New Parliament Building: नई संसद की पहचान है सेंगोल, विपक्ष कर रहा है इसका विरोध

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New Parliament Building: नए संसद भवन के उद्घाटन की खबर के साथ चर्चा में आए ‘सेंगोल’ को कुछ समय पहले कोई जानता तक नहीं था सेंट्रल विस्टा के उद्घाटन के साथ ही सेंगोल भी सुर्खियों में है. लेकिन पीएम मोदी के प्रयासों के कारण लोगो के बीच सेंगोल की कहानी और महत्वता चर्चा का विषय बन गई है।

New Parliament Building: सेंगोल को लेकर राजनीति गलियारों में विरोध लगातार जारी है और देश की आवाम जानना चाहती है कि आखिर सेंगोल की वजह से विपक्ष क्यों इतना परेशान है? आपको बता दें कि सेंगोल और नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर इतना विवाद क्यों हो रहा है। बता दें कि तमाम विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति से इसका उद्घाटन कराने की मांग रखी है और बायकॉट का ऐलान कर दिया है और आज शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष के वकील जयासुकिन की याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया।

New Parliament Building: सुप्रीम कोर्ट ने नई संसद के उद्घाटन के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए याचिकाकर्ता से कहा, “हम आप पर ऐसी याचिका दाखिल करने के लिए जुर्माना क्यों न लगाएं” इसका जबाव याचिका दायर करने वाले वकील के पास नहीं था और सुप्रीम कोर्ट ने याचिका वापिस करने की अनुमति एक शर्त पर दी कि अब आप हाई कोर्ट नही जाएंगे। इसके बाद लगता है कि ये विवाद अब यहा शांत हो जाएगा और साथ ही सारे विपक्ष को सदबुद्धि आएगी और सारा विपक्ष संसद के अद्घाटन समारोह में शामिल होगा।

इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का याचिका खारिज करने के बाद भी विपक्ष सेंगोल को लेकर अड़ गया है। गौरतलब है कि नए संसद भवन में रखे जाने वाले सेंगोल यानी राजदंड को लेकर बहस शुरू हो गई है।नई संसद में लगने जा रहे राजदंड सेंगोल को लेकर कांग्रेस के बड़े नेता जयराम रमेश ने दावा किया था कि “इस बात का कोई भी पुख्ता प्रमाण नहीं है कि इसे सत्ता हस्तांतरण के तौर पर सौंपा गया था।”

उन्होंने आगे कहा कि “माउंटबेटन, राजाजी और नेहरू से जुड़ा कोई ऐसा दस्तावेज नहीं जो प्रमाणित करे कि यह राजदंड अंग्रेजों से भारत को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल हुआ था, इससे जुड़े सभी दावे फर्जी हैं और कुछ लोगों की दिमागी उपज हैं।”

गृहमंत्री अमित शाह: कांग्रेस अधीनम के इतिहास को झूठा बता रही है!

गृहमंत्री अमित शाह की तरफ से जवाब में ट्वीट किए गए हैं जिनमें उन्होंने कहा है कि कांग्रेस इतिहास को झुठला रही है। अमित शाह ने ट्विटर पर लिखा, “अब कांग्रेस ने एक और शर्मनाक अपमान किया है। एक पवित्र शैव मठ, थिरुवदुथुराई अधीनम ने खुद भारत की आजादी के वक्त सेंगोल के महत्व के बारे में बताया था। कांग्रेस अधीनम के इतिहास को झूठा बता रही है!  कांग्रेस को अपने व्यवहार पर विचार करने की जरूरत है।

एचटी हसन: आपको लगाना ही है तो सभी धर्मों के निशान को लगाना चाहिए

समाजवादी पार्टी के नेता एचटी हसन ने सेंगोल को एक धार्मिक प्रतीक करार देते हुए कहा कि “अगर आपको लगाना ही है तो सभी धर्मों के निशान को लगाना चाहिए। ताकि, अन्य धर्मों के लोगों को ये एहसास हो। उन्होंने आगे कहा कि “देश का पार्लियामेंट पर सभी का बराबर का हक है और अगर ऐसे में सिर्फ एक धर्म के निशान को लगाया जाता है तो दूसरे धर्म को लोगों की भावनाएं आहत होंगी”

आपको बता दें कि साल 1947 में स्वतंत्रता के समय आखिरी वायसराय माउंटबेटन ने सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर ‘सेंगोल’ पंडित नेहरू को सौंपा था। इसके बाद इसे इलाहाबाद संग्राहलय में ‘नेहरू को तोहफे में मिली स्वर्ण छड़ी’ बताकर रख दिया गया। सेंगोल तमिल भाषा का शब्द है और इसका अर्थ संपदा से संपन्न और ऐतिहासिक है।

‘वुम्मिडी बंगारू ज्वेलर्स ने बनाई थी 5 फीट लंबे सेंगोल पर वीडियो

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसकी सूचना कुछ साल पहले एक वीडियो से लगी। 5 फीट लंबे सेंगोल पर वीडियो ‘वुम्मिडी बंगारू ज्वेलर्स ने बनाई थी। इसके मैनेजिंग डायरेक्टर आमरेंद्रन वुम्मिडी ने कहा कि “उन्हें सेंगोल के बारे में खुद भी नहीं पता था। वो तो 2018 में एक मैग्जीन में इसका जिक्र देखा और जब खोजा तो 2019 में उन्हें ये इलाहाबाद के एक म्यूजियम में रखा हुआ पाया।”

सेंगोल को 100 से अधिक सोने के गहनों से बनाया गया

बंगारू चेट्टी द्वारा सेंगोल को 100 से अधिक सोने के गहनों से बनाया गया था। जिन्होंने उस समय इसे बनाने के केवल 15000 रुपए लिए थे और 30 दिन से भी कम समय में इसे तैयार कर दिया था। बताया जा रहा है कि सेंगोल की जानकारी पीएम मोदी को प्रसिद्ध डांसर पद्मा सुब्रमण्यम ने एक चिट्ठी के जरिए भी दी थी।

उन्होंने अपनी चिट्ठी में एक तमिल मैग्जीन ‘तुगलक’ में प्रकाशित एक लेख का हवाला देते हुए ‘सेंगोल’ के बारे में पीएम को बताया। साथ ही माँग उठाई की पीएम इस बारे में जानकारी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सभी देशवासियों के साथ साझा करें।

पीएम ने सेंगोल खोजने का दिया था आदेश

पीएम मोदी कार्यालय में ये चिट्ठी रिसीव होने के बाद सेंगोल की खोजबीन शुरू हुई। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने इंदिरा गाँधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स के विशेषज्ञों की मदद ली और राष्ट्र अभिलेखागार से लेकर उस वक्त तमाम अखबारों और डॉक्यूमेंट्स में इसके बारे में खँगाला गया। हालाँकि बाद में पता चला कि ये सेंगोल प्रयागराज के आनंद भवन में है।

केंद्रीय ग्रह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नए संसद भवन के उद्घाटन के दिन एक नई परंपरा भी शुरू होने जा रही है। अमित शाह ने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 14 अगस्त, 1947 को तमिल पुजारियों के हाथों सेंगोल स्वीकार किया था। शाह के अनुसार नेहरू ने इसे अंग्रेज़ों से भारत को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर स्वीकार किया था. बाद में इसे नेहरू ने एक म्यूज़ियम में रख दिया था और तब से सेंगोल म्यूज़ियम में ही रखा है। उनके अनुसार सेंगोल चोल साम्राज्य से संबंध रखता है और इस पर नंदी भी बने हुए हैं।

अमित शाह ने कहा, “सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से उपयुक्त और पवित्र स्थान कोई और हो ही नहीं सकता. इसलिए जिस दिन नए संसद भवन को देश को समर्पित किया जाएगा उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु के अधीनम (मठ) से सेंगोल स्वीकार करेंगे और लोकसभा अध्यक्ष के पास इसे स्थापित करेंगे।”

आपको बता दे कि सेंगोल एक राजदंड की तरह है, इसका इस्तेमाल चोल साम्राज्य में होता था, जब चोल साम्राज्य का कोई राजा अपना उत्तराधिकारी घोषित करता था तो सत्ता हस्तांतरण के तौर पर सेंगोल दिया जाता था.. इसे सत्ता की पावर का केंद्र माना जाता है और खास तौर से तमिलनाडु और दक्षिण के अन्य राज्यों में सेंगोल को न्यायप्रिय और निष्पक्ष शासन का प्रतीक माना जाता है।

नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बॉयकॉट को लेकर 19 राजनीतिक दल एकजुट क्या हुए, कयास लगना शुरू हो गया कि इस मसले पर विपक्षी एकता दिख रही है। इस एकता को 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर देखा जाने लगा है। लेकिन यह एकता कितने समय तक टिक पाएगी कुछ नहीं कहा जा सकता, क्योंकि कुछ विपक्षी दल इस मसले पर अब धीरे-धीरे केंद्र सरकार का साथ देते हुए नजर आ रहे हैं।

नए संसद भवन के उद्घाटन के मुद्दे पर मिला मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी का साथ

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी की अगुवाई वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी नए संसद भवन के उद्घाटन के बहिष्कार में विपक्षी दलों के साथ नहीं आएगी। वहीं ओड‍िशा में नवीन पटनायक की अगुवाई वाली बीजू जनता दल (BJD) ने भी नए संसद भवन के उद्घाटन में शामिल होने का ऐलान किया है। इसके अलावा भारत राष्ट्र समिति के सांसद गुरुवार को फैसला करेंगे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि विपक्षी एकता कितनी मजबूत है।

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर विपक्ष, बीजेपी के खिलाफ लामबंद होने का दावा कर रहा है। विपक्ष का दावा है कि वह बीजेपी को मात देने की तैयारी में जुटा है। लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विपक्ष एकजुटता का एक मैसेज तक तो देश के आगे रखने सफल नहीं हो पाया है। ऐसे में लोकसभा चुनावों में सीटों के बंटवारा किस आधार पर करेंगे। भले 19 विपक्षी दल समारोह के विरोध में हों, लेकिन कई दल सरकार के साथ खड़े नजर आ रहे हैं।

बहुजन समाज पार्टी (BSP), चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (TDP), वाईएसआर कांग्रेस, एआईएडीएमके और अकाली दल का मिला समर्थन

एक तरफ कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने उद्घाटन का बहिष्कार किया तो दूसरी तरफ नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार को मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (BSP), चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (TDP), वाईएसआर कांग्रेस, एआईएडीएमके और अकाली दल का समर्थन प्राप्त हुआ। यह तमाम दल उद्घाटन समारोह में शिरकत कर सकते हैं। मायावती ने पहले ही घोषणा कर दी है कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी।

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By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।