Manipur Violence: सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर को एडिटर्स गिल्ड मामले में सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से पूछा, मेंबर्स पर दुश्मनी को बढ़ावा देने का अपराध कैसे बनता है

Supreme Court

Manipur Violence: सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के 4 मेंबर्स की गिरफ्तारी पर 2 हफ्ते तक रोक लगा दी। इस मामले में शुक्रवार 15 सितंबर को सुनवाई हुई। साथ ही कोर्ट ने शिकायतकर्ता से जानना चाहा कि एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों के खिलाफ समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का अपराध कैसे बनता है? CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनवाई की।

चारों सदस्यों ने की सुरक्षा की मांग

Manipur Violence: दरअसल इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर पुलिस से एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्यों के खिलाफ दर्ज मामले के संबंध कोई सख्त नहीं उठाने का निर्देश दिया था। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के चार सदस्यों के खिलाफ मणिपुर में दो मामले दर्ज किए गए थे। इन मामलों में कार्रवाई को लेकर उन्होंने सुरक्षा की मांग की थी। वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा प्रस्तुत मणिपुर सरकार ने कहा कि “शीर्ष अदालत कुछ और समय के लिए ईजीआई और सदस्यों की रक्षा कर सकती है और अगर पीठ चाहे तो याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर सकती है।”

 

क्या है पूरा मामला?

 

Manipur Violence: बता दें कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की टीम पर राज्य में जारी हिंसा को भड़काने की कोशिश करने का आरोप लगाया है और राज्य सरकार ने द एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) की अध्यक्ष समेत चार पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवायी था। इसके एक दिन बाद एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने मंगलवार यानी 5 सितंबर को अपना पक्ष रखा और कहा कि वे मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह के बयानों से “स्तब्ध” हैं।

 

एडिटर्स गिल्ड ने “राष्ट्र-विरोधी” कहे जाने पर जताया विरोध

 

एडिटर्स गिल्ड ने कहा कि उन्हें मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह की संस्था को “राज्य-विरोधी” और “राष्ट्र-विरोधी” बताने वाली टिप्पणी बेहद परेशान करने वाली लगी। DIGIPUB और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया जैसे अन्य पत्रकार संगठनों ने भी ईजीआई सदस्यों के खिलाफ एफआईआर की निंदा की और इसे “प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला” बताया।

अब तक हो चुकी है 175 की मौत, 1108 जख्मी

मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच 3 मई से हो रही सामुदायिक हिंसा में अब तक 175 लोगों की मौत हो चुकी हैं। राज्य में 1108 घायल हैं, 32 अभी भी लापता है, जबकि 96 लावारिस लाशें शवगृह में रखी हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राईएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

Written By- Vineet Attri.

ये भी पढे़ं…

Amit Shah Visits Bihar: बिहार के दो दिवसीय दौरे पर केंद्रीय मंत्री अमित शाह ‘मेरा मिट्टी मेरा देश’ कार्यक्रम के तहत लोगों को करेंगे संबोधित
Noida News: ग्रेटर नोएडा में निर्माणाधीन बिल्डिंग की लिफ्ट गिरी, 4 की मौत आम्रपाली ड्रीम वैली में हादसा
By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।