Rafale-M: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी फ्रांस यात्रा दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी के लिहाज से तो महत्वपूर्ण है ही, भारतीय नौसेना के लिए इस यात्रा का सामरिक महत्व है। वायुसेना के लिए पहले ही 36 राफेल विमान खरीद चुका भारत अब फ्रांस से इंडियन नेवी के लिए राफेल एम विमान खरीदने जा रहा है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान इसकी पूरी संभावना है कि दोनों देश बड़ी रक्षा परियोजनाओं का ऐलान कर सकते हैं साथ ही नेवी के लिए राफेल एम फाइटर जेट की खरीद से जुड़ी योजनाओं की भी घोषणा हो सकती है।
सबमरीन को लेकर भी हो सकती है डील
Rafale-M:हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पीएम मोदी के दौरे में तीन पनडुब्बियों के निर्माण को लेकर भी बातचीत हो सकती है। इन्हें मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत भारत में लाने की बात की जा सकती है यानी भारत में ही इन्हें तैयार किया जा सकता है। हालांकि अब तक सरकार की तरफ से इसे लेकर कोई भी जानकारी सामने नहीं आई है आने वाले कुछ दिनों में इस पर तस्वीर साफ हो सकती है।
रक्षा मंत्रालय में होगी बैठक
Rafale-M:रिपोर्ट में बताया गया है कि पीएम मोदी के दौरे से ठीक पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की तरफ से एक बैठक बुलाई गई है 13 जुलाई को होने वाली इस बैठक में भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल-एम लड़ाकू विमान खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दी जा सकती है। इसीलिए रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC ) की इस बैठक पर सभी की नजरें हैं।
Rafale-M: फ्रांस के राफेल-एम लड़ाकू विमानों को समुद्र में निगरानी और लड़ाई के लिए काफी सटीक माना गया है बताया जा रहा है कि विमान अमेरिकी फाइटर हॉर्नेट से बेहतर और सस्ते हैं इन विमानों को एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जा सकता है।
क्या है राफेल-एम की खासियत
Rafale-M: चीन के जे-10 और जे-15 फाइटर जेट्स एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात होने वाले चौथी पीढ़ी के फाइटर जेट्स हैं वहीं सुखोई-30 मल्टीरोल एयर सुपरीरियॉरिटी फाइटर जेट है जबकि, राफेल-एम 4.5 जेनरेशन का आधुनिक फाइटर जेट है, जिसे विमानवाहक युद्धपोत पर तैनात करने के लिए ही बनाया गया है।सुखोई-30 में 12 हार्डप्वाइंट्स हैं यानी तीन तरह के रॉकेट्स, चार तरह के मिसाइल और 9 तरह के बम या इनका मिश्रण लगा सकते हैं
Rafale-M: इसमें 30 मिलिमीटर की गन लगी है. जबकि, राफेल-एम में 30 मिलिमीटर की ऑटोकैनन गन लगी है इसके अलावा 14 हार्डप्वाइंट्स हैं. इसमें तीन तरह के हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, हवा से सतह पर मार करने वाली सात तरह की मिसाइलें, एक परमाणु मिसाइल या फिर इनका मिश्रण लगा सकते हैं।
चीन और पाकिस्तान के फाइटर जेट्स को टक्कर देने में सक्षम
Rafale-M: जे-10 की कॉम्बैट रेंज 1240 किलोमीटर, जे-15 की फेरी रेंज 3500 किलोमीटर और सुखोई-30 की फेरी रेंज 3000 किलोमीटर है जबकि, राफेल-एम की कॉम्बैट रेंज 1850 किलोमीटर है इसकी फेरी रेंज 3700 किलोमीटर हैचीन के जे-10 में 8950 लीटर की इंटर्नल फ्यूल कैपेसिटी है. जे-15 की 9500 लीटर और सुखोई-30 फाइटर जेट की 9400 लीटर फ्यूल कैपेसिटी है राफेल-एम की फ्यूल कैपेसिटी करीब 11,202 किलोग्राम है। यानी सभी फाइटर जेट से ज्यादा देर फ्लाई कर सकता है ज्यादा देर तक डॉग फाइट में भाग ले सकता है।
Rafale-M: पाकिस्तान के पास जो फाइटर जेट्स हैं, उनमें से ज्यादातर चीन के ही हैं चीन ने अपनी पांचवीं पीढ़ी के जे-20 फाइटर जेट्स को फिलहाल नौसेना में तैनात नहीं किया है न ही पाकिस्तान को दिया है कुछ कमियों को छोड़कर राफेल-एम चीन और पाकिस्तान के फाइटर जेट्स को टक्कर देने में पूरी तरह सक्षम है।
Written By: Vineet Attri
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