Delhi: जामा मस्जिद में लड़कियों को प्रवेश न करने देने पर मचा बवाल, VHP ने किया इमाम के फैसले का विरोध

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Delhi: जहां एक तरफ दुनिया में मुस्लिम लड़कियां अपने हक की लड़ाई के लिए संघर्ष कर रहीं है।वहीं इस्लाम समाज की महिलाएं अपने अधिकारों को लेकर संघर्ष कर रही हैं। ईरान में भी हिजाब को लेकर वहां की महिलाएं सड़कों पर प्रदर्शन कर रही हैं। लेकिन, वहीं एक तस्वीर ऐसी भी आई जहां इन सब बातो को ख़ारिज कर दिया गया…देश की सबसे बड़ी मस्जिद कही जाने वाली राजधानी दिल्ली की जामा मस्जिद में अब लड़कियों के अकेले प्रवेश को बैन कर दिया गया है।

जी हाँ, जबसे ये खबर सामने आई है बवाल मच गया है और इस बार ये ऐतिहासिक मस्जिद अपने एक फरमान को लेकर विवादों में है। दरअसल,  जामा मस्जिद में लड़कियों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह फरमान मस्जिद की ओर से जारी किया गया है। मस्जिद की दीवारों पर बाकयदा एक प्लेट लगा दी गई है। जिसमें लिखा हुआ है कि, ”जामा मस्जिद में लड़की या लड़कियों का अकेले दाखिला मना है और जामा मस्जिद के तीन गेट पर एक पट्टी लगाई गई है… जिसमें, उर्दू और हिंदी में लिखा है- ‘जामा मस्जिद में लड़की या लड़कियों का अकेले दाखला मना है।”

Delhi: बता दें कि जामा मस्जिद के इस आदेश को कट्टरवादी मानसिकता बताकर आलोचना हो रही है। लोगो का कहना है कि कैसे आधी आबादी के साथ कोई ऐसा बरताव कर सकता है। लोग सवाल कर रहे है की भारत में महिलाओं को पूरी स्वतंत्रता हासिल है, संविधान, समाज में बराबरी का दर्जा है फिर इस पाबंदी की जरूरत क्यों ? तो आप इससे अंदाज़ा लगा सकते है की इन कट्टरपंथियों की सोच कितनी छोटी है…

Delhi: हिंदू सगंठनों ने भी जामा मस्जिद के इस फैसले की कड़ी निंदा की है। इस मामले में VHP के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने भी जामा मस्जिद प्रशासन के इस निर्णय का विरोध किया है।

बंसल ने लिखा, “तीन तलाक, हलाला, हिजाब और काले बोरे में कैद रखने वाले जिहादी ठेकेदार मुस्लिम बेटियों को व्यभिचार के अड्डे बनते मदरसों में भेजने की तो वकालत करते हैं किन्तु मस्जिदों के गेट पर लट्ठ लेकर खड़े हो जाते हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि “भारत को सीरिया बनाने की मानसिकता पाले ये मुस्लिम कट्टरपंथी ईरान की घटनाओं से भी सबक नहीं ले रहे। ये भारत है, जहाँ की सरकार का ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ’ का नारा है और जामा मस्जिद में नारी निषेध है?”

Delhi: वहीं सोशल मीडिया पर भी लोग इस फैसले का जमकर विरोध कर रहे है। मुस्लिम समाज की ही सामाजिक कार्यकर्ता शहनाज अफजल ने इस फरमान का खुला विरोध करते हुए इसे गैर-संवैधानिक करार दिया है। उन्होंने इसे बराबरी के हक के खिलाफ बताया है।

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने भी जामा मस्जिद में लड़कियों की एंट्री पर रोक लगाने पर नाराजगी जाहिर की है। और साथ ही मालीवाल ने जामा मस्जिद के इमाम को नोटिस भी भेजा दिया।

Delhi: उन्होंने गुरुवार को ट्वीट करते हुए लिखा कि ”जामा मस्जिद में महिलाओं की एंट्री रोकने का फ़ैसला बिलकुल ग़लत है। जितना हक एक पुरुष को इबादत का है उतना ही एक महिला को भी हैं और मैं जामा मस्जिद के इमाम को नोटिस जारी कर रही हूं। इस तरह महिलाओं की एंट्री बैन करने का अधिकार किसी को भी नहीं है।”

वही इस मामले में इस फैसले की सफाई देते हुए जामा मस्जिद के प्रवक्ता सबीउल्लाह ने कहा है कि “जामा मस्जिद में कई कपल आते हैं, जिनका व्यवहार धर्म के अनुसार नहीं होता है।”

उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि “सोशल मीडिया के लिए वीडियो बनाने के लिए भी युवतियां आती हैं, जो नमाज स्थल तक आ जाती हैं। जिससे नमाजियों को असुविधा होती है। अंदर मस्जिद में वीडियो न बनाने के संदेश भी लिखे हुए है फिर भी, लड़कियां मानने को तैयार नहीं होती हैं।”

Delhi: बता दें कि जामा मस्जिद के इस आदेश को कट्टरवादी मानसिकता बताकर आलोचना हो रही है। इस मामले को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता शहनाज अफजल ने कहा कि भारत जैसे देश में जहां हर किसी को बराबरी का अधिकार मिला हुआ है। उसमें इस तरह का फैसला संविधान को ताक पर रखने जैसा है।

उन्होंने आगे कहा कि इस तरह का फैसला किसी भी सूरत में मान्य नहीं है। ये फैसला लेने वाले लोग उस मानसिकता के हैं जो लड़कियों को अंधकार के कुएं में रखना चाहते हैं।

इस मामले को लेकर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रवक्ता शाहिद सईद ने भी इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह मानसिकता गलत है। उन्होंने कहा कि इबादत की जगह हर किसी के लिए खुली होनी चाहिए। यहां महिलाओं के साथ दोयम दर्जे का बरताव क्यों? अन्य धर्म के धार्मिक स्थलों में यह अंतर नहीं है।

Delhi: गौरतलब है कि दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद मुगलों के जमाने की है इसकी गिनती विश्व की सबसे बड़ी मस्जिदों में होती है। यह दिल्ली का प्रमुख इस्लामिक धार्मिक स्थल में से एक होने के साथ-साथ देश-विदेश के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी है।

रमजान के दिनों में यहां इफ्तार के वक्त रौनक देखते ही बनती है, जहां बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होकर नमाज अदा करते है। महिलाओं की एंट्री पर बैन को लेकर लोगों की सोच है कि इन कट्टरपंथी सोच वालों को ईरान की घटनाओं से सबक लेना चाहिए।

मुस्लिम बहुल देश ईरान में महिलाएं हिजाब से मुक्ति चाहती हैं तो भारत जैसे विविधता वाले देश में महिलाओ को मस्जिद में जाने से रोकना ये कैसी मासिकता है ?

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।