Aligarh: कट्टरपंथी कभी मूर्तियां तोड़ते हैं तो कभी नहीं मनाने देते होली, 90% आबादी के भय से पीड़ित हिंदू नहीं करते पुलिस को शिकायत

पथवारी मंदिर में खंडित मूर्ति

Aligarh: उत्तर प्रदेश के जिला अलीगढ़ का एक ऐसा गांव जहां हिंदुओं को अपने त्यौहार मनाना दूभर है। यहां कट्टरपंथियों के द्वारा कभी मंदिर की मूर्तियों को तोड़ा जाता है तो कभी हिंदुओं को होली मिलन का कार्यक्रम नहीं करने दिया जाता। हिंदुओं में डर का आलम कुछ इस तरह है कि वह आरोपियों के खिलाफ पुलिस थाने में शिकायत तक नहीं करते। यह सिर्फ इसलिए है कि इस गांव में मुसलमानों की आबादी करीब 90 प्रतिशत है। इसलिए शिकायत करना मतलब हिंदुओं को अपनी जान जोखिम में डालना। अब पढ़िए हमारी ग्राउंड रिपोर्ट..

पिछले करीब 20 दिनों से हमें मिल रही शिकायत के बाद खबर इंडिया की टीम नोएडा से करीब 120 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद 5 जून को शाम होते-होते अलीगढ़ लोधा थाना क्षेत्र के गांव राइट पला पहुंच गई। वहां पहले से ही करीब 12-13 हिंदू एक खुले स्थान पर कुछ चारपाई पर बैठे तो कुछ खड़े हुए थे।

पीड़ित हिंदुओं के मुताबिक करीब 12 हजार की आबादी वाले गांव में 90 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है। करीब तीन दिन पहले गांव के पथवारी मंदिर पर कट्टरपंथियों ने हमला कर दिया और उसमें रखी मूर्तियों को तोड़ दिया गया। सुबह इसकी जानकारी हिंदुओं को हुई और तलासने पर पास के खेत में मूर्तियों के अवशेष मिले, लेकिन मुसलमानों की आबादी अधिक होने के डर से हिंदुओं ने नजदीकी पुलिस थाने में शिकायत तक नहीं की।

Aligarh: हमने यह बात हिंदुओं को कैमरे के सामने बोलने की बात कही तो हमें साफ इंकार कर दिया गया और पीड़ित हिंदू हमसे दूरी बनाने लगे। हमने नाम पूछकर बयान लिखने की बात कही तो 75 वर्षीय नाहर सिंह ने बताया, “तीन दिन पहले गांव के ही लोगों ने पथवारी मंदिर में मूर्तियों को तोड़ दिया। यह कोई पहली बार नहीं हुआ इससे पहले भी प्राचीन पातालेश्वर महादेव मंदिर में भी मूर्तियां तोड़ी गई थीं, जिसको प्रशासन ने रातोंरात नई मूर्तियां स्थापित करा दी थीं।

इस बार महाशिवरात्रि पर भी जलाभिषेक प्रशासन की मौजूदगी में हुआ था। उहोंन बताया कि हमने एक बार मंदिर परिसर में होली मिलन का कार्यक्रम रखा तो वहां लगे टेंट को कट्टरपंथियों के द्वारा उखाड़कर फेंक दिया गया यहां तक कि मंदिर पर सुंदरकांड का पाठ भी हमें नहीं करने दिया गया।

संतों को धमकाया, बोले- यहां अयोध्या बनाना चाहते हो

प्रेमपाल सिंह ने बताया कि घटना वर्ष 2010 में प्राचीन पातालेश्वर महादेव मंदिर पर भागवत कथा का आयोजन हो रहा था। उस दौरान कथा में संत भी आये हुए थे। इसी बीच सुमदाय विशेष के लोगों इसका विरोध करना शुरू कर दिया और मेरा गिरेबां पकड़ लिया और पास में मौजूद संतों को धमकाते हुए कहा कि यहां तुम अयोध्या बनाना चाहते हो।

Aligarh: विवाद का कारण बताते हुए प्रेमपाल सिंह कहते हैं कि मंदिर परिसर से ग्राम पंचायत की करीब 3 बीघा जमीन लगी हुई है, जिस पर समुदाय विशेष के लोगों ने दुकाने और खोके लगाकर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। एसडीएम से शिकायत करके कई बार ग्राम समाज की जमीन को कब्जा मुक्त कराने की कोशिश की गई, लेकिन जमीन कब्जा मुक्त नहीं हो सकी।

गांव में 5 मस्जिद और ईदगाह के बीच एक मंदिर उसपर भी विवाद

इस दौरान एक युवक अपना नाम नहीं बताते हुए कहते हैं कि गांव में 90 प्रतिशत मुस्लिम आबादी होने के कारण गांव पर उनकी हुकूमत कुछ इस कदर चलती है कि गांव में 5 मस्जिद और 1 बड़ा ईदगाह है। ईदगाह के नाम पर 15 बीघा सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है। पूरे दिन मस्जिद की मीनारों से तेज आवाज में लाउडस्पीकर बजते रहते हैं

Aligarh: कब्रिस्तान के नाम पर गांव के मुसलमानों ने 65 बीघा सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है। यहां तक कि हम हिंदू अंतिम संस्कार के लिए शवों को अपने खेतों पर ले जाते हैं। गांव में सिर्फ एक मंदिर है, उस पर ये लोग न तो कोई कार्यक्रम होने देते और आए दिन उस पर विवाद रखते हैं। कभी मूर्तियां तोड़ते तो कभी धार्मिक अनुष्ठानों में बाधा डालते हैं।

पीड़ित हिंदुओं से बात करने के बाद हम देर रात को पातालेश्वर महादेव मंदिर पहुंचे और फिर पथवारी मंदिर पर पहुंचे जहां पर मूर्तियां टूटी हुई थी और उसके अवशेष भी मंदिर के अंदर ही पड़े हुए थे। नंदी की मूर्ति भी खंडित थी।

गांव के माहौल का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि बीते महाशिवरात्रि पर भारी पुलिस बल की मौजूदगी में ही शिव भक्तों ने जलाभिषेक किया था। कट्टरपंथियों का डर गांव के अल्पसंख्यक हिंदुओं में कुछ इस तरह है कि वह प्रताड़ना झेलने के बाद भी पुलिस  प्रशासन से अपनी शिकायत तक नहीं करते।

Aligarh: बहरहाल, राइट पला गांव की स्थिति बेहद चिंताजनक है। इस पर प्रशासन के साथ ही सामाजिक संगठनों और हिंदूवादी संगठनों को मौके पर जाकर हालात का जायजा और पीड़ित हिंदुओं से बातचीत करनी चाहिए और खासतौर पर पुलिस प्रशासन को कट्टरपंथियों के प्रति ठोस कदम उठाना चाहिए।

लेखक- रोहित अत्री

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यह कलम दिल, दिमाग से नहीं सिर्फ भाव से लिखती है, इस 'भाव' का न कोई 'तोल' है न कोई 'मोल'