Women Reservation Bill: महिला आरक्षण पर चल रही हैं लोकसभा में बहस, वहीं बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने किया स्वागत

Women Reservation Bill

Women Reservation Bill: देश में महिला आरक्षण विधेयक की चर्चा फिर से जोरों पर है। संसद के नए भवन में केंद्र की मोदी सरकार एक ऐतिहासिक पहल के तहत महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने की कोशिश कर सकती है। महिला आरक्षण विधेयक को लेकर अधिकांश राजनीतिक दलों में एकराय दिख रही है। इसलिए इसके पारित होने में ज्यादा बाधा नहीं आने की संभावना नहीं है। लेकिन यह कोई पहला मौका नहीं है जब महिला आरक्षण विधेयक को संसद में पेश किया गया हो।वहीं बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बिल का स्वागत किया और साथ ही खुशी का भी इजहार किया।

नीतीश कुमार: हम शुरू से ही महिला सशक्तीकरण के हिमायती 

Women Reservation Bill: भाजपा से अलग होने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता को लगातार एकजुट कर रहे हैं, लेकिन मंगलवार को संसद में महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद नीतीश कुमार ने इस पर अपनी ख़ुशी जताई है। उन्होंने कहा कि “संसद में जो महिला आरक्षण बिल लाया गया है, वह स्वागत योग्य कदम है। हम शुरू से ही महिला सशक्तीकरण के हिमायती रहे हैं और बिहार में हमलोगों ने कई ऐतिहासिक कदम उठाये हैं।”

 

महिलाओ को नौकरियों में आरक्षण

 

Women Reservation Bill: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं को दिए गये आरक्षण के संबंध में कहा कि “हमने वर्ष 2006 से पंचायती राज संस्थाओं और वर्ष 2007 से नगर निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया। वर्ष 2006 से ही प्रारंभिक शिक्षक नियोजन में महिलाओं को 50 प्रतिशत और वर्ष 2016 से सभी सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। वर्ष 2013 से बिहार पुलिस में भी महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। आज बिहार पुलिस में महिला पुलिसकर्मियों की भागीदारी देश में सर्वाधिक है।”

जेडीयू का दावा: पीएम मोदी चले नीतीश की राह

 

Women Reservation Bill: महिला आरक्षण विधेयक (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) पेश होने के बाद जेडीयू ने दावा किया है कि नीतीश कुमार ने साल 2005 में मुख्‍यमंत्री पद संभालने के साथ बिहार में महिला आरक्षण बिल लागू कर दिया था। पीएम नरेंद्र मोदी बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की राह पर चल रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि बिहार में यह व्‍यवस्‍था बहुत पहले से है।

 

BSP प्रमुख मायावती: महिलाओं को प्रलोभन देने के लिए लाया जा रहा हैं बिल

 

Women Reservation Bill: वहीं मायावती ने कहा कि “इस बिल के मुताबिक आने वाले 15-16 सालों में देश में महिलाओं को आरक्षण नहीं दिया जाएगा। इस बिल के पास होने के बाद इसे तुरंत लागू नहीं किया जा सकेगा। सबसे पहले देश में जनगणना कराई जाएगी और इसके बाद सीटों का परिसीमन किया जाएगा। जनगणना में काफी समय लगता है… इसके बाद ही यह बिल लागू होगा… इससे साफ है कि यह बिल महिलाओं को आरक्षण देने के इरादे से नहीं लाया गया है बल्कि आगामी चुनाव से पहले महिलाओं को प्रलोभन देने के लिए लाया गया है।”

 

Women Reservation Bill: डिंपल यादव ने उठाए सवाल 

Women Reservation Bill: डिंपल यादव ने कहा समाजवादी पार्टी महिला आरक्षण का समर्थन करती है, लेकिन इसमें सभी वर्गों की महिलाओं को शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि “महिला आरक्षण बिल में एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए भी रिजर्वेशन होना चाहिए। उन्होंने इस दौरान सरकार की मंशा पर सवाल उठाए और कहा कि सरकार को ये नौ साल के बाद क्यों याद आया ह। क्या सरकार जातीय जनगणना कराएगी?” 

डिंपल यादव ने सरकार को दी नसीहत

Women Reservation Bill: डिंपल यादव ने इस दौरान बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे से भी सवाल किया आप ग्रामीण महिलाओं की स्थिति के बारे में बात करते हैं तो फिर सरकार पिछड़े समाज की महिलाओं का दर्द क्यों नहीं समझती। इस बिल में पिछले वर्ग की महिलाओं को भी आरक्षण दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने निशिकांत दुबे द्वारा महिला आरक्षण को लेकर दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव का जिक्र करने पर भी आपत्ति जताई। डिंपल ने कहा कि जो अब इस सदन में नहीं हैं, उनका नाम नहीं लेना चाहिए और आगे भी वो ऐसा न करें। 

महिला आरक्षण का सपा ने राज्यसभा में किया समर्थन

Women Reservation Bill: इससे पहले सपा राज्यसभा सांसद प्रो रामगोपाल यादव ने भी महिला आरक्षण को समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि “सपा इसका समर्थन करती है क्योंकि देश की आधी आबादी को उनका हक मिलना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ओबीसी महिलाओं को उनकी हिस्सेदारी दिलाने के लिए उनकी लड़ाई जारी रहेगी और वो इसे जनता के बीच में ले जाएंगे।

महिला बिल को पहली बार 12 सितम्बर 1996 को किया गया पेश

 

Women Reservation Bill: महिला बिल को पहली बार 12 सितम्बर 1996 को संसद के पटल पर रखा गया था लेकिन तब यह पारित नहीं हो सका था। संयोग से उस समय की सरकार ने इसे पारित कराने के लिए एक संसद की चयन समिति का गठन किया था। उसमें देश के कई नेता शामिल थे जिसमें नीतीश कुमार का नाम भी शामिल है जो मौजूदा समय में बिहार के मुख्यमंत्री हैं।

 

Women Reservation Bill: सीएम नीतीश की पहल पर देश के विपक्षी दलों को इंडिया के बैनर तले एकजुट किया गया है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि अब महिला आरक्षण विधेयक पर इन दलों की क्या राय रहती है। लेकिन 1996 के प्रकरण को याद करें तो तब नीतीश कुमार भी उस समिति के सदस्य थे जिस पर इसे पारित कराने के लिए विशेष सुझाव देने का दायित्व था। हालांकि तब विधेयक के पारित नहीं होने के पीछे एक खास वजह थी।

 

Written By- Swati Singh.

 

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By Atul Sharma

बेबाक लिखती है मेरी कलम, देशद्रोहियों की लेती है अच्छे से खबर, मेरी कलम ही मेरी पहचान है।