New Parliament Inauguration: आज (26 मई) सुप्रीम कोर्ट में नए संसदभवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने नई संसद के उद्घाटन के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए याचिकाकर्ता से कहा, “हम आप पर ऐसी याचिका दाखिल करने के लिए जुर्माना क्यों न लगाएं”
सीआर जयासुकिन: संविधान के अनुच्छेद 79 के मुताबिक राष्ट्रपति संसद का भी अनिवार्य हिस्सा
आपको बता दें कि नई संसद के उद्घाटन के खिलाफ वाली याचिका को सीआर जयासुकिन नाम के वकील ने दायर किया था। याचिकाकर्ता ने याचिका के समर्थन में दलील देते हुए कहा कि “देश के संवैधानिक प्रमुख होने के नाते राष्ट्रपति ही प्रधानमंत्री की नियुक्ति करते हैं। सभी बड़े फैसले भी राष्ट्रपति के नाम पर लिए जाते हैं। राष्ट्रपति देश की प्रथम नागरिक हैं। संविधान के अनुच्छेद 79 के मुताबिक राष्ट्रपति संसद का भी अनिवार्य हिस्सा हैं। लोकसभा सचिवालय ने उनसे उद्घाटन न करवाने का जो फैसला लिया है, जो कि गलत है।”
सुप्रीम कोर्ट: यह ऐसा मामला नहीं है, जिसमें कोर्ट दखल दे
इस पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया कि यह ऐसा मामला नहीं है, जिसमें कोर्ट दखल दे। कार्यकारी प्रमुख (प्रधानमंत्री) संसद का सदस्य होता है। संवैधानिक प्रमुख (राष्ट्रपति) संसद का हिस्सा होते हैं और हम याचिका को डिसमिस करने जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 28 मई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्देश देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। https://t.co/NdPYrE34dZ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 26, 2023
सुप्रीम कोर्ट: वकील को सशर्त याचिका वापस लेने की दी अनुमति
इसके बाद वकील ने याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा, याचिका वापस लेने की इजाजत दी गई तो यह हाईकोर्ट चले जाएंगे। इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या आप हाईकोर्ट जाएंगे। वकील की तरफ से कहा गया, नहीं। इस पर जज ने याचिका वापस लेने की इजाजत दी।
कौन है वकील जयासुकिन
गौरतलब हे कि याचिकाकर्ता का नाम सी आर जयासुकिन है। पेशे से वकील जयासुकिन तमिलनाडु से हैं और वो लगातार जनहित याचिकाएं दाखिल करते रहते हैं।
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