मैनपुरी लोकसभा सीट: भाभी डिंपल यादव ने भरा पर्चा, चाचा शिवपाल का भी मिला आशीर्वाद

मैनपुरी लोकसभा सीट

मैनपुरी लोकसभा सीट: एक कहावत है कि राजनीति और किक्रेट में अद्भुत समानता होती है। मैच की आखिरी बॉल तक कुछ नहीं कहा जा सकता। कम से कम यूपी की राजनीति के बारे में यह सच साबित होता दिख रहा है। देर सबेर ही सही, डिंपल यादव को आखिरकार मैनपुरी सीट पर चुनाव मैदान में उतार ही दिया और अब सवाल ये है कि फैसला कितना सही है या गलत?

ये जानने के लिए चुनाव नतीजों का इंतजार तो करना ही पड़ेगा…लेकिन कागजो में नाम तो डिम्पल यादव का है लेकिन हकीकत में लड़ाई अखिलेश यादव ही करने जा रहे हैं…

मैनपुरी लोकसभा सीट: डिंपल यादव की चुनावी राजनीति की शुरुआत ऐसी ही परिस्थितियों में हुई थी, लेकिन पहला अनुभव बहुत बुरा रहा और अखिलेश यादव के लिए वो किसी सदमे से कम नहीं था… नाम के अटकलों के बीच मैनपुरी की लोकसभा सीट से तेज प्रताप यादव की जगह अचानक डिंपल यादव को सपा का उम्‍मीदवार घोषित हो जाना, जबकि तेज प्रताप का नाम लगभग तय माना जा रहा था।

1996 से लेकर अब तक मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र समाजवादी पार्टी के उस गढ़ की तरह रही है जिसको अभी तक कोई पार्टी भेद नहीं पाई है। हालांकि, पहली बार ऐसा होगा जब मैनपुरी में लोकसभा चुनाव मुलायम सिंह यादव की सरपरस्ती में नहीं होगा।

मैनपुरी लोकसभ सीट: मैनपुरी सीट शुरू से ही दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव का गढ़ रहा है। ऐसे में अखिलेश यादव की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। इसी बीच ये भी खबरे आई की बीजेपी अपना दांव अपर्णा यादव पर खेल सकती है। फिर बीजेपी ने अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर भाजपा ने मैनपुरी सीट से रघुराज सिंह शाक्य पर ताल ठोका है।

डिंपल यादव के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले भाजपा प्रत्याशी रघुराज सिंह कभी सपा से सांसद रह चुके है, इसके अलावा वो प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव के करीबी भी माने जाते है। ऐसे में भाजपा ने डिंपल यादव के खिलाफ रघुराज सिंह को उतारा कर बड़ा दांव खेला है।

मैनपुरी लोकसभा सीट: आपको बता दें कि शाक्य जसवंतनगर के खेड़ा धौलपुर गांव के मूल निवासी हैं। एक जुलाई 1968 को जन्मे रघुराज इटावा से सपा के टिकट पर साल 1999 और 2004 में सांसद भी बने है। इसके अलावा वो साल 2012 में इटावा सदर सीट के विधायक भी रह चुके हैं।

बता दें कि समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद यह लोकसभा सीट खाली हुई थी। मैनपुरी सीट यादव परिवार का गढ़ भी माना जाता है और कई सालों से इस सीट पर यादव परिवार का कब्जा रहा है।

27 जनवरी 2017 को रघुराज शाक्य ने समाजवादी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद वे शिवपाल सिंह यादव से जुड़ गए। शिवपाल यादव ने उन्हें अपनी पार्टी में प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में रघुराज शाक्य ने इटावा सदर सीट से दावेदारी की थी। इसके बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया।

मैनपुरी लोकसभा सीट: बीजेपी का रघुराज को टिकट देना इसके पीछे भी कई कारण है। सबसे पहला कारण तो यही है की-दो बार सांसद और एक बार विधायक रहे रघुराज सिंह शाक्य पिछड़ा वर्ग में अच्छी पैठ रखते हैं।

मैनपुरी लोकसभा सीट पर भाजपा ने जातिगत आंकड़ों को साधने की कोशिश की। 1- यादव के बाद शाक्य जाति के मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है।

2- रघुराज सिंह शाक्य इटावा के जसवंतनगर नगर के मूल निवासी है। लोकसभा क्षेत्र की जसवंतनगर विधानसभा सीट के मतदाताओं में सेंध लगाने की कोशिश की।

रघुराज सिंह शाक्य लंबे समय से सपा से जुड़े रहे, वो शिवपाल सिंह यादव के बेहद करीबी हैं। शिवपाल सिंह के अलग होने पर उन्होंने ने भी सपा छोड़ दी थी। शिवपाल गुट आज भी उनके साथ है। वो दो बार सांसद और एक बार विधायक चुके गए हैं। उन्हें चुनाव लड़ने का बहुत अनुभव है।

मैनपुरी लोकसभा सीट: शाक्य भले हीं इटावा से हैं, लेकिन भाजपा ने बहुत सोच समझकर रणनीति के तहत उन्हें डिंपल यादव के खिलाफ खड़ा किया है। दरअसल, अगर जातिगत समीकरण देखें तो मैनपुरी में यादव समाज के बाद शाक्य समाज की आबादी सबसे ज्यादा है।

तकरीबन छह लाख यादव मतदाता है. इसके बाद शाक्य बिरादरी के लोग है जिनकी आबादी तीन लाख के आसपास बताई जाती है….वहीं, पार्टी ने यूपी की रामपुर और खतौली सीट विधानसभा सीट के लिए भी अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है।

समाजवादी पार्टी अपने पारंपरिक यादव वोट बैंक के अलावा शाक्य बिरादरी को साधने के लिए अपने पूर्व मंत्री आलोक शाक्य को मैनपुरी में पार्टी का जिला अध्यक्ष नियुक्त किया है. पार्टी सूत्रों की माने तो यह कदम शाक्य बिरादरी को एकजुट करने की दिशा में लिया गया है.

शिवपाल यादव ने उन्हें अपनी पार्टी में प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी। वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में रघुराज शाक्य ने इटावा सदर सीट से दावेदारी की थी। इसके बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया।

मैनपुरी लोकसभा सीट: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के खिलाफ चुनाव लड़ने का मौका मिलने पर भाजपा प्रत्याशी ने सीएम योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया है।

लोगो का मनना है की रघुराज राजनीती के मंझे हुए खिलाडी हैं क्योंकि शिवपाल की सपा से पारिवारिक तल्खी और शिवपाल से रघुराज की नजदीकियाँ चुनाव में फायदा पहुंचा सकती है और इसका मतलब अब चुनाव और मजेदार होने वाला है।

मैनपुरी लोक सभा सीट समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई है और वहां से डिंपल यादव के चुनाव लड़ने को उनके उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है।

मैनपुरी लोकसभा सीट: ध्यान देने वाली बात ये है कि मैनपुरी की ही तरह करहल विधानसभा सीट से अखिलेश यादव फिलहाल विधायक हैं – और डिंपल यादव के लिए राहत देने वाली बात एक और भी है कि अब चाचा शिवपाल यादव का भी समर्थन बड़ी बहू डिंपल को मिल गया है। डिंपल के लिए मैन पुरी सीट जीतना प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।

बीजेपी की तो 2014 से ही यूपी की ऐसी परंपरागत सीटों पर नजर रही जिन पर बड़े राजनीतिक घरानों का काबिज रहा है। साल 2019 में बीजेपी ने अमेठी हथिया लिया था और 2022 में मैनपुरी और वरिष्ठ नेता आजम खान की रामपुर लोकसभा सीट पर भी बीजेपी की नजर है। ये देखना दिलचस्प होगा कि सपा उपनी दोनों परंपरागत सीट को बटा पाती है भी या नहीं…

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।