Atiq Ahmed: तांगे चलाने वाले के बेटा ने जनता में कैसे बनाया खौफ, पढ़कर हो जायेंगे सन्न

अतीक अहमद

Atiq Ahmed: एक ऐसे व्यक्ति के जीवन की कहानी जिससे हर कोई दहल उठता था। सामने आने दुस्साहस नहीं करता था। साल 1979 की बात है। इलाहाबाद यानी अभी का प्रयागराज के चकिया का रहने वाला एक लड़का 10वीं क्लास में फेल हो गया। पिता फिरोज अहमद तांगा चलाकर परिवार चलाते थे। इसी बीच 17 साल का अतीक अहमद बदमाशों की संगत में पड़ गया। अब उस पर जल्दी अमीर बनने की सनक सवार होती है। इसी के चलते लूट, अपहरण और रंगदारी वसूलने जैसी वारदातों को अंजाम देने लगा। उसी साल अतीक पर हत्या का केस दर्ज हुआ।

उस समय इलाहाबाद के पुराने शहर में चांद बाबा का खौफ हुआ करता था। पुलिस और राजनेता चांद बाबा से परेशान से थे। ऐसे में अतीक अहमद को दोनों का साथ मिला। 7 सालों में अतीक चांद बाबा से भी ज्यादा खतरनाक हो गया था। लूट, अपहरण और हत्या जैसी खौफनाक वारदातों को लगातार अंजाम देने लगा।

Atiq Ahmed: जिस अतीक को पुलिस ने शह दे रखी थी, अब वही उसकी आंख की किरकिरी बन गया। 1986 में पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेती है। हालांकि अतीक अपने रसूख का इस्तेमाल करता है और उस समय इलाहाबाद के कांग्रेस नेता से संपर्क करता है। नेता जी की दिल्ली तक पहुंच थी। काम हो गया, दिल्ली से फोन आया और अतीक जेल से बाहर।

अपराध की दुनिया में अतीक अब बड़ा नाम बन चुका था। साल 1989 में राजनीति में उतरता है और शहर की पश्चिमी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान करता है। इस बार मुकाबला था चिर प्रतिद्वंद्वी चांद बाबा से। ऐसे में गैंगवार तो होना ही था।

इसमें भी अतीक ने बाजी मारी और अपनी दहशत के चलते चुनाव जीत गया। कुछ महीनों बाद बीच चौराहे पर दिनदहाड़े चांद बाबा की हत्या हो गई। अब तो पूरे पूर्वांचल में अपराधी अतीक के नाम का बोलबाला था।

साल 1991 और 1993 में भी अतीक निर्दलीय चुनाव जीता। साल 1995 में लखनऊ के चर्चित गेस्ट हाउस कांड में भी अतीक का नाम सामने आया। साल 1996 में सपा के टिकट पर विधायक बना। साल 1999 में अपना दल के टिकट पर प्रतापगढ़ से चुनाव लड़ा और हार गया। फिर 2002 में अपनी पुरानी इलाहाबाद पश्चिमी सीट से 5वीं बार विधायक बना।

Atiq Ahmed: कई खौफनाक वारदातों के बाद अतीक का खौफ इतना ज्यादा बढ़ गया कि इलाहाबाद की शहर पश्चिमी सीट से कोई नेता चुनाव लड़ने को तैयार नहीं होता था। पार्टियां टिकट देती भी थीं तो नेता लौटा दिया करते थे। साल 2004 के लोकसभा चुनाव में अतीक अहमद सपा के टिकट पर UP की फूलपुर सीट से चुनाव जीतता है। उस वक्त अतीक इलाहाबाद पश्चिम सीट से विधायक था।

सांसद बनने पर विधायकी छोड़नी पड़ी। उपचुनाव हुआ। सपा ने अतीक के छोटे भाई अशरफ को उम्मीदवार बनाया। इसी बीच अतीक का दायां हाथ माने जाने वाले राजू पाल ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया। अक्टूबर 2004 में राजू पाल चुनाव जीत जाता है। पहली बार अतीक को अपने ही इलाके में टक्कर मिली। अब बात रसूख की थी।

विधायक बनने के 3 महीने बाद 15 जनवरी 2005 को राजू पाल ने पूजा पाल से शादी कर ली। शादी के ठीक 10 दिन बाद 25 जनवरी 2005 को राजू पाल की हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में अतीक अहमद और अशरफ का नाम सामने आया।

साल 2005 में विधायक राजू पाल हत्याकांड के बाद अतीक अहमद का बुरा वक्त शुरू हो गया। साल 2007 में UP की सत्ता बदली। मायावती सूबे की मुखिया बन गईं। सत्ता जाते ही सपा ने अतीक को पार्टी से बाहर निकाल दिया। CM बनते ही मायावती ने ऑपरेशन अतीक शुरू किया। 20 हजार का इनाम रख कर अतीक को मोस्ट वांटेड घोषित किया गया।

अतीक अहमद पर 100 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, हत्या की कोशिश, किडनैपिंग, रंगदारी जैसे केस हैं। उसके ऊपर 1989 में चांद बाबा की हत्या, 2002 में नस्सन की हत्या, 2004 में मुरली मनोहर जोशी के करीबी BJP नेता अशरफ की हत्या, 2005 में राजू पाल की हत्या का आरोप है।

लगातार दर्ज हो रहे मुकदमों के कारण उसके राजनीतिक करियर पर भी फुल स्टॉप लगने लगा। 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव के वक्त अतीक अहमद जेल में ही था। साल 2012 में उसने चुनाव लड़ने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दी। हालांकि हाईकोर्ट के 10 जजों ने केस की सुनवाई से ही खुद को अलग कर लिया। 11वें जज ने सुनवाई की और अतीक अहमद को जमानत मिल गई।

Atiq Ahmed: चुनाव में अतीक अहमद की हार हुई। उसे राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने हरा दिया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी उसने समाजवादी पार्टी के टिकट पर श्रावस्ती सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन BJP के दद्दन मिश्रा से हार गया।

इसके बाद 2019 के आम चुनाव में जेल से ही वाराणसी सीट पर मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा। इस बार फिर जमानत जब्त हो गई।

आपको बता दें, कि उत्तर प्रदेश के बाहुबली अतीक अहमद की पत्नी ने सीएम योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखकर पति की जान बचाने की गुहार लगाई है। एक वक्त ऐसा था जब अतीक पूर्वांचल में खौफ का दूसरा नाम था। खौफ ऐसा था, कि 10 जजों ने उसके केस की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।

Atiq Ahmed: अतीक अहमद भले ही गुजरात की साबरमती जेल में बंद है, लेकिन हाल ही में प्रयागराज में हुए उमेश पाल मर्डर के चलते वह फिर से चर्चा में है। दरअसल, पूर्व विधायक राजू पाल की हत्या का उमेश मुख्य गवाह था और अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ इस मामले में आरोपी हैं।

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By Susheel Chaudhary

मेरे शब्द ही मेरा हथियार है, मुझे मेरे वतन से बेहद प्यार है, अपनी ज़िद पर आ जाऊं तो, देश की तरफ बढ़ते नापाक कदम तो क्या, आंधियों का रुख भी मोड़ सकता हूं ।