नहीं होगी कोई चूक

Chandrayaan-3 Mission: ISRO

11 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 मिशन की लॉन्चिंग से पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 24 घंटों की लॉन्‍च रिहर्सल को पूरा कर लिया है। इसमें श्रीहरिकोटा के लॉन्च सेंटर से लेकर अन्य स्थानों के सभी केंद्र, टेलिमेट्री सेंटर और कम्यूनिकेशन यूनिट्स की तैयारियों का जायजा लिया जाता है। माहौल को लॉन्‍च के जैसा बनाया जाता है, ताकि मिशन वाले दिन कोई रुकावट ना आए। लॉन्‍च रिहर्सल में वो सभी काम किए जाते हैं, जो आगामी 14 जुलाई शुक्रवार को होंगे।

चंद्रयान-3 मिशन शुक्रवार को होगा लांच

आपको बता दें कि चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई की दोपहर 2:35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्‍च किया जाएगा।इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-3 मिशन के तहत इसरो 23 अगस्त या 24 अगस्त को चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास करेगा। अंतरिक्ष के क्षेत्र में ये भारत की एक और बड़ी कामयाबी होगी।

मंगलवार को एक ट्वीट में इसरो ने बताया कि “24 घंटे की लॉन्‍च रिहर्सल पूरी हो गई है। एजेंसी ने मिशन से जुड़ी नई तस्‍वीरें भी शेयर की हैं। चंद्रयान-3 साल 2019 में लॉन्‍च किए गए चंद्रयान-2 का फॉलोअप मिशन है। इसका मकसद मून लैंडर को सफलतापूर्वक चांद पर उतारना और उसके वहां घूमने की क्षमता को दिखाना है। इससे पहले सोमवार को इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया था कि “चंद्रयान-3 मिशन में वो गलतियां नहीं होंगी, जो चंद्रयान-2 मिशन में हुई थीं और जिनकी वजह से लैंडर, चांद पर नहीं उतर पाया था।”

एस सोमनाथ ने आगे बताया कि “2019 में जब लैंडर ‘विक्रम’ ने चांद की सतह पर तय 500मीटर x 500 मीटर के लैंडिंग प्‍लेस पर उतरना शुरू किया तो उसके वेग को धीमा करने के लिए डिजाइन किए गए इंजनों में उम्मीद से ज्‍यादा बल विकसित हो गया।HEC के HMBP के प्लांट हेड ने बताया कि चंद्रयान 3 को लेकर एचईसी से कई महत्वपूर्ण उपकरण इसरो को भेजा गया है। इसमें होरिजेंटल स्लाइडिंग डोर, फोल्डिंग प्लेटफार्म और विल बोगी सिस्टम है और इन सभी उपकरणों का इस्तेमाल असेंबलिंग एरिया से लॉन्चिंग पैड तक किया जाता है।”

चंद्रयान-3 में नहीं होगा ऑर्बिटर

चंद्रयान-3 में इस बार ऑर्बिटर नहीं भेजा जा रहा है। इस बार स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल भेज रहे हैं। यह लैंडर और रोवर को चंद्रमा की कक्षा तक लेकर जाएगा। इसके बाद यह चंद्रमा के चारों तरफ 100 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा। इसे ऑर्बिटर इसलिए नहीं बुलाते क्योंकि यह चंद्रमा की स्टडी नहीं करेगा। इसका वजन 2145.01 किलोग्राम होगा जिसमें 1696.39 किलोग्राम ईंधन होगा यानी मॉड्यूल का असली वजन 448.62 किलोग्राम है।

चंद्रयान-3 मिशन के तीन प्राथमिक उद्देश्य

चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग का प्रदर्शन
चंद्रमा पर रोवर के घूमने का प्रदर्शन
इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन

चंद्रयान-1 ने की चांद पर पानी की खोज

सोमनाथ ने याद दिलाया कि चंद्रमा की सतह पर पानी की उपस्थिति की खोज करने का श्रेय चंद्रयान प्रथम अर्थात् चंद्रयान-1 को दिया जाता है, जो दुनिया और सबसे प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों के लिए एक नई खोज थी और यहां तक कि नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) इस खोज से आकर्षित हुआ और उन्‍होंने अपने आगे के प्रयोगों के लिए इस इनपुट का उपयोग किया।

इससे पहले राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बुधवार को बताया कि “श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में चंद्रयान-3 युक्त एनकैप्सुलेटेड असेंबली को एलवीएम3 के साथ जोड़ा गया। यह मिशन भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बना देगा।”

Written By- Poline Barnard.

ये भी पढे़ं…

Delhi: खतरे के निशान से ऊपर पहुंचा यमुना का जलस्तर,रेलवे ने दिल्ली में पुराने यमुना ब्रिज पर रेल यातायात किया बंद
Viral Dance Video: साड़ी पहनकर टिप-टिप बरसा पानी पर लड़के ने किया कमाल का डांस,कमर और मूव्स देखकर चकराया लोगों का दिमाग

 

By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।